नारायणी ने मचायी तबाही
तबाही . गंडक नदी के कटाव से मिट जायेगा कालामटिहनिया का अस्तित्व गंडक नदी यानी नारायणी. शास्त्र और पुराणों में इसे जीवनदायिनी मानी गयी है. आज यह जीवनदायिनी लोगों का जीवन लेने पर तुली हुई है. कुचायकोट प्रखंड के विशंभरपुर और कालामटिहनिया पंचायत नदी के निशाने पर है. कल जहां आबादी था आज वहां नदी […]
तबाही . गंडक नदी के कटाव से मिट जायेगा कालामटिहनिया का अस्तित्व
गंडक नदी यानी नारायणी. शास्त्र और पुराणों में इसे जीवनदायिनी मानी गयी है. आज यह जीवनदायिनी लोगों का जीवन लेने पर तुली हुई है. कुचायकोट प्रखंड के विशंभरपुर और कालामटिहनिया पंचायत नदी के निशाने पर है. कल जहां आबादी था आज वहां नदी बह रही है. अब तक 250 से अधिक परिवार तबाह हो चुका है. पांच सौ से अधिक परिवार पर खतरा मंडरा रहा. नदी के तांडव की प्रस्तुत है लाइव रिपोर्ट.
कालामटिहनिया :नारायणी नदी ने अपना रौद्र रूप अख्तियार कर लिया है. नदी बेकाबू हो चुकी है. इसके रौद्र रूप को शांत करना मुश्किल होता जा रहा. बाढ़ नियंत्रण विभाग की कोशिश नाकाम साबित हुई है. गत 24 घंटे के भीतर नदी ने कुचायकोट प्रखंड की कालामटिहनिया पंचायत के वार्ड नं छह में व्यापक तबाही मचायी. नतीजा है कि गांव के 70-80 घर नदी में विलीन हो चुके हैं. दो-चार घर बचे हैं, जिसे लोग तोड़ कर गांव को खाली करने में जुटे हुए थे. अब तक अहिरटोली, बरइटोली, दलित बस्ती का अस्तित्व मिट चुका है. नदी पल- पल इस
कालामटिहनिया के अस्तित्व को मिटाने के लिए आगे बढ़ रही है. पंचायत की मुखिया सायरा खातून के प्रतिनिधि अशगर अली ने बताया कि मंगलवार की सुबह से ही नदी का कटाव तेज हो गया था. वार्ड नं छह में रहनेवाले रामाकांत चौरसिया, रामवचन चौरसिया, मोहन चौरसिया, हिरालाल चौरसिया, गोरख चौरसिया, विक्रमा चौरसिया,
मोतीलाल यादव, संजय चौरसिया, कन्हैया चौरसिया, जिउत यादव, अशोक चौरसिया, बलिराम चौरसिया, सुरेंद्र चौरसिया, श्रीकुशुन चौरसिया समेत लगभग 80 परिवार बेघर हो गया है. कल तक जहां इनका घर था, वहां आज नदी की धार बह रही है. नदी का कटाव इस कदर बेकाबू है कि अब वार्ड नं-11 टाड़ पर तथा वार्ड नं 13 को भी बचा पाना मुश्किल है. यहां लगभग पांच सौ से अधिक परिवार की नींद हराम हो चुकी है. लोगों का मानना है कि प्रकृति के आगे किसी का बस नहीं चलनेवाला. नदी अपने रुख से गांव की तबाही मचाने पर तुली है. कालामटिहनिया पंचायत का अब नामोनिशान भी मिटने के कगार पर पहुंच चुका है.
न रहने को घर, न सोने को बिस्तर
नारायणी के कोप के शिकार 200 से अधिक परिवार के सामने न तो रहने को घर है, न सोने को बिस्तर है. इनका अब खुदा ही रखवाला है. कल तक इनका अपना घर- द्वार व जमींदारी हुआ करती थी. आज नारायणी ने ऐसा कहर बरसाया कि सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया. लोग दूसरे के सहारे के मुहताज बन कर रह गये हैं. वार्ड नं छह की कलावती देवी अपने माथे पर गृहस्थी को बांध कर सुरक्षित स्थल की तलाश में जा रही थी. उसके पति घर के सामान को बैलगाड़ी पर लोड कर गांव खाली करने में जुटे थे. कलावती को दो बेटियों की शादी भी करनी है. अब तो गांव और घर भी नहीं है कि गुजारा कर सके. अब जाये तो जाये कहां. यह अकेले कलावती ही नहीं बल्कि हर परिवार का अपना- अलग अलग दर्द देखने को मिला.
वार्ड नं छह में कटाव की जानकारी लेते थानाध्यक्ष.
गंडक नदी यानी नारायणी. शास्त्र और पुराणों में इसे जीवनदायिनी मानी गयी है. आज यह जीवनदायिनी लोगों का जीवन लेने पर तुली हुई है. कुचायकोट प्रखंड के विशंभरपुर और कालामटिहनिया पंचायत नदी के निशाने पर है. कल जहां आबादी था आज वहां नदी बह रही है. अब तक 250 से अधिक परिवार तबाह हो चुका है. पांच सौ से अधिक परिवार पर खतरा मंडरा रहा. नदी के तांडव की प्रस्तुत है लाइव रिपोर्ट.
