हर समय मंडरा रहा मौत का साया

जहानाबाद : शहर से होकर गुजरनेवाली एनएच 83 हो या निचली रोड का इलाका सभी जगहों पर बिजली के वायर लूज हालत में हैं. राष्ट्रीय राजमार्ग पर कलेक्ट्रेट से लेकर काको रोड स्थित पावर सब स्टेशन तक 33 हजार केवीए और 11 हजार केवीए का केबुल गुजरा है वो भी सड़क के बीचोबीच से जो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 6, 2015 5:43 AM

जहानाबाद : शहर से होकर गुजरनेवाली एनएच 83 हो या निचली रोड का इलाका सभी जगहों पर बिजली के वायर लूज हालत में हैं. राष्ट्रीय राजमार्ग पर कलेक्ट्रेट से लेकर काको रोड स्थित पावर सब स्टेशन तक 33 हजार केवीए और 11 हजार केवीए का केबुल गुजरा है वो भी सड़क के बीचोबीच से जो जनमानस के लिए खतरा साबित हो रहा है.

यह स्थिति यहां कभी भी भीषण हादसे को निमंत्रण दे रहा है. इतना ही नहीं शहर के कुछ स्थानों पर जैसे शिवशंकर सिनेमा हॉल, अरवल मोड़ सहित कई स्थानों पर 33 हजार के बिजली पोल से एलटी तार को लगा दिया गया है

जिसमें टोका फंसाकर कई लोग अपने घरों तक बिजली ले गये हैं. जानकार बताते हैं कि एलटीतार की व्यवस्था बिजली उपभोक्ताओं को घर के पास रहनी चाहिए थी. लेकिन ऐसा नहीं रहने से कई प्रमुख स्थानों पर बिजली के प्रवाहित केबुल उपर से सड़क को क्रॉस कर मोहल्ले के घरों तक ले जाया गया है.

बनी रहती है दुर्घटना की आशंका:
इस स्थिति से शहर में सदैव बड़ी घटना की आशंका बनी रहती है. एनएच से कई ओवर लोड वाहनों का गया-पटना के लिए आवागमन होता है. पूर्व के दिनों में कई बार दुर्घटना हो चुकी है.
ओवर लोड ट्रक में तार फंसकर टूट चुके हैं बीच सड़क पर पोल रहने से बड़े वाहन के धक्के से पोल और तार टूट चुके हैं. जिसकी कई प्राथमिकी यहां नगर थाने में दर्ज है. यह तो संयोग है कि पोल और तार टूटने की घटनाएं रात में होती है. यदि दिन में कभी ऐसी दुर्घटना हुई तो असमय कई लोग काल के गाल में समा सकते हैं.
शहर के दरधा नदी पुल से दक्षिण लूज वायर की स्थिति थोड़ी ठीक है पर काको मोड़ से लेकर हॉस्पीटल मोड़ तक लटके वायर से लोग आशंकाओं के बीच रहते है.
विशेष आयोजन पर बंद कर दी जाती है आपूर्ति: केबूल की लूंज-पूंज व्यवस्था रहने से किसी भी विशेष आयोजन पर शहर में बिजली की आपूर्ति बंद कर दी जाती थी. जैसे दशहरे के बाद प्रतिमा विसर्जन को लेकर निकलने वाली शोभा यात्रा या मुहर्रम जुलूस के वक्त दुर्घटना की आशंका को देखते हुए बिजली तब तक बंद कर दी जाती है जबतक प्रतिमा या ताजिया जुलूस का विसर्जन समापन नहीं हो जाता.

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