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जितने वालें को दिखाना होगा दम

जहानाबाद(नगर) : शुक्रवार को जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्र में मतदान होगा . मतदान के माध्यम से वोटर प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे . पिछले एक महीने से चुनाव को लेकर जिले में अटकलों का बाजार गरम है . मतदाताओं के बीच प्रत्याशियों को लेकर कई तरह की अटकलें लगायी जा रही है . […]

जहानाबाद(नगर) : शुक्रवार को जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्र में मतदान होगा . मतदान के माध्यम से वोटर प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे . पिछले एक महीने से चुनाव को लेकर जिले में अटकलों का बाजार गरम है .

मतदाताओं के बीच प्रत्याशियों को लेकर कई तरह की अटकलें लगायी जा रही है . किस प्रत्याशी को जनता विधानसभा तक भेजेगी इसका फैसला शुक्रवार को होगा . जो प्रत्याशी पांच साल के लिए निर्वाचित होकर विधानसभा जायेंगे उसे जिले के लोगों को विभिन्न समस्याओं से निजात दिलाने के लिए संघर्ष करना होगा . चुनाव के साथ ही जिले के लोगों को नये विधायक से काफी उम्मीदें भी होंगी. शहर में जाम , बिजली , पेयजल , जलजमाव के अलावा कई अन्य समस्याएं हैं .

शहर में जाम का अभिप्राय बना राजाबाजार रेलवे पूल तथा ड्रेनेज व सिवरेज सिस्टम पूरी तरह ध्वस्त है जिसके कारण अधिकांश मोहल्लों में जलजमाव की स्थिती बनी रहती है. वहीं पेयजल की आपूर्ति भी नहीं हो पाता है . शहर के कई मोहल्लों में अब तक जलापूर्ति के लिए पाइप नहीं बिछाये गये हैं .वहीं सड़क किनारे शेड कहीं भी नही बनाया गया है .

मुख्य सड़क पर अतिक्रमण की समस्या भी काफी गंभीर है . वहीं बिजली की समस्या से भी शहरवासियों को दो-चार होना पड़ रहा है . सड़क जाम :शहर की सबसे बड़ी समस्या जाम की है . शहरवासियों को प्रतिदिन जाम की समस्या से जुझना पड़ता है . राजाबाजार रेलवे अंडरपास की चौड़ाई कम रहने के कारण वाहनों के आवागमन में परेशानी होती है .

अंडरपास का निर्माण ब्रिटिश काल में ही हुआ था . ओवरब्रिज निर्माण की मांग वर्षो से चल रही है लेकिन अब तक इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है . पूल का निर्माण :जहानाबाद -काको रोड स्थित अलगना मोड़ के समीप दरधा नदी में पिछले पांच वर्षो से पूल का निर्माण चल रहा है . लेकिन निर्माण कार्य पूरा नहीं होने से लोगों को डायवर्सन के सहारे अपनी यात्रा पूरी करनी पड़ रही है . बरसात के दिनों में कई बार डायवर्सन नदी के तेज धार में बह भी चुका है .

जिसके कारण कई दिनों तक इस मार्ग पर यातायात बाधित रहा है . बाइपास :यातायात व्यवस्था को सुलभ बनाने को लेकर शहर के बाहरी हिस्से में बाइपास निर्माण की मांग वर्षों से चल रही है . बाइपास निर्माण को लेकर सरकार द्वारा योजना भी बनायी गयी तथा भूमि अधिग्रहण भी किये गये लेकिन बाइपास निर्माण की योजना आज भी अधर में लटका हुआ है .

पेयजल :शहरवासियों को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति नहीं हो पाती है . शहर में शुद्ध पेयजल की किल्लत से कई मोहल्ले के लोग जुझ रहे हैं . शहर में 33 वार्ड हैं . अधिकांश वार्डो के घरों में पेयजल आपूर्ति के लिए पाइप नहीं बिछाये गये हैं . कई मोहल्लों में पानी पहुंचता भी है तो वह काफी गंदा होता है . वहीं मोहल्ले में लगे चापाकलों के पानी की शुद्धता की भी जांच नही की जाती है . बिजली:शहर के अधिकांश मोहल्लों में तार की हालत काफी जर्जर है .

जिसके कारण बिजली आपूर्ति प्रभावित होती है . ट्रांसफार्मर बदलने के लिए भी लोगों कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है . नये मोहल्लों में ट्रांसफार्मर नहीं लगाये जाने के कारण इस मोहल्ले के लोग आस-पास के ट्रांसफार्मरों से बिजली ले रहे हैं . अत्यधिक लोड के कारण आये दिन फॉल्ट भी होता रहता है. अतिक्रमण :शहर में अतिक्रमण की समस्या काफी गंभीर है .

मुख्य सड़क के दोनो तरफ अतिक्रमण के कारण सड़क सिमटकर काफी पतली हो गयी है . अतिक्रमण के कारण सड़क पर चलना मुश्किल जान पड़ता है . सड़क के दोनों तरफ फुटपाथी दुकानदारों का कब्जा रहने के साथ ही आड़े -तिरछे वाहनों की पार्किग के कारण पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है.

रैनबसेरा :शहर मे एक भी रैनबसेरा नहीं रहने के कारण गरीबों तथा रिक्शा-ठेला चालकों को आसमान के नीचे अपनी रात बीतानी पड़ती है . दिनभर तो वे कड़ी मेहनत कर अपना समय गुजार लेते हैं लेकिन रात में उन्हे रैनबसेरा के अभाव में कोई जगह नही मिल पाता है . ऐसे में रेलवे प्लेटफार्म पर ऐसे लोगों की भीड़ देखी जाती है .

जलजमाव :जलजमाव की समस्या से शहर के लोग परेशान हैं . शहरवासियों को पीने के लिए शुद्ध पेयजल तो नहीं मिलता है . लेकिन उन्हें जलजमाव की समस्या से जुझना जरूर पड़ता है . शहर के ड्रेनेज व सिवरेज सिस्टम ध्वस्त रहने के कारण अधिकांश मोहल्लों में यह समस्या सालों भर देखने को मिलता है ,

जिससे लोगों को काफी परेशानी होती है.उच्च शिक्षा :शहर में उच्च शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है . सिवाय पीजी की पढ़ाई के उच्च शिक्षा का कोई अन्य माध्यम नहीं होने के कारण छात्र -छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए अन्य प्रदेशों में जाना पड़ता है . इससे उन्हें आर्थिक तथा शारीरिक दोनों परेशानी झेलनी पड़ती है . वहीं उनके अभिभावकों को अतिरिक्त आर्थिक बोझ भी उठाना पड़ता है.

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