जहानाबाद : वो जिल्लत की जिंदगी. असमय चीखना – चिल्लाना. मानवता की सेवा के नाम पर छली जा रही बेसहारा महिलाओं का सरकारी आशियाना अल्पावास गृह जो इन दिनों पागलखाना-सा दिखता है. यहां देर रात तक मचनेवाली चीख-पुकार इन महिलाओं का जीवन का सबसे बुरे दिन से गुजरने की गवाही देता है.
शहर के पूर्वी गांधी मैदान में असहाय और वृद्ध महिलाओं के लिए बना आसरा फिलवक्त चहारदीवारी से घिरा मानसिक यातना गृह सरीखा दिखता है. गृह की जमीनी हकीकत की पड़ताल से कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर हुए. कुछ राज भी खुले. जहां सिद्धार्थ नगर (उतर प्रदेश) के जमलाजोत गांव की रहनेवाली अनिता देवी पति लालमन.
जो विक्षिप्त महिला है, वह कई महीनों से इस गृह में अपना समय बिता रही है. शायद इस महिला का पता-ठिकाना प्रशासन के पास मौजूद है. इसके बावजूद उसे उसके परिजनों के हवाले नहीं किया जा रहा है. वहीं एक और विक्षिप्त महिला गीता देवी, पति नरेश महतो, ग्राम सिरियावां, थाना नारदीगंज, जिला-नवादा की रहने वाली है.
जिसे घोसी थाने की पुलिस ने कुछ दिन पूर्व सलालपुर मोड़ से लाकर अल्पावास गृह में डाल दिया था. इन महिलाओं को विक्षिप्त रहने के बावजूद यहां रखा गया है. इसके बारे में मोहल्ले के लोगों का कहना है कि यह अल्पावास गृह नहीं रह गया है, बल्कि इसे पागलखाना बना दिया गया है.
पाबंदी के बावजूद प्रशासन के लोग पागल महिलाओं को भी यही छोड़ कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं. ये विक्षिप्त महिलाएं देर रात तक गाली-गलौज, गाना-बजाना और गीत गाकर मोहल्ले के लोगों की नींद हराम कर रखी है. साथ ही कभी-कभार ये महिलाएं छत पर चढ़ कर राहगीरों पर ईंट-पत्थर बरसाती हैं.
इससे इस आवासीय कॉलोनी में रह रहे लोगों में अंदर अनजाना-सा भय बना रहता है कि न जाने ये महिलाएं कब और किसे प्रहार कर उसे घायल कर देगी. इस बाबत पूछे जाने पर डीएम मो सोहैल ने बताया कि मुङो जानकारी मिली है, मैं जल्द-से-जल्द अल्पावास गृह से विक्षिप्त महिलाओं को सही जगह पर भेजने का निश्चित तौर पर प्रयास करूंगा.
– अश्विनी कुमार –