नयी उत्पाद नीति : शराब के बाद ताड़ी की बिक्री पर प्रतिबंध से पियक्कड़ परेशान
बदला-बदला है शहर का माहौल, थमा शोर जहानाबाद : पहले नीम अब ऊपर से करैला ऐसी कड़वाहट महसूस कर रहे हैं वैसे लोग जो नशा करने के शौकीन हैं. जिनमें नशे की बुरी लत लगी हुई है. राज्य सरकार की एक अप्रैल से लागू नयी उत्पाद नीति के तहत देसी और मसालेदार शराब की बिक्री […]
बदला-बदला है शहर का माहौल, थमा शोर
जहानाबाद : पहले नीम अब ऊपर से करैला ऐसी कड़वाहट महसूस कर रहे हैं वैसे लोग जो नशा करने के शौकीन हैं. जिनमें नशे की बुरी लत लगी हुई है. राज्य सरकार की एक अप्रैल से लागू नयी उत्पाद नीति के तहत देसी और मसालेदार शराब की बिक्री तो पूरे जिले में बंद है फिलहाल जहानाबाद नगर पर्षद क्षेत्र में भी अंगरेजी शराब नहीं मिलने से पियक्कड़ों में बेचैनी देखी जा रही है. हां, शराबबंदी से माहौल बदला-बदला-सा जरूर दिख रहा है.
अब ताड़ी की बिक्री पर भी प्रतिबंध लग जाने से इस व्यवसाय से जुड़े लोगों और पियक्कड़ों पर मानों पहाड़ टूट पड़ा है. उनमें मायूस सी छा गयी है. लेकिन, नशे से कोसों दूर रहनेवाले लोग सरकार के इस निर्णय की भी प्रशंसा कर रहे हैं.
हालांकि ताड़ी की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के निर्देश के बावजूद पूर्व की भांति रविवार को ताड़ी की बिक्री जोरों पर रही. ऐसा माना जा रहा है कि व्यापक लोगों को इस सरकारी आदेश की जानकारी नहीं है. लेकिन, रविवार को ताड़ी की बिक्री पर रोक लगाने संबंधी जानकारी लोगों को हो चुकी है और इस व्यवसाय से जुड़े लोग सतर्क हो गये हैं.
शुरू होगा छापेमारी अभियान : जिले के शहरी और ग्रामीण इलाके में ताड़ी का व्यवसाय करनेवालों के विरुद्ध उत्पाद विभाग के द्वारा सघन छापेमारी अभियान चलाया जायेगा. जहां चाहे ताड़ी बेच दी, वहीं पर बैठ कर पी ली. गैलनों में भर कर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ताड़ी पहुंचा दी. ट्रेनों की खिड़कियों में खुलेआम टांग कर ताड़ी गया-पटना तक पहुंचा दी. ये सब अब नहीं चलेगा. क्योंकि ताड़ी का व्यवसाय प्रतिबंधित हो गया है. जहानाबाद के एक्साइज सुपरिटेंडेंट विनोद कुमार झा ने बताया कि सरकार के आदेश का जिले में सख्ती से पालन होगा. ताड़ी का कारोबार करनेवाले पकड़े जायेंगे. ताड़ी जब्त की जायेगी उसकी जांच होगी कि उसमें नशीला पदार्थ तो नहीं मिलाया गया है.
शराबबंदी से बदली शहर की सूरत : नयी उत्पाद नीति लागू हुए तीन दिन बीत गये. नगर पर्षद क्षेत्र में अंगरेजी शराब या बियर की बिक्री नहीं हो रही है. सरकारी दुकानें नहीं खुली हैं. इन स्थितियों से शहर का माहौल बदला-बदला-सा दिख रहा है. आदतन नशे के शौकीन लोग भले बेहद परेशान हैं, लेकिन संभ्रांत लोगों में सुकून है. फिलहाल शहर बेहद शांत है. आम तौर पर देखा जाता था कि शहर के लगभग सभी नुक्कड़ों पर पियक्कड़ों की हरकत से माहौल खराब रहता था.
सड़क किनारे, ठेले और गुमटियों के पास भीड़ दिखती थी. देसी-विदेशी शराब दुकानों पर और उसके आसपास के इलाके में अशांति-सा माहौल रहता था. अफरा-तफरी और शोर-शराबे का आलम व्याप्त रहता था. ऐसी स्थिति में संभ्रांत लोग खास कर महिलाएं उस रास्ते से गुजरने में झिझक महसूस करती थी. लेकिन, अब स्थिति बिल्कुल विपरीत है.
जो आदतन शराबी हैं वे भले ही परेशान हैं और ऊंचे दाम देने को तैयार हैं, लेकिन उन्हें दारू नहीं मिल रही है. शहर का अस्पताल मोड़, स्टेशन रोड, अरवल मोड़ और कोर्ट एरिया जहां पियक्कड़ों की गतिविधि से रात 11 बजे तक शोर-गुल का माहौल रहता था वहां अब रात आठ नौ से ही सन्नाटा पसर जाता है.