लापरवाही. पटना-गया रेलखंड पर पैसेंजर ट्रेनों में बड़ी संख्या में रहते हैं अवैध हॉकर
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ट्रेन में हॉकर के रूप में घूमते हैं हैवान
लापरवाही. पटना-गया रेलखंड पर पैसेंजर ट्रेनों में बड़ी संख्या में रहते हैं अवैध हॉकर चलता है रेल पुलिस का अभियान, पकड़े जाने पर जुर्माना देकर छूट जाते हैं हॉकर जहानाबाद : पटना-गया रेलखंड के ट्रेनों में अवैध हॉकरों की भरमार है. कई हॉकरों की गतिविधि ठीक नहीं रहती है. कुछ हॉकर ऐसे हैं जिनका मुख्य […]
चलता है रेल पुलिस का अभियान, पकड़े जाने पर जुर्माना देकर छूट जाते हैं हॉकर
जहानाबाद : पटना-गया रेलखंड के ट्रेनों में अवैध हॉकरों की भरमार है. कई हॉकरों की गतिविधि ठीक नहीं रहती है. कुछ हॉकर ऐसे हैं जिनका मुख्य धंधा अपराध करना होता है. इस रेलखंड में लंबे समय से ट्रेनों में अवैध हॉकरों की गतिविधि रही है, पर इधर कुछ महीनों से उसकी संख्या में इजाफा हो गया है. शुक्रवार की रात गया जिले के बेला थाना क्षेत्र की निवासी एक नाबालिग लड़की के साथ जो कुकृत्य हुआ, वह ट्रेन में पानी बेचनेवाला एक हॉकर की कारस्तानी है. दुष्कर्मी मुन्ना कुमार कोई अकेला हॉकर नहीं है. और भी ऐसे कई हॉकर हैं, जिनकी निगाह बुरी रहती है. ट्रेनों में खाद्य व पेय पदार्थ बेचने के नाम पर अपराध की घटना को अंजाम देने की फिराक में रहते हैं.
अवैध हॉकरों का है गिरोह
बदमाश प्रवृत्ति के कुछ अवैध हॉकरों का एक गिरोह है, जो ट्रेनों में भोली-भाली लड़कियों को फांसने की जुगत में रहता है या यात्रियों के सामान चुरा कर ले भागने में सक्रिय रहता है. पूर्व के दिनों में पैसेंजर ट्रेन से यात्रियों के सामान ले भागने की घटनाएं भी हुई हैं, लेकिन चूंकि जहानाबाद में अत्यंत कम समय के लिए ट्रेन का ठहराव होता है. इस कारण पीड़ित यात्री इसकी शिकायत रेल थाने में नहीं कर पाते हैं.
हॉकरों से पैसेंजरों को होती है परेशानी :
पीजी रेल लाइन में चलनेवाली पैसेंजर ट्रेनों में यात्रियों की काफी भीड़ रहती है. सुबह से लेकर रात तक गया से पटना जानेवाली और पटना से गया आनेवाली ट्रेनों में हजारों पुरुष व महिला यात्री रहते हैं. आम यात्रियों के अलावा दैनिक यात्री भी बड़ी संख्या में प्रतिदिन ट्रेनों से आवागमण करते हैं. यात्रियों की भीड़ इस कदर होती है कि लोगों को ट्रेन के डब्बे में खड़ा रहना भी दुश्वार रहता है. महिला, पुरुष व बच्चे-बूढ़े कष्ट झेलते हुए इस रेलखंड में यात्रा करते हैं. इस पर अवैध हॉकरों की भीड़ यात्रियों के कष्ट को और बढ़ा देती है. एक गया की नहीं, दूसरा, तीसरा, चौथा हॉकर कतारबद्ध होकर ट्रेनों में घूमते रहते हैं. इन पर किसी तरह की रोक-टोक नहीं है. कभी-कभी तो ये हॉकर यात्रियों से मारपीट पर भी उतारू हो जाते हें.
जुर्माना देकर मुक्त हो जाते हैं हॉकर :
आरपीएफ और जीआरपी के द्वारा समय-समय पर चेकिंग अभियान चलाया जाता है. अवैध हॉकर पकड़े जाते हैं, लेकिन वे जुर्माने की राशि देकर मुक्त हो जाते हैं. विगत कुछ महीने में एक सौ से अधिक अवैध हॉकर ट्रेनों में खाद्य व पेय पदार्थ बेचते हुए पकड़े गये, जो बाद में जुर्माने की राशि देकर मुक्त हो गये. पुन: उसी हॉकर को देख कर दैनिक यात्री हैरत में पड़ जाते हैं. पूछे जाने पर हॉकर कहता है कि सब पैसे का खेल है. पैसा दिया छूट गया.
रेल पुलिस का नहीं है भय: जुर्माने की बात तो अलग कई हॉकर ऐसे हैं जिसके द्वारा माहवारी रुपये दिये जाते हैं. उसे रेल पुलिस का कोई भय नही होता. इन हॉकरों से पैसे की उगाही करनेवाला एक दलाल होता है. चाय, मूंगफली, चना, भुंजा, पानी, लस्सी व अन्य सामान बेचनेवाले अवैध हॉकरों से प्रतिदिन प्रति हॉकर 40 रुपये की वसूली की जाती है.
इस पर अंकुश लगाने की फिक्र रेल के किसी भी वरीय पदाधिकारी को नहीं है.
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