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सेनारी नरसंहार में 15 दोषी करार

जहानाबाद : बहुचर्चित सेनारी नरसंहार मामले में गुरुवार को 17 साल बाद कोर्ट का फैसला आ गया. 18 मार्च 1999 को हुए इस जघन्य हत्याकांड में 15 आरोपितों को दोषी करार दिया गया है, जबकि 23 लोगों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया. सजा 15 नवंबर को सुनायी जायेगी. इस नरसंहार में […]

जहानाबाद : बहुचर्चित सेनारी नरसंहार मामले में गुरुवार को 17 साल बाद कोर्ट का फैसला आ गया. 18 मार्च 1999 को हुए इस जघन्य हत्याकांड में 15 आरोपितों को दोषी करार दिया गया है, जबकि 23 लोगों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया. सजा 15 नवंबर को सुनायी जायेगी.

इस नरसंहार में सेनारी गांव के 34 ग्रामीणों की गला रेत कर हत्या कर दी गयी थी. इस मामले में गुरुवार को व्यवहार न्यायालय स्थित अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश तृतीय रंजीत कुमार सिंह के कोर्ट ने आरोपितों को दोषी करार दिया है. जिन अभियुक्तों को दोषी करार

दिया गया है उनकी जमानत रद्द करते हुए अदालत ने काको जेल भेज दिया है.

लोक अभियोजक सुरेंद्र प्रसाद सिंह एवं अपर लोक अभियोजक विजेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि इस मामले में सभी आरोपित फिलहाल जमानत पर थे. फैसला सुनाये जाने के वक्त अभियुक्त व्यास यादव और गनौरी मांझी अदालत में मौजूद नहीं थे. न्यायाधीश ने उन्हें भी हत्या का दोषी करार दिया और गैर जमानती वारंट जारी कर दिया. 18 मार्च, 1999 की देर शाम करीब साढ़े सात बजे एमसीसी के सदस्यों ने अरवल के वंशी थानान्तर्गत सेनारी गांव में हमला कर एक जाति विशेष के 34 लोगों की हत्या कर दी थी. सभी ग्रामीणों को बंधक बना कर उनके हाथ-पैर बांध दिये और गांव से उत्तर ठाकुरबाड़ी के समीप ले जाकर गरदन रेत दिया. मृतकों में कई लोगों के पेट धारदार हथियार से फाड़ दिये गये थे. इस घटना के बाद हत्यारों ने एक परचा भी छोड़ा था. मृतकों के शव क्षत-विक्षत हालत में छोड़ कर एमसीसी ने सेनारी में नारेबाजी की थी. घटनास्थल पर ही मृतकों के शवों का पोस्टमार्टम कराया गया था.

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