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राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों में शामिल हैं जिले के नौ स्थल

जहानाबाद : जिले में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं, लेकिन सरकारी उदासीनता और स्थानीय लोगों की बेरुखी के कारण जहानाबाद में पर्यटन का विकास नहीं हो रहा है. राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों में जिले के नौ स्थलों को शामिल किया गया है, जिनमें बराबर और नागार्जुन पहाड़ी की सात गुफाएं और घेजन के एक छज्जे […]

जहानाबाद : जिले में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं, लेकिन सरकारी उदासीनता और स्थानीय लोगों की बेरुखी के कारण जहानाबाद में पर्यटन का विकास नहीं हो रहा है. राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों में जिले के नौ स्थलों को शामिल किया गया है, जिनमें बराबर और नागार्जुन पहाड़ी की सात गुफाएं और घेजन के एक छज्जे में संग्रहित बौद्ध और अन्य प्रतिमाएं साथ ही लाट गांव में लाट नामक प्राचीन स्तंभ है.

राष्ट्रीय सूची में होने के बावजूद इन पर्यटन स्थलों के प्रति लोगों की जागरूकता कम है. बराबर की पहाड़ियों में धार्मिक स्थल होने के कारण भीड़-भाड़ रहती है पर घेजन और लाट में शायद ही कोई पर्यटक पर्यटन को जाते हैं.
जिले के लोग भी इनके प्रति काफी उदासीन हैं. जिले में घेजन, मीराबिगहा, लाट, धराउत, धरनई, केऊर, दावथू, काको ऐसे कई स्थान हैं जहां पुरातात्विक महत्व की बौद्ध एवं पालकालीन दुर्लभ मूर्तियां उपेक्षित पड़ी हैं.
धर्म और इतिहास के साक्षी हैं बराबर के पहाड़ : 1100 फुट ऊंचा बराबर पहाड़ मगध का हिमालय भी कहा जाता है. यहां भारत में पहाड़ों को काटकर बनायी गयी सात सबसे प्राथमिक गुफाएं हैं.
इनमें से चार गुफाएं बराबर की पहाड़ियों और बाकी तीन गुफाएं नागार्जुन पहाड़ियों में हैं जिनमें गोपी गुफा, कर्ण-चोपर गुफा, लोमस-ऋषि गुफा, सुदामा गुफा, अर्जुन गुफा, विश्व जोपरी गुफा, नागार्जुन की गुफाएं, व्यापिका गुफा शामिल हैं.
इन गुफाओं का निर्माण 600ई पूर्व से लेकर 232ई पूर्व तक है. पहाड़ में स्थित इन गुफाओं को भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है. यहां पर लोग प्राकृतिक वातावरण में पिकनिक मनाने भी आते हैं. श्रावण मास, वसंत पंचमी, अनंत चतुर्दशी में भक्तों की भारी भीड़ यहां उमड़ती है.
देश में प्रसिद्ध है हजरत बीबी कमाल :
जिले के काको स्थित हजरत बीबी कमाल की दरगाह देश की पहली महिला सूफी संत की दरगाह है. हजरत बीबी कमाल अपनी चिकित्सा की पवित्र शक्तियों के लिए प्रसिद्ध थी.
मानसिक रूप से बीमार लोगों की भीड़ ठीक होने की आस में यहां लगती रहती हैं. हर साल पर्यटन विभाग द्वारा यहां सूफी महोत्सव का आयोजन भी किया जाता है. यहां पर पर्यटन को बढ़ा देने के लिए विभाग द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे हैं.
मीरा बिगहा में हैं प्राचीन मंदिरों के अवशेष
मखदुमपुर प्रखंड के मीराबिगहा गांव में अनेक प्राचीन मंदिरों के अवशेष प्राप्त हुए हैं, जिनमें उमा, माहेश्वर, दुर्गा, विष्णु, चामुंडा, मातृ देवी शामिल हैं. एक प्राचीन सरोवर के भी अवशेष मिले हैं. इसके अलावा विष्णु, सूर्य, नंदी, गणेश व बहुत सारे साधारण और विशेष शिवलिंग की भग्न मूर्तियां भी यहां मिली हैं.
यहां पक्की हुई मिट्टी से बना हुआ शिवलिंग प्राप्त हुआ है जो शंखनुमा आकृति से ढका हुआ है. इन अवशेषों को पर्यटन विभाग व बिहार कला एवं संस्कृति विकास संस्थान के चंद्रिका प्रसाद यादव के विशेष प्रयासों द्वारा संरक्षित किया जा रहा है.

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