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गरम कपड़ों की बक्रिी से गुलजार हो रहे बाजार

गरम कपड़ों की बिक्री से गुलजार हो रहे बाजार डिमांड. चीफ एंड वेस्ट आइटम की है ज्यादा डिमांड ,स्वेटर, जैकेट व विंटर टी शर्ट युवाओं की है पसंद वेस्ट बेंगाल गंजी और पाजामे की खूब हो रही है बिक्री रेडिमेड कपड़ों ने ऊन के व्यवसाय पर डाला है खासा असर फोटो- इंट्रो. विगत तीन दिनों […]

गरम कपड़ों की बिक्री से गुलजार हो रहे बाजार डिमांड. चीफ एंड वेस्ट आइटम की है ज्यादा डिमांड ,स्वेटर, जैकेट व विंटर टी शर्ट युवाओं की है पसंद वेस्ट बेंगाल गंजी और पाजामे की खूब हो रही है बिक्री रेडिमेड कपड़ों ने ऊन के व्यवसाय पर डाला है खासा असर फोटो- इंट्रो. विगत तीन दिनों से कोहरे नहीं होने से लोगों को थोड़ी राहत जरूर है लेकिन ठंड बढ़ने से शहर के बाजार की दुकानें, ऊनी वस्त्रों, कंबल, रूई और ऊन से पटी है. जहां खरीदारों की भारी भीड़ लग रही है. बाजार में गरीब, मध्यमवर्गीय और अमीर वर्ग के लोगों की इच्छा के अनुरूप गरम कपड़े उपलब्ध हैं पर ज्यादा मांग है. सस्ते और अच्छे (चीफ एंड वेस्ट) सामानों की. ब्रांडेड आइटम के खरीदारों की भी कमी नहीं है. जहानाबाद. ठंड के बढ़ने के साथ-साथ गरम कपड़ों की ब्रिकी बढ़ गयी है. इस पर महंगाई का कोई असर नहीं है. हरेक वर्ग के लोग अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार ऊनी वस्त्रों की खरीदारी कर रहे हैं. शहर के मुख्य बाजार हों या गलियों की दुकानें लगभग सभी प्रतिष्ठानों में प्रतिदिन खरीदारों की भीड़ लग रही है. विभिन्न प्रकार के ब्रांडेड, नन ब्रांडेड जैकेट, स्वेटर, ब्लेजर, महिलाओं के लिए कारडिगन के अलावा कंबल की बिक्री हो रही है. रेडिमेड ने ऊन व्यवसाय पर डाला असर. पहले ठंड के दस्तक देने के एक-दो माह पूर्व से ही स्वेटर, दास्ताने, र्स्काप सहित अन्य आइटम बुनने के लिए ऊन की खरीदारी की जाती थी लेकिन अब इसमें भारी गिरावट आयी है. रेडिमेड सामान उपलब्ध रहने से ऊन व्यवसाय पर 60 फीसदी तक असर पड़ा है. जो व्यवसायी ऊन का कारोबार करते थे अब वे काफी कम मात्रा में ऊन लाते हैं. फैंसी जैकेट की है डिमांड. फैशन के इस दौर में गारंटी की इच्छा न करें. इस बात को जानते हुए इस ठंड में फैंसी जैकेट की मांग ज्यादा है. युवाओं में विंटर टी शर्ट के अलावा स्वेट (टोपीयुक्त जैकेट) जैकेट खरीदने की होड़ है. कई दुकानों में फैंसी जैकेट की पहली खेप लगभग समाप्त हो गयी है. दुकानदार डिमांड को देखते हुए और माल मंगवा रहे हैं. कंबल के आगे रजाई का कारोबार फीका.शहर के अलावा ग्रामीण इलाके से प्रतिदिन हजारो लोग यहां बाजार करने आते हैं. इस मौसम में पहले रजाई बनवाने की होड़ रहती थी लेकिन इस बार इसमें कमी है. कारण कहा जाता है कंबल के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ना. इस ठंड में दुकानों में एक सौ रुपये से लेकर तीन हजार रुपये तक के कंबल उपलब्ध हैं. अपनी -अपनी क्षमता के मुताबिक लोग खरीदारी कर रहे हैं. क्या कहते हैं दुकानदार. ठंड बढ़ने के साथ ही गरम कपड़े की बिक्री हो रही है. ब्रांडेड के अलावा नन ब्रांडेड सामान तो हैं लेकिन ज्यादातर खरीदारों की पहली पसंद है सस्ता और बढ़िया सामान. अंगूरा कंपनी के स्वेटर ज्यादा बिक रहे हैं. हर वर्ग के खरीदारों के मुताबिक ऊनी वस्त्र उपलब्ध हैं. आतम, ओसवाल, मौंटेकार्लो और अंगूरा कंपनी के सामान उपलब्ध हैं. धनंजय कुमार, कारोबारी, मेन रोड जहानाबाद, पहले 60-70 बोरा ऊन की बिक्री कर लेते थे लेकिन अब आठ बोरे ऊन की भी खपत नहीं होती. कारण है बाजार में रेडिमेड ऊनी कपड़ों का उपलब्ध रहना. लोग ऊन की खरीदारी कम कर रहे हैं. संजय कुमार, ऊन व्यापारी, शिवाजी पथ मोड़ जहानाबाद ब्रांडेड माल की डिमांड है. नव ब्रांडेड स्वेटर और जैकेट की ज्यादा बिक्री हो रही है. बेस्ट बंगाल, अंडर गारमेंटस की मांग अधिक है. हर तरह के रेंज के सामान उपलब्ध है. राज कुमार, रेडिमेड के विक्रेता,खंचियो टोला जहानाबाद बच्चों का स्वेटर खूब बिक रहा है. महिलाएं कारडिगन की खरीदारी कर रही हैं. नन ब्रांडेड वस्त्र की मांग अधिक हैं. बच्चों के लिए टोपी और सॉक्स(मोजा) महिलाएं ज्यादा खरीद रही हैं. ब्रांडेड कंपनियों के बजाय लोकल ब्रांड के कारडिगन बिक्री में आगे है. मो. जाहिद रेडिमेछ दुकानदार, मेन रोड जहानाबाद ज्यादातर कपास रूई से रजाई-तोसक बनाए जा रहे हैं. रेक्रॉन और राजस्थानी रूई की मांग कोई खास नहीं है. कंबल की बिक्री से रजाई बनवाने के धंधे को धक्का लगा है. मो. सेराज रूई के व्यवसायी दुकानों में उपलब्ध समानों की कीमत 1. ब्रांडेड स्वेटर 500 से 2500 रुपये 2. ब्रांडेड जैकेट 1500 से 2500 3. ब्लेजर 2000 से 25004. लोकल स्वेटर 200 से 7005. लोकल जैकेट 700 से 1500 6. लेडी कारडिगन 600 से 2500 7. वीनस ऊन 400 रुपये प्रति किलो 8. सॉफ्ट इन स्मार्ट ऊन 900 रुपये प्रति किलो 9. लैंव हेयर ऊन 2600 रुपये प्रति किलो 10.रेक्रॉन रूई 140 रुपये प्रति किलो 11. कपास रूई 120 रुपये प्रति किलो 12. राजस्थानी रूई 150 रुपये किलो

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