खेल से सद्भाव व देशप्रेम का होता है नर्मिाण : प्रो अरुण

खेल से सद्भाव व देशप्रेम का होता है निर्माण : प्रो अरुण कैंपस पेज के लिएखेल में होता है अनुशासन, धैर्य, साहस, सहयोग,शिष्टाचार तथा आपसी एकता खिलाड़ियों के बीच पुरस्कार वितरितफोटो – 4जहानाबाद नगर. मानस इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल दक्षिणी के खेल परिसर में वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता के अवसर पर पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 19, 2016 6:29 PM

खेल से सद्भाव व देशप्रेम का होता है निर्माण : प्रो अरुण कैंपस पेज के लिएखेल में होता है अनुशासन, धैर्य, साहस, सहयोग,शिष्टाचार तथा आपसी एकता खिलाड़ियों के बीच पुरस्कार वितरितफोटो – 4जहानाबाद नगर. मानस इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल दक्षिणी के खेल परिसर में वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता के अवसर पर पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन मानस इंटरनेशनल एजूकेशनल फाउंडेशन के चेयरमैन प्रो अरुण कुमार सिन्हा ने किया. उन्होंने कहा कि पुराने जमाने में एक कहावत थी पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे होगे खराब. आज यह कहावत बिल्कुल फेल हो गया है. आज खेल में भी छात्र-छात्राओं के लिए अच्छा कैरियर है. जिससे उच्च प्रतिष्ठा के साथ साथ आर्थिक मजबूती भी मिलती है. प्रो सिन्हा ने कहा की खेल से सद्भावना व देशप्रेम का निर्माण होता है. इस प्रकार का आयोजन सभी जगहों पर होनी चाहिए ताकि लोग संगठित होकर आपसी सद्भावना के साथ एक दूसरे की मदद कर सकें. खेल के मैदान में अनुशासन, धैर्य, साहस, सहयोग,शिष्टाचार तथा आपसी एकता देखने को मिलता है. खेल से केवल शारीरिक विकास ही नहीं बल्कि मानसिक विकास भी होता है. उन्होंने कहा कि एक बार किसी भारतीय ने स्वामी विवेकानंद से गीता के रहस्य के बारे में पूछा. स्वामी जी ने उस व्यक्ति को गीता का ज्ञान और विज्ञान जानने से पहले खेल के मैदान में जाकर फुटबॉल खेलने को कहा. क्योंकि जो व्यक्ति प्रश्न किया था वह शारीरिक रूप से दूर्बल था. उसे ज्ञान हासिल करने के लिए मानसिक विकास की जरूरत थी जो खेल से ही संभव है. इस अवसर पर मैत्री क्रिकेट मैच का आयोजन भी किया गया. प्रो सिन्हा द्वारा विजेता एवं उपविजेता को शिल्ड एवं कप देकर सम्मानित किया गया. जबकि अन्य खिलाड़ीयों को गोल्ड, सिलवर एवं कांस्य पदक से सम्मनित किया गया. इस अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य मृत्युंजय कुमार ने कहा कि खेल शिक्षा में भी शिक्षक को विशेष रुचि रखने को जरूरत है ,ताकि छात्रों का खेल के प्रति रुचि बढ़े. कार्यक्रम का समापन राष्ट्रीय गान के साथ हुआ.

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