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छठ को लेकर घाटों की साफ-सफाई शुरू

तैयारी. संगमघाट में जेसीबी से सफाई, जमा गंदा पानी की निकासी की हो रही व्यवस्था जहानाबाद : लोक आस्था का पावन पर्व चैती छठ को लेकर प्रशासन छठ घाटों की साफ-सफाई में जोर -शोर से जुट गया है. शहर के संगम घाट जहां शहर की बड़ी आबादी से व्रती यहां अर्ध्य देने पहुंचते हैं. घाट […]

तैयारी. संगमघाट में जेसीबी से सफाई, जमा गंदा पानी की निकासी की हो रही व्यवस्था

जहानाबाद : लोक आस्था का पावन पर्व चैती छठ को लेकर प्रशासन छठ घाटों की साफ-सफाई में जोर -शोर से जुट गया है. शहर के संगम घाट जहां शहर की बड़ी आबादी से व्रती यहां अर्ध्य देने पहुंचते हैं. घाट की साफ-सफाई का जिम्मा नगर परिषद को है . जेसीबी और दर्जनों सफाई कर्मियों के सहारे संगम घाट की सफाई में जुटा है. बुधवार की सुबह से ही नगर परिषद का पूरा महकमा यहां जुटा था. घाट की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है. लिहाजा नप को यहां गरमी में ज्यादा पसीना बहाना पड़ेगा. साफ-सफाई कर पहले घाट और स्थल को पवित्र किया जाता है इसके पश्चात छठवर्ती स्नान कर पवित्र तरीके से भगवान सूर्य की यहां उपासना करते हैं.
कचरों के अंबार से पटा संगम घाट की सफाई भी नप के लिए चुनौती से कम नहीं .जेसीबी के सहारे पहले नदी के दोनों छोर को पहले बांधा गया. इससे पूर्व बांध के बगल में ही गहरे गड्ढे कर उसमें गंदे पानी का जमाव किया गया ताकि घाट में जमा गंदा पानी की निकासी हो सके.फिर पक्का बांध बांधकर पानी के तलहटी में जमा कचरों को मजदूरों द्वारा निकाल कर ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया गया .कीड़े-मकोड़े मरने के बाद घाट को पूरी तरह पवित्र कर उसमें साफ और शुद्ध जल भरने की व्यवस्था भी नगर परिषद करेगा. घाटों की बैरिकेडिंग ,लाइट की व्यवस्था और माइक-साउंड भी लगाये जायेगें.साथ ही साथ घाट पर प्रशासन के द्वारा एक कंट्रोल रूम भी बनाया जायेगा .जहां से छठ घाट की मॉनिटरिंग की जायेगी.
शुद्ध और साफ जल में अर्घ देंगे व्रती
संध्या अर्घ
तीसरे दिन छठ का प्रसाद बनाया जाता है .प्रसाद के रूप में पकवान ,जिसे कुछ क्षेत्रों में ठेकुआ और टिकरी भी कहा जाता है .इस अलावा चावल के लड्डू जिसे लड़ुआ भी कहा जाता है बनाते हैं. इसके अलावा चढ़ावा के रूप में सांचा और फल भी प्रसाद के रूप में शामिल होता है. शाम को पूरी तैयारी और व्यवस्था कर बांस की टोकरी में अर्घ का सूप सजाया जाता है .व्रती के साथ छठ मइया का गीत गाते परिवार तथा पड़ोस के लोग अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य देने घाट की ओर चल पड़ते हैं. सूर्य को जल और दूध को अर्घ दिया जाता है तथा छठी मईया की प्रसाद भरे दउरा और सूप से पूजा की जाती है. इस दौरा घाट के पास कुछ मेले जैसा दृश्य बन जाता है.
किस प्रकार मनाते हैं छठ
छठ पूजा चार दिवसीय उत्सव है .इस दौरान व्रती लगातार 36 घंटे तक व्रत रखते हैं .निर्जला रहते हैं करते .नहाय खाय के साथ व्रत की शुरूआत होती है .सबसे पहले घर की साफ-सफाई कर पूजा स्थल को भी पवित्र किया जाता है इसके बाद छठव्रती स्नान कर पवित्र तरीके से बने शुद्ध भोजन ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करते हैं .घर के सभी सदस्य व्रती के भोजनोपरांत ही भोजन ग्रहण करते हैं. भोजन के रूