81 लाख खर्च, पर समस्या बरकरार
40 दिनों तक बंद रहने के बावजूद नहीं सुधरी रेलवे पुल की स्थिति खुली नालियां, टूटी सड़कें और घुटने भर गंदे पानी के जमाव के लिए बदनाम रहे राजाबाजार रेलवे अंडरपास ने एक बार फिर बड़ी आबादी को निराश कर दिया है. लाखों रुपये खर्च के बाद भी अंडरपास बदहाल है. 40 दिनों तक बंद […]
40 दिनों तक बंद रहने के बावजूद नहीं सुधरी रेलवे पुल की स्थिति
खुली नालियां, टूटी सड़कें और घुटने भर गंदे पानी के जमाव के लिए बदनाम रहे राजाबाजार रेलवे अंडरपास ने एक बार फिर बड़ी आबादी को निराश कर दिया है. लाखों रुपये खर्च के बाद भी अंडरपास बदहाल है. 40 दिनों तक बंद रहने के बावजूद यहां स्थिति जस की तस बनी है. ऐसे में लोग पुरानी व्यवस्था को ही वर्तमान से बेहतर आंक रहे हैं. स्थानीय निवासियों की माने, तो निर्माण एजेंसी की लापरवाही का यह जीता-जागता नमूना है. डेढ़ महीने तक परेशानी ङोलने के बाद भी मुसीबत से निजात नहीं मिलने से लोगों में आक्रोश है.
जहानाबाद : शहर से गुजरनेवाली दो प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच 83 और एनएच 110) पर जाम का सबब बने राजाबाजार रेलवे अंडरपास की हालत में 40 दिनों के निर्माण कार्य के बाद भी कोई खास सुधार नहीं हुई. जजर्र अंडरपास की मरम्मत कर भले ही फिर से ढलाई कर दी गयी है, लेकिन पुरानी व्यवस्था जस की तस बनी है.
जहानाबाद -अरवल सड़क पर बने इस पुल को शुक्रवार से आवाजाही के लिए खोल दिया गया. फिलहाल इस रोड़ पर खुले नालियों का गंदा पानी बदस्तूर बह रहा है. घुटने तक जलजमाव के कारण अरवल मोड़ से पश्चिम की ओर बसे शहरी इलाके राजाबाजार, वभना, मई-मठिया, दौलतपुर और भरथुआ समेत नगर पर्षद के दूसरे वार्डो में रहनेवाले हजारों लोग इसकी बदहाली पर फिर से आंसू बहा रहे हैं.
81 लाख रुपये किये गये खर्च : जानकारी के मुताबिक एनएच विभाग की ओर से रेलवे अंडरपास को दुरुस्त करने के लिए 81 लाख रुपये की लागत से निर्माण कराने का वर्क ऑर्डर दिया गया था. इसमें पुरानी सड़क की आरसीसी ढलाई को उखाड़ कर नये तरीके से पीसीसी ढलाई की जानी थी. सड़क पर बहनेवाली नालियों को अंडरग्राउंड किया जाना था. फिलहाल रास्ता खुलने के बाद ढलाई तो कमोबेश कर दी गयी है, लेकिन नालियों का बहना अब भी जारी है.
निर्माण कार्य की उपयोगिता पर उठ रहे सवाल : रेलवे द्वारा साल 2012 में पुलिया निर्माण के दौरान आरसीसी ढलाई की गयी थी, जिसे वर्तमान के पीसीसी ढलाई से अधिक मजबूत माना जा रहा है. जानकारों की माने, तो लाखों रुपये फूंकने के बाद भी पुल की हालत में कोई सुधार नहीं होने से निर्माण कार्य की उपयोगिता पर सवाल उठ रहे हैं. गिट्टी-बालू भी सड़क पर ही छोड़ दिये गये हैं.
शुरू नहीं हुआ नाले का निर्माण : एनएच की माने तो नये एस्टिमेट में अंडरपास की ढलाई के साथ ही दोनों किनारे से बहनेवाली खुली नालियों की जगह पक्का नाला निर्माण करने की योजना भी शामिल है. ऐसे में नाले का निर्माण किये बिना पीसीसी ढलाई करने से स्थिति पूर्ववत बनी हुई है. नाले का निर्माण शुरू नहीं होने के पीछे ठेकेदार की नियत पर भी सवाल उठाये जा रहे हैं.
40 दिनों तक बंद रही आवाजाही
रेलवे अंडरपास की उपयोगिता की बात करें, तो इस सड़क से रोजाना सैकड़ों छोटे-बड़े वाहन अरवल-जहानाबाद की ओर आवाजाही करते हैं. ऐसे में पूल की जजर्रता के कारण यातायात व्यवस्था लचर होने का संज्ञान लेते हुए डीएम ने प्रशासनिक पहल की. उनके निर्देश पर एनएच (कार्यकारी एजेंसी) ने अंडरपास की दशा सुधारने का जिम्मा लिया. 15 से लेकर 31 मार्च तक इस रास्ते की मरम्मती के लिए रोकने का आधिकारिक निर्णय लिया गया,
लेकिन तय समय में काम पूरा नहीं होने का हवाला देते हुए इसे 22 अप्रैल तक नाहक ही बंद रखा गया. ऐसे में लगातार हो रही दिक्कतों से आजिज शहरवासियों को इसके उन्नयन को लेकर पुल निर्माण में अपनी बेहतरी दिख रही थी. रास्ता खुलने के बाद रेलवे पुल की नारकीय हालत को देख कर वे भी चिंतित हो गये हैं.