या हुसैन या अली के नारे से गूंज रही फिजा

या हुसैन या अली के नारे से गूंज रही फिजाआज ताजियों का होगा प्रदर्शन जहानाबाद (नगर) : मुहर्रम के अवसर पर हजरत इमाम हुसैन के माननेवालों ने शुक्रवार की रात चौकी और सिपहर का प्रर्दशन किया. इस दौरान या हुसैन और या अली के नारे से पूरी फिजा गूंजती रही. हजरत इमाम हुसैन के दूत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 23, 2015 8:50 PM

या हुसैन या अली के नारे से गूंज रही फिजाआज ताजियों का होगा प्रदर्शन

जहानाबाद (नगर) : मुहर्रम के अवसर पर हजरत इमाम हुसैन के माननेवालों ने शुक्रवार की रात चौकी और सिपहर का प्रर्दशन किया. इस दौरान या हुसैन और या अली के नारे से पूरी फिजा गूंजती रही. हजरत इमाम हुसैन के दूत हर इमामवाड़ों पर घूमते रहे. या हुसैन या अली के नारे लगाते रहे.

ऐसी मानयता है कि हजरत इमाम हुसैन की शहादत के बाद ये पैक जैसे कासिद इधर-उधर दौड़ कर हजरत इमाम हुसैन को ढूढ़ते फिरते हैं और या हुसैन का नारा लगाते हैं. उसी की याद में पैक आज भी नंगे पांव नंगे सिर कमर में घंटी व गले में हुसैन का पट्टा बांध कर दौड़ते नजर आते हैं. परंपरे के अनुसार दसवीं मुहर्रम के दिन ताजिया इमामबाड़ों से निकलेगा और तय स्थानों से होते हुए राजा बाजार जाकर पियाला पढ़ा जायेगा.

यहां नन्हे शहीद हजरत अली असगर को दूध का पियाला पेश किया जायेगा. इसी दिन छह माह के हजरत अली असगर को एक बूंद पानी मांगने पर यजीदियों ने शहीद कर दिया था. दसवीं मुहर्रम को योम-ए-आशुरा भी कहा जाता है. इस दिन हजरत इमाम हुसैन ने अपने 72 साथियों के साथ यजीद के गलत रविश के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए शहीद हो जाना गंवारा किया, लेकिन उसके आगे झुकना गंवारा नहीं किया था.

इस दिन मुसलमान भाई रोजा रखते हैं और कुरान की तिलावत करते हैं, साथ ही हुसैन को शिद्दत से याद करते हैं. इधर, काको प्रतिनिधि के अनुसार काको बाजार तथा पाली में दिन भर पैकों का दौड़ जारी रहा.

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