खेतो में पड़ी दरारें, किसान दिख रहे परेशान वर्ष 2004 के बाद से छह बार सुखाड़ का दंश झेल चुके हैं किसानकई नलकुप बने हाथी के दांत कुर्था (अरवल). रोहिणी नक्षत्र बीत जाने के काफी दिनों बाद हुई बारिश ने किसानों के चेहरे खिला दिये थे . किसानों ने धान की बुआई भी की. परन्तु धान की फसल पूरी तरह तैयार होने को है परन्तु अंतिम समय में बारिश नहीं होने से किसानों में मायूसी है . पानी के अभाव में खेतों में दरारें पड़ चुकी है. किसान आसमान की ओर आश भरी निगाह से देख रहे हैं . वर्ष 2004 के बाद से ही किसानों को लगातार सुखाड़ का सामना करना पड़ रहा है. आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार 2004 में राज्य के 20 जिलों में सुखाड़ पड़े थे तथा 18 जिले बाढ़ से प्रभावित थे. इससे 80 प्रतिशत फसलों की बर्बादी हुई थी. जबकि वर्ष 2013 में सुखाड़ से 33 जिले सुखाड़ से ग्रस्त थे. हालांकि इस वर्ष किसी तरह फसल तो लग गई, परन्तु तैयार होने के पूर्व ही सुखाड़ की आशंका मंडराने लगी. वहीं रवि फसल की बुआई को लेकर भी किसान चिंतित दिख रहे हैं. समृद्ध किसान तो किसी तरह अपनी फसल बचाने के लिए डीजल पंप सेट का सहारा ले रहे हैं वहीं साधारण किसान भगवान भरोसे फसल को छोड़े हैं. इस बावत किसान संजय यादव , महेश यादव,सुरेंद्र यादव आदि ने संयुक्त रूप से बताया कि पानी के अभाव में फसले सुखने के कगार पर पहुंच गयी . बारिश के इंतजार में फसल बर्बाद हो रहे हैं . वहीं दुसरी तरफ डीजल अनुदान की राशि नहीं मिल सकी है. इससे किसानों को काफी परेशानी हो रही है. प्रखंड कृषि पदाधिकारी देवानंद कुमार ने बताया कि डीजल अनुदान की राशि आ चुकी थी. परन्तु चुनाव के कारण वितरण नहीं हो सका था . सोमवार से डीजल अनुदान की राशि का वितरण किया जायेगा.
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खेतो में पड़ी दरारें, किसान दिख रहे परेशान
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