यौम-ए-आशुरा पर लोगों ने रखा रोजा

यौम-ए-आशुरा पर लोगों ने रखा रोजाताजियों की हुई नोमाइश, पढ़ा गया प्यालादेर रात ताजियों और अलम का हुआ पहलनिकला जुलूस व अखाड़ाफोटो- जहानाबाद(नगर). शाम-ए-गरीबॉ के बाद आज यौम-ए-आशुरा पर लोगों ने रोजा रखकर हजरत इमाम हुसैन को शिद्दत से याद किया. यौम-ए- आशुरा के दिन ही हजरत इमाम हुसैन अपने बहत्तर साथियों के साथ शहीद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 24, 2015 6:33 PM

यौम-ए-आशुरा पर लोगों ने रखा रोजाताजियों की हुई नोमाइश, पढ़ा गया प्यालादेर रात ताजियों और अलम का हुआ पहलनिकला जुलूस व अखाड़ाफोटो- जहानाबाद(नगर). शाम-ए-गरीबॉ के बाद आज यौम-ए-आशुरा पर लोगों ने रोजा रखकर हजरत इमाम हुसैन को शिद्दत से याद किया. यौम-ए- आशुरा के दिन ही हजरत इमाम हुसैन अपने बहत्तर साथियों के साथ शहीद हो गये थे. इनमें जवान, बुढ़े और बच्चे भी शामिल थे. इस दिन लोगों ने खिचड़ा और मीठी पकवान बनाकर इमाम पर फातेहा पढ़ा. दूसरी तरफ हुसैनी नौजवानों ने ताजिया सिपहर और अलम की नोमाईश की साथ ही स्थानीय राजाबाजार जाकर प्याला पढ़ा. इस अवसर पर लोग या हुसैन या अली के नारे लगाते रहे. आज पुन: दोपहर ताजिया और अलम इमामवाड़ों से निकलेगा जो देर रात तक करबला पहुंच कर पहलाम होगा. यौम-ए-आशुर के दिन ताजिया और अलम का जुलूस निकाला गया. इस अवसर पर निश्चित स्थान पर अखाड़ा का आयोजन किया गया. जिसमें अखाड़ा के उस्तादों और खिलाडि़यों ने पहले उस्तादों को सलामी दी. उस्तादों ने अपने उत्कृष्ट खेल की नुमाइश कर लोगों का दिल मोह लिया. जहानाबाद के लगभग हर मुहल्ले से अखाड़ा निकाला जिसमें खिलाडि़यों ने अपने करतब दिखाये. बताते चलें की, आज से लगभग 1376 साल पहले मुहम्मद साहेब के नवासे हजरत इमाम हुसैन ने मानवता, अमन एवं इंसाफ के लिए अपना भरा घर कुरबान कर दिया था. सत्यता के प्रतीक ये 72 मौजाहिद करबला में दरिया के किनारे शहीद कर दिये गये थे. छ: माह के बच्चे अली असगर के गले पर भी तीर मारा गया. सदियां बीत गयी लेकिन मानवता के इतिहास के ये दर्दनाक घटना दर्दमन्द दिलों में आज भी ताजा है. शहर के शिवा जी पथ , अरवल मोड़ , फिदाहुसैन मोड़ आदि स्थानों पर मुस्लमान भाइयों ने जमकर अखाड़े लड़ाये . इस दौरान खिलाडि़यों ने लाठी व तलवार का करतब दिखा लोगों को अचंभित कर दिया . वहीं काको प्रखंड के पाली में मुहर्रम के मौके पर लोगों ने या हुसैन के नारे लगाये . मुहर्रम के मौके पर देश -विदेश में रहने वाले मुसलमान भाई यहां पहुंच यह पर्व मनाते हैं. वहीं सदर प्रखंड के मांदिल गांव में मातम का पर्व हिन्दु परिवार भी मनाते हैं. हिन्दु परिवार के लोगों द्वारा ताजिया का निर्माण किया जाता है तथा अखाड़े का भी आयोजन किया जाता है . अखाड़े में हिन्दु तथा मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग अपना जौहर दिखाते हैं.

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