नहीं बदली तसवीर
जहानाबाद (नगर) : बिहार राज्य पथ परिवहन विभाग द्वारा कभी 35 बसों की रवानगी अलग-अलग स्थानों के लिए की जाती थी, लेकिन आज विभाग के पास महज चार बसें हैं. इन बसों में से दो तो खराब है और दो निजी व्यवस्था के तहत चलायी जा रही है, जिससे कुल कमाई का महज 10 प्रतिशत […]
जहानाबाद (नगर) : बिहार राज्य पथ परिवहन विभाग द्वारा कभी 35 बसों की रवानगी अलग-अलग स्थानों के लिए की जाती थी, लेकिन आज विभाग के पास महज चार बसें हैं.
इन बसों में से दो तो खराब है और दो निजी व्यवस्था के तहत चलायी जा रही है, जिससे कुल कमाई का महज 10 प्रतिशत राजस्व ही विभाग को मिल पाता है. अगर विभाग के परिसर की बात की जाय तो करीब सात एकड़ में फैले जीर्ण-शीर्ण व्यवस्था में अपने जीर्णोद्धार का बाट जोह रहा है. बस डिपो में महज दो-चार गाड़ियां खड़ी मिलेंगी, वो भी चलने की अवस्था में नहीं है.
जो चालक विभाग के द्वारा पदस्थापित किये गये हैं, उनका काम गाड़ी चलाना नहीं है. वे डिपो की दरबानी करते हैं और उनकी भूमिका विभाग में महज एक गार्ड से ज्यादा कुछ भी नहीं है. कभी इस विभाग में 162 कर्मी काम किया करते थे, लेकिन आज केवल नौ कर्मी ही विभाग की शोभा बढ़ा रहे हैं. कर्मी सेवानिवृत्त होते गये, लेकिन नयी बहाली नहीं हुई. वैसे भी इस विभाग को लोगों की जरूरत कहां है, इसके हालात देखने के बाद तो ऐसा ही लगता है. विडंबना तो यह है कि केंद्र से लेकर राज्य तक के सरकारी सेवक छठा वेतनमान पा रहे हैं. वहीं, इस विभाग के कर्मियों को चतुर्थ वेतनमान ही मयस्सर है.