साथी को खोकर गमगीन हुआ विनयन आश्रमफोटो-09,10
साथी को खोकर गमगीन हुआ विनयन आश्रमफोटो-09,10 जहानाबाद. परिवर्त्तन की लड़ाई लड़ रहे जन मुक्ति आंदोलन से जुड़े साथियों ने अपने एक और जुझारू साथी को खो दिया है. विचारों की लड़ाई में साथ रहे डाॅ. बीडी शर्मा (ब्रहम्देव शर्मा) की मौत की खबर मिलते ही साथियों के बीच मातम छा गया. संस्था के केंद्र […]
साथी को खोकर गमगीन हुआ विनयन आश्रमफोटो-09,10 जहानाबाद. परिवर्त्तन की लड़ाई लड़ रहे जन मुक्ति आंदोलन से जुड़े साथियों ने अपने एक और जुझारू साथी को खो दिया है. विचारों की लड़ाई में साथ रहे डाॅ. बीडी शर्मा (ब्रहम्देव शर्मा) की मौत की खबर मिलते ही साथियों के बीच मातम छा गया. संस्था के केंद्र नवादा आश्रम में साथियों ने नम आंखों से श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए एक संकल्प सभा का भी आयोजन किया. डाॅ. बीडी शर्मा का जीवन गरीब-गुरबों की भलाई में बीता. उक्त बातें संकल्प सभा में पहुंचे माननीय मंत्री कृष्णनंदन वर्मा ने कही. वहीं सभा में पहुचे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने भी शर्मा की मौत पर गहरी संवेदना जताते हुए संकल्प सभा में अपने उद्गार व्यक्त किये. वक्ताओं ने कहा कि डाॅ. विनयन के विचारों से प्रभावित होकर शर्मा ने परिवार की परवाह किये बगैर समाज को तबज्जो दिया. वे दलितों, शोषितों, आदिवासियों की लड़ाई को संवैधानिक पद पर रहने के बावजूद लड़ते रहे. गैर-बराबरी, किसानों की हकदारी, शराबबंदी, हक -हकूक की लड़ाई ग्राम स्वराज की स्थापना जैसे मुद्दों पर खुल कर लड़ाई लड़ी. 1956 बैच के आइएएस अधिकारी रहे डाॅ. शर्मा का संपूर्ण जीवन सादगी में बीता. हालांकि बाद के दिनों में वे भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देकर भारत जन आंदोलन का निर्माण किया. वे संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे. शर्मा की मुलाकात विनयन से उस वक्त हुई थी. जब वे एक अधिकारी के तौर पर अरवल में हुए एक नरसंहार की पड़ताल करने पहुंचे थे. इसी क्रम में बीडी शर्मा की भावना विनयन के संगठन से जुड़ गयी. डाॅ. विनयन से बिछड़ने के बाद भी उनकी समाधि को नमन करने उनके पूण्यतिथि पर नवादा आश्रम वे आते रहे. अब शर्मा की यादें भी उनके साथियों को सालता रहेगा. सैकड़ों साथियों ने संकल्प सभा में शरीक होकर उन्हें श्रद्धांजलि दी. सभा में पुष्पेंदू, संत प्रसाद, विंदेश्वर पासवान, परमहंस राय, सुरेश यादव समेत कई लोग शामिल थे. कौन थे बी डी शर्मा 1931 को ग्वालियर में जन्मे डाॅ. बीडी शर्मा की शिक्षा-दीक्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से हुई. पिलानी कॉलेज में पढ़ाने के बाद गणित में डाॅक्टरेट की डिग्री ली. 1956 में सीधे अखिल भारतीय प्रतियोगिता परीक्षा से आइएएस बने. कलक्टर से लेकर सचिव स्तर तक का व्यापक अनुभव समेटे डाॅ. शर्मा का सरकार से विवाद और टकराव तक हुआ. गृह मंत्रालय में भी रहे. मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के सचिव भी रहे. परन्तु नीति और व्यवहार के बीच की खाई की अनदेखी कर औपचारिक कार्रवाईयों से लोगों की भलाई की. समय से पहले 1981 में भाप्रसे त्यागपत्र दे दिया. आदिवासी अंचल में नाटे-ना-राज आंदोलन के तले काम शुरू किया. फिर भारत जनआंदोलन उभरा और डाॅ. विनयन के साथ मिलकर गरीब-गुरबाें की लड़ाई लड़ते रहे.