24 घंटे बाद भी प्राथमिकी दर्ज नहीं
लापरवाही. पर्याप्त सबूत के बाद भी पुलिस न गाड़ी मालिक का पता कर रही और न ही चालक का मामला कार से कुचल कर मरे इंजीनियरिंग के दो छात्रों का मल्लिक टोला में पसरा है मातमी सन्नाटा मसौढ़ी : पटना-गया एनएच 83 पर धनरूआ के नीमा गांव के पास सोमवार को एक कार से आरपीएस […]
लापरवाही. पर्याप्त सबूत के बाद भी पुलिस न गाड़ी मालिक का पता कर रही और न ही चालक का
मामला कार से कुचल कर मरे इंजीनियरिंग के दो छात्रों का
मल्लिक टोला में पसरा है मातमी सन्नाटा
मसौढ़ी : पटना-गया एनएच 83 पर धनरूआ के नीमा गांव के पास सोमवार को एक कार से आरपीएस इंजीनियरिंग कॉलेज, पटना के दो छात्रों की हुई मौत की गुत्थी अब तक नहीं सुलझ सकी है. इस मामले में पुलिस फिलहाल उक्त कार के मालिक की तलाश में जुटी है. इस संबंध धनरूआ के थानाध्यक्ष लाल मोहन सिंह ने बताया कि गाड़ी किसकी है, इसका अब तक पता नहीं चल सका है. पुलिस इस दिशा में जांच कर रही है.
इस संबंध में मृतक के परिजनों द्वारा पीएमसीएच में फर्द बयान दर्ज कराया गया है. बयान की काॅपी आने के बाद प्राथमिकी दर्ज की जायेगी. इधर, उक्त कार में शराब की खाली बोतल और मिक्चर का पैकेट मिलने के बावजूद पुलिस के इनकार से कई सवाल खड़े हो गये हैं. सूत्रों की मानें, तो उक्त गाड़ी गया के किसी जुडिसियल मजिस्ट्रेट के होने पर पुलिस इस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है.
बता दें कि उक्त कार में एसबीआइ की एक पासबुक भी मिली है, जो बुद्धा कॉलोनी, पटना के होस्पिटो इंडिया के नजदीक राजशेखर आपार्टमेंट बी–110 के रहनेवाले संजीव कुमार राय की है. इतने सबूत होने के बाद भी पुलिस अब तक न गाड़ी मालिक का पता कर पायी है और न ही चालक उसकी गिरफ्त में आया है. यहां तक कि पुलिस ने अब तक गाड़ी चालक पर प्राथमिकी भी दर्ज नहीं की है. गाड़ी में शराब मिलने की बात से भी पुलिस साफ इनकार कर रही है.
अलतमस सबका दुलारा था : मुमताज के चार पुत्रों में सबसे छोटा होने के अलतमस सबका दुलारा था. पूरा परिवार उसकी पढ़ाई के लिए सहयोग करता था. उसके बड़े भाई भी पढ़ाई में सहयोग करते हुए यह ख्वाब देखा करते थे कि उसका भाई एक दिन इंजीनियर बन कर परिवार की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करेगा.
पूरे परिवार की आशा की किरण था तौसीफ : कुछ ऐसा ही हाल मो तौसीफ आलम के घर का भी देखने को मिला. परिवार के सदस्य गुमसुम बैठे अपने बेटे के गम में डूबे नजर आये. दो भाइयों में एक मंदबुद्धि का होने के कारण पूरे परिवार के लिए आशा की किरण तौसीफ ही था. पिता तनवीर आलम ने ग्रामीण चिकित्सक के रूप में घर-घर जाकर लोगों का इलाज कर उससे होनेवाली आमदनी से अपने बेटे को इंजीनियर बनाने का सपना पाल रखा था. आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के बावजूद उसे इंजीनियरिंग पढ़ाया जा रहा था. दोनों बच्चे असमय खुदा को प्यारे हो गये.
बताते चलें कि सोमवार की दोपहर मसौढ़ी के धनरूआ थाना क्षेत्र के नीमा गांव के समीप कार की टक्कर से बाइक पर सवार दोनों युवक सड़क किनारे 20 फुट गहरी खाई में गिर गये थे. दोनों बाइक पर सवार होकर पटना से अपने घर आ रहे थे. रास्ते में यह घटना हुई थी. इसके बाद दोनों का मसौढ़ी अनुमंडल अस्पताल में प्राथमिक उपचार के उपरांत विशेष इलाज के लिए पीएमसीएच भेजा गया था, लेकिन पीएमसीएच पहुंचने से पूर्व ही दोनों की मौत हो गयी थी. मंगलवार को दोनों छात्रों के शव मल्लिक टोला स्थित उनके घरों पर लाये गये.
शराब मिलने की बात से पुलिस का इनकार, कार से एसबीआइ की पासबुक मिली
आइएस ने वीडियो जारी कर दिखाया था बाल दस्ता
काको़ इंजीनियरिंग के छात्रों मो अलतमस मल्लिक और मो तौसीफ आलम के शव मल्लिक टोला में पहुंचते ही मातम पसर गया. सबों की जुबां से सहसा निकल रहा था अल्लाह ये क्या हो गया, परिवार को किसकी नजर लग गयी. इस बीच कुछ युवा लोग महिलाओं को ढांढ़स बंधा रहे थे. मृत अलतमस के पिता मो इफ्तेखार मल्लिक उर्फ मुमताज आलम पर तो विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा. पूर्व में चालक का काम करनेवाले मो इफ्तेखार को अपने पुत्र से बड़ी उम्मीद थी.
उन्होंने सपने संजोये थे कि उनका बेटा इंजीनियर बनेगा़ जब उन्हें यह सूचना मिली कि धनरूआ (मसौढ़ी) में उनके पुत्र की सड़क दुर्घटना में मौत हो गयी है, तो वे बेहोश होकर गिर पड़े. उन्होंने अपने बेटे को पढ़ा-लिखा कर इस मुकाम तक पहुंचाया था कि अब वह मंजिल दूर नहीं थी जब उनकी दशा बदल जाती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.