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पहले लाल सलाम, फिर बाबा रणवीर का लगाया था जयकारा

जहानाबाद : महेंदिया थाने के शंकर बिगहा गांव में 25 जनवरी, 1999 की रात कमायत की रात थी. सर्द हवाओं के साथ मौत का मंजर आया था, जिसने दर्जनों लोगों को मौत की नींद में सुला दिया था. उस दर्दनाक हादसे को याद कर लोगों को रोंगटे खड़े हो जाते हैं. गणतंत्र दिवस के ठीक […]

जहानाबाद : महेंदिया थाने के शंकर बिगहा गांव में 25 जनवरी, 1999 की रात कमायत की रात थी. सर्द हवाओं के साथ मौत का मंजर आया था, जिसने दर्जनों लोगों को मौत की नींद में सुला दिया था.
उस दर्दनाक हादसे को याद कर लोगों को रोंगटे खड़े हो जाते हैं. गणतंत्र दिवस के ठीक एक दिन पहले रात के करीब 8:30 बजे 80-85 की संख्या में रणवीर सेना के लोग आये और पूरे गांव को चारों तरफ से घेर लिया था. सभी लाल सलाम का नारा लगा रहे थे. गांव के लोग कुछ समझ पाते, तब तक सूचक प्रकाश राजवंशी व उसके भाई जमुना को लोगों ने पकड़ लिया और दोनों को महली पासवान के दालान पर ला कर धकेल दिया. अंधेरे का फायदा उठा कर सूचक वहां से भाग निकला. इसके बाद ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दी गयीं.
करीब 15 मिनट तक गोलियों की तड़तड़हाट से लोगों की चीख-पुकार तक दब गयी. देखते-ही-देखते गांव में चारों ओर लाशें बिछ गयीं और कई लोग जख्मी हो गये थे. कुछ गवाहों ने अभियुक्तों को पहचाना भी था.
घटना को अंजाम देने के बाद सभी उग्रवादी एक साथ रणवीर बाबा का जयकारा लगाते हुए उत्तर-पूरब दिशा की ओर गांव से निकल भागे. इस नरसंहार में आरोपित बनाये गये लोग धोबी बिगहा गांव में ही काम किया करते थे. इस मामले में पीसाई गांव निवासी सुशील पांडे भी अभियुक्त था, जिसे माओवादियों ने बारूदी सुरंग विस्फोट में उड़ा दिया था.

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