जहानाबाद : करोड़ों रुपये की लागत से सदर अस्पताल का निर्माण इस उद्देश्य से कराया गया था कि जिले के जरूरतमंद लोगों को इलाज की समुचित सुविधाएं मिलेंगी. जरूरी दवाएं मरीजों को दी जायेंगी. खास कर गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार के लोगों को इलाज के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा. लेकिन, इन आशाओं के अनुरूप यह सदर अस्पताल नहीं उतर रहा है. हमेशा कई तरह की समस्याओं से सदर अस्पताल जुझता रहा है.
यदि किसी को सिर में गंभीर चोट लग गयी है या कोई दुर्घटना में घायल हो जाये, हिंसा की घटना में धारदार हथियार या गोली लगने से यदि कोई घायल हो तो इस सदर अस्पताल में प्राथमिक उपचार की सिर्फ खानापूरी की जाती है. इन सारे हालात में मरीजों को सीधे पीएमसीएच रेफर कर अपना पल्ला झाड़ लिया जाता है. इसका कारण कहा जाता है संसाधनों और जीवन रक्षक दवाओं की कमी.
अस्पताल में कई बार हुआ है हंगामा : अक्सर सदर अस्पताल के डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों को मरीजों के परिजनों का आक्रोश झेलना पड़ा है. समुचित इलाज नहीं होने के मुद्दे पर कई बार हंगामा भी हुआ है. तोड़फोड़ भी की गयी है. परिजनों का गुस्सा इतना खतरनाक रूप धारण कर लेता है कि ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर व कर्मी हंगामा होने पर भाग जाते हैं. अभी हाल ही में करेंट लगने से टेहटा के एक युवक रौशन कुमार का इलाज के दौरान हुई मौत पर जम कर हंगामा मचा था. गुस्साये लोगों ने पथराव किया था और इमरजेंसी वार्ड में तोड़फोड़ की थी.
लगातार बढ़ रही मरीजों की संख्या : ठंड का मौसम शुरू होते ही तरह -तरह की बीमारियों से लोग ग्रस्त होने लगे हैं. सदर अस्पताल में मरीजों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है. पिछले चार दिनों के आंकड़े बताते हैं कि औसतन 50 मरीज प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं.
20 नवंबर को 573, 21 नवंबर को 617, 23 नवंबर को 769 और 24 नवंबर को 800 से अधिक मरीज आउटडोर और इनडोर में निबंधित किये गये. ओपीडी सेवा के दौरान मरीजों की जांच कर रहे डाॅ चंद्रशेखर और डाॅ मुक्तेश्वर मिश्रा ने बताया कि ठंड की वजह से सरदी, खांसी, बुखार, निमोनिया और रक्तचाप से ग्रसित मरीजों की संख्या अधिक है. इन बीमारियों से ग्रसित 315 लोगों को 12:30 बजे दिन तक ये दोनों चिकित्सक देख चुके थे.
दवाओं की है घोर कमी : सदर अस्पताल में जीवन रक्षक दवाइयों की घोर कमी है. करीब 50 फीसदी दवा है ही नही. खबर के अनुसार इनडोर मेडिसिन लिस्ट के अनुसार मरीजों को 112 किस्म की दवाएं उपलब्ध करानी हैं.
इनमें मात्र 65 किस्म की दवाइयां ही उपलब्ध हैं. जीवन रक्षक 47 प्रकार की दवाएं मरीजों को नहीं मिल रही हैं. यहीं स्थिती ऑउटडोर मेडिसिन की है. लिस्ट के मुताबिक ऑउटडोर उपचार के तहत 33 में से 16 किस्म की दवाएं ही सदर अस्पताल में फिलहाल उपलब्ध हैं, जो शासन-प्रशासन के लिए गंभीर मसला है.
बाजार से खरीदनी पड़ती है दवा :
ऐसी हालत में कई जरूरतमंद लोगों को बाजार के मेडिकल स्टोर से दवा खरीदनी पड़ती है. पुरजे पर लिखी गयी दवा लेने जब काउंटर पर मरीज जाते हैं, तो उन्हें अस्पताल के काउंटर से सभी दवाएं नहीं मिलतीं. बाहर से खरीदने की सलाह दी जाती है.
एंटी स्नेक वेनम भी नही : यदि किसी को विषैले सांप ने डस लिया, तो इसका उपचार जहानाबाद सदर अस्पताल में फिलहाल संभव नहीं है. यदि सांप काटा कोई मरीज यहां उपचार की उम्मीद लेकर आयेगा तो उसकी जान जा सकती है. इसका कारण है एंटी स्नेक वेनम का अस्पताल में उपलब्ध नहीं रहना. विगत एक सप्ताह से यह दवा है ही नहीं.
भटक रहे हैं नेत्र रोग से पीड़ित मरीज : कई बुजुर्ग महिला और पुरुष मरीज ऐसे हैं, जो नेत्र रोग से पीड़ित हैं. तसल्ली के लिए डॉक्टर उन्हें देख कर दवा का पुरजा थमा देते हैं, पर उन्हें अस्पताल से दवा नहीं मिलती. दरअसल मोतियाबिंद से पीड़ित मरीजों को ऑपरेशन की जरूरत बतायी जाती है, पर कई महीने से शिविर नहीं लगने के कारण नेत्र रोगी भटक रहे हैं.