गांव में महज दो से तीन चापाकल हैं, पानी के लिए लगी रहती है काफी भीड़, प्रतिदिन झगड़ती हैं महिलाएं

जल ही जीवन है, जल के बिना जीवन की कल्पना करना भी बेमानी है, लेकिन इस भीषण गरमी के मौसम में जब पानी ही न मिले, तो ऐसे में हालात क्या होंगे, सहज की अंदाजा लगाया जा सकता है. जिले के नोन्ही गांव में सरकारी चापाकलों के अभाव में पेयजल संकट उत्पन्न हो गया है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 8, 2015 7:43 AM
जल ही जीवन है, जल के बिना जीवन की कल्पना करना भी बेमानी है, लेकिन इस भीषण गरमी के मौसम में जब पानी ही न मिले, तो ऐसे में हालात क्या होंगे, सहज की अंदाजा लगाया जा सकता है.
जिले के नोन्ही गांव में सरकारी चापाकलों के अभाव में पेयजल संकट उत्पन्न हो गया है. हालात इस कदर बदतर हो गये हैं कि पानी नहीं रहने के कारण गांव के युवाओं की शादी तक नहीं हो रही है. सरकार द्वारा पेयजल संकट को दूर करने के लिए जलमीनार का निर्माण कराने का निर्णय लिया गया, लेकिन वह भी अतिक्रमणकारियों की भेंट चढ़ गयी.
जहानाबाद (नगर) : हाथों में बालटी, तसला, सुराही व अन्य वर्तन लिये सैकड़ों की संख्या में महिलाएं पानी के लिए आपस में झगड़ा कर रहीं हों, तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि पानी की कितनी जबरदस्त किल्लत है. जिले के काको प्रखंड अंतर्गत नोन्ही गांव में गिने-चुने ही सरकारी चापाकल हैं.
गांव की महिलाएं यही चापाकल पर पानी लेने आती हैं. पानी लेने के लिए महिलाओं, युवाओं व बच्चों की लंबी लाइनें लगी रहती हैं. रविवार को भी पानी के लिए महिलाओं की काफी भीड़ लगी थी. जल्दी पानी लेने की आपाधापी मची थी. इसी आपाधापी में महिलाएं आपस में झगड़ा करने लगीं, जो धीरे-धीरे हिंसक होने की स्थिति में आ गयी, लेकिन ग्रामीणों ने अपनी सूझ-बूझ से मामले को सलटा लिया. हजारों की आबादी वाले इस गांव में पेयजल आपूर्ति के नाम पर सिर्फ दो से तीन सरकारी चापाकल लगे हैं.
सरकार द्वारा एक पानी टंकी का निर्माण का निर्णय लिया गया, लेकिन वह भी अतिक्रमण की भेंट चढ़ गयी. गांव में एक ट्यूबवेल भी है, लेकिन वह भी सिर्फ दिखावे के लिए. पेयजल संकट से जूझ रहे ग्रामीणों को अपनी प्यास बुझाने के लिए या तो सरकारी चापाकल पर निर्भर रहना पड़ता है या डेढ़ से दो किलोमीटर दूर दूसरे गांव से पानी लाने जाना पड़ता है.
जलमीनार निर्माण के लिए किया प्रदर्शन : नोन्ही गांव में पेयजल संकट को देखते हुए स्थानीय जनप्रतिनिधि के प्रयास से सरकार द्वारा एक करोड़ 35 लाख की लागत से जलमीनार निर्माण कराने का निर्णय लिया गया था. इसके लिए टेंडर भी दी गयी तथा निर्माण कंपनी द्वारा सामग्री गिरायी गयी, लेकिन गांव के कुछ परिवारों ने जलमीनार निर्माण के लिए चिह्न्ति जमीन पर झोंपड़ी खड़ी कर दी. इस अतिक्रमण के कारण जलमीनार निर्माण का कार्य बाधित हो गया.
सीओ द्वारा जमीन को अतिक्रमणमुक्त कराने का कार्य किया गया, लेकिन मुक्त नहीं हो सका. इससे गुस्साये ग्रामीणों ने रविवार को जलमीनार स्थल पर जम कर प्रदर्शन किया. सैकड़ों की संख्या में उपस्थित महिला व पुरुष प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए जलमीनार निर्माण कराने की मांग कर रहे थे. ग्रामीणों का कहना था कि गांव में पेयजल संकट रहने के कारण युवाओं की शादी तक नहीं हो रही है.
महिलाओं को प्रतिदिन पानी के लिए झगड़ा करना पड़ता है. अगर गांव में स्थित सरकारी चापाकल खराब हो जाता है, तो डेढ़ से दो किलोमीटर दूर अन्य गांव से पानी लाने जाना पड़ता है.
ग्रामीणों का कहना था कि अगर शीघ्र ही जलमीनार निर्माण का कार्य आरंभ नहीं हुआ, तो ग्रामीणों द्वारा आंदोलन को तेज किया जायेगा. प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों में संतोष कुमार, रविकांत कुमार, रवींद्र प्रसाद, ललन प्रसाद, आशा देवी समेत सैकड़ों महिलाएं व पुरुष शामिल थे.

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