केके गुप्ता4कालामटिहनिया
नारायणी नदी ने अपना रौद्र रूप अख्तियार कर लिया है. नदी बेकाबू हो चुकी है. इसके रौद्र रूप को शांत करना मुश्किल होता जा रहा. बाढ़ नियंत्रण विभाग की कोशिश नाकाम साबित हुई है. गत 24 घंटे के भीतर नदी ने कुचायकोट प्रखंड की कालामटिहनिया पंचायत के वार्ड नं छह में व्यापक तबाही मचायी. नतीजा है कि गांव के 70-80 घर नदी में विलीन हो चुके हैं. दो-चार घर बचे हैं, जिसे लोग तोड़ कर गांव को खाली करने में जुटे हुए थे. अब तक अहिरटोली, बरइटोली, दलित बस्ती का अस्तित्व मिट चुका है. नदी पल- पल इस कालामटिहनिया के अस्तित्व को मिटाने के लिए आगे बढ़ रही है.
पंचायत की मुखिया सायरा खातून के प्रतिनिधि अशगर अली ने बताया कि मंगलवार की सुबह से ही नदी का कटाव तेज हो गया था. वार्ड नं छह में रहनेवाले रामाकांत चौरसिया, रामवचन चौरसिया, मोहन चौरसिया, हिरालाल चौरसिया, गोरख चौरसिया, विक्रमा चौरसिया, मोतीलाल यादव, संजय चौरसिया, कन्हैया चौरसिया, जिउत यादव, अशोक चौरसिया, बलिराम चौरसिया, सुरेंद्र चौरसिया, श्रीकुशुन चौरसिया समेत लगभग 80 परिवार बेघर हो गया है. कल तक जहां इनका घर था,
वहां आज नदी की धार बह रही है. नदी का कटाव इस कदर बेकाबू है कि अब वार्ड नं-11 टाड़ पर तथा वार्ड नं 13 को भी बचा पाना मुश्किल है. यहां लगभग पांच सौ से अधिक परिवार की नींद हराम हो चुकी है. लोगों का मानना है कि प्रकृति के आगे किसी का बस नहीं चलनेवाला. नदी अपने रुख से गांव की तबाही मचाने पर तुली है. कालामटिहनिया पंचायत का अब नामोनिशान भी मिटने के कगार पर पहुंच चुका है.
न रहने को घर, न सोने को बिस्तर
नारायणी के कोप के शिकार 200 से अधिक परिवार के सामने न तो रहने को घर है, न सोने को बिस्तर है. इनका अब खुदा ही रखवाला है. कल तक इनका अपना घर- द्वार व जमींदारी हुआ करती थी. आज नारायणी ने ऐसा कहर बरसाया कि सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया. लोग दूसरे के सहारे के मुहताज बन कर रह गये हैं. वार्ड नं छह की कलावती देवी अपने माथे पर गृहस्थी को बांध कर सुरक्षित स्थल की तलाश में जा रही थी. उसके पति घर के सामान को बैलगाड़ी पर लोड कर गांव खाली करने में जुटे थे. कलावती को दो बेटियों की शादी भी करनी है. अब तो गांव और घर भी नहीं है कि गुजारा कर सके. अब जाये तो जाये कहां. यह अकेले कलावती ही नहीं बल्कि हर परिवार का अपना- अलग अलग दर्द देखने को मिला.
बाढ़ नियंत्रण विभाग ने संभाली कमान
कटाव बेकाबू होने तथा किसान भवन के गंडक नदी में समा जाने की खबर पर बाढ़ नियंत्रण विभाग के मुख्य अभियंता गूंजा लाल राम, अधीक्षक अभियंता जितेंद्र प्रसाद सिंह, बाढ़ संघर्षात्मक बल के अध्यक्ष मो अब्दुल हमीद व कार्यपालक अभियंता शरत कुमार की टीम बुधवार की दोपहर बाद पहुंची. अधिकारियों ने कटाव की स्थिति का मुआयना किया.
यहां काफी लंबा रेडियस में कटाव को देख इसे रोक पाने में विभाग खुद को असमर्थ पा रहा था. कालामटिहनिया से विशंभरपुर जानेवाली सड़क के नदी में समा जाने से सामान को भी पहुंचाने में काफी मशक्कत करना पड़ रहा. विभाग के अभियंताओं ने बताया कि किसी तरह से गांव को बचाने का काम शुरू किया गया है.
अपने घरों को उजाड़ कर ले जाते ग्रामीण.
पांच गांवों का मिटा था अस्तित्व
कालामटिहनिया पंचायत में वर्ष 2013 में बनिया टोली, यादव टोली, वार्ड नं दो समेत पांच अलग- अलग गांव गंडक नदी के कटाव से विलीन हो गया. अब तक लगभग 450 परिवार को पुनर्वास का कोई इंतजाम प्रशासन की तरफ से नहीं हो सका. वे जहां-तहां झोंपड़ी बना कर दिन काट रहे हैं. सबसे अधिक कटाव पीड़ित मनियारा फार्म में आकर अपना जीवन बीता रहे हैं.
35 परिवारों को िमला गृह क्षति अनुदान
गंडक नदी से बेघर हुए काला मटिहनिया पंचायत के लगभग एक सौ परिवार में से 35 परिवार को गृह क्षति अनुदान के रूप में 4200 रुपया आरटीजीएस के माध्यम से उपलब्ध कराया गया है. सीओ अमित रंजन ने बताया कि बेघर हुए परिजनों का सर्वे कराया जा रहा है. एक-एक परिवार को गृह क्षति का अनुदान दिया जायेगा. इसके अलावे जमीन की भी तलाश की जा रही है ताकि इन्हें बसाने की व्यवस्था की जाये. फिलहाल जहां कटाव चल रहा वहां से लोगों को हटाने में प्रशासन की तरफ से पूरा सहयोग किया जा रहा है.