अरवल जिले के 82 में 56 नलकूप खराबी के कारण बंद
अरवल जिले के किसान सिर्फ निजी पंपिंग सेट के सहारे खेती करने को विवश हैं. सरकार के सिंचाई के सारे दावे फेल व शिथिल दिख रहे हैं. किसान महंगे डीजल से सिंचाई करने को मजबूर हैं.
अरवल जिले के किसान सिर्फ निजी पंपिंग सेट के सहारे खेती करने को विवश हैं. सरकार के सिंचाई के सारे दावे फेल व शिथिल दिख रहे हैं. किसान महंगे डीजल से सिंचाई करने को मजबूर हैं. जिससे उन पर आर्थिक बोझ पड़ रहा है. जिले में कई सरकारी नलकूप बंद पड़े हैं, लेकिन इसे चालू कराने को लेकर लघु सिंचाई विभाग पहल नहीं कर रहा है. वर्ष 1972 में सरकारी नलकूप लगाये गये थे, जिसमें नाबार्ड और सिंचाई विभाग ने नलकूप लगाया था. नाबार्ड ने और सिचाई विभाग ने 82 नलकूप लगाये थे. सरकारी नलकूप लगने के कुछ सालों तक तो सबकुछ ठीक-ठाक रहा और लोगों को खेतों में सिंचाई के लिए पानी भी मिला, लेकिन धीरे-धीरे देखभाल व रख-रखाव के अभाव में सभी नलकूप बंद होते चले गये. जिले में जहां नहर से सिंचाई नहीं होती थी उन क्षेत्रों के किसानों के लिए लघु सिंचाई विभाग और नाबार्ड योजना से जिले भर में 82 नलकूप लगाये गये थे. अब ये हाथी के दांत बने हुए हैं. 56 नलकूप यांत्रिक खराबी के चलते बंद हैं. जिले की 70 प्रतिशत आबादी खेती पर निर्भर है, लेकिन किसानों की इस समस्या को लेकर जनप्रतिनिधि ध्यान नहीं देते हैं. किसानों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में नलकूप का मुद्दा उठाया जायेगा. जहां नलकूप ठीक है वहा खेतों तक पानी पहुंचाने वाली नालियां ही नही हैं. बदहाल स्थिति में पहुंच चुके इन सरकारी नलकूपों से किसानों को पानी मिलता है, जबकि जिला प्रशासन वर्षों से नलकूपों को दुरुस्त कराने की बात कह रहा है. एक ओर सरकार खेतों की सिंचाई के लिए खेतों तक बिजली पहुंचा रही है, ताकि किसान कम लागत में बिजली से अपनी फसलों की सिंचाई कर सकें. वहीं दूसरी ओर सिंचाई के लिए दशकों पहले जिले के कई गांवों में लाखों रुपये खर्च कर सरकारी नलकूप स्थापित कराये गये थे, लेकिन अधिकतर बदहाल हैं. सरकार द्वारा दशकों पूर्व स्थापित कराए गए सरकारी नलकूपों से किसानों को उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. जिले के सभी प्रखंडों में डेढ़ दशक से अधिक समय से नलकूप बंद पड़े हैं. किसान पंप सेट के सहारे खेती करने को मजबूर हैं. हजारों एकड़ खेतों की सिंचाई किसान अपने निजी संसाधनों से करते हैं. जिले में राज्य सरकार द्वारा 42 नलकूप लगाये गये थे, जिनमें 27 नलकूप खराब हैं. 15 नलकूप ही चालू स्थिति में हैं. नाबार्ड योजना के द्वारा जिले में 40 नलकूप लगाये गये थे, जिसमें 11 नलकूप ही चालू हैं. अधिकतर नलकूप के मोटर और स्टार्टर जल गये हैं. कुछ नलकूप की मोटर कुएं में गिर गयी हैं. कहीं बिजली नहीं है तो कहीं पानी जाने के लिए नाली ही नहीं है. कई दर्जन गांवों में स्थापित यह नलकूप यांत्रिक व तकनीकी खराबी के चलते वर्षों से बंद पड़े हैं. इन नलकूपों से खेत तक पानी पहुंचाने वाली नालियां भी जीर्ण-शीर्ण दशा में पहुंच गयी हैं. क्षेत्रीय किसान रामजी पंडित, राजीव शर्मा, जयराम सिंह, गोबिंद वर्मा आदि ने बताया कि सरकारी नलकूप 10 वर्षों से खराब होने से किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए तमाम दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं. तमाम सरकारी नलकूपों की बिजली आपूर्ति खराब है. यांत्रिक खराबी के चलते भी यह नलकूप किसानों की मुसीबत का सबब बन गये हैं. किसानों की सिंचाई की समस्या के दूर करने के लिए कोई पहल नहीं कर रहा है. खरीफ और रबी फसल की खेती कर रहे किसानों को फसलों का पटवन करने में आर्थिक संकट से जूझना पड़ता है. इस संबंध में कार्यपालक अभियंता अमित रंजन ने बताया कि स्टीमेट विभाग को भेजा गया है. आदर्श अचार संहिता लागू होने के कारण फाइल लटक गयी है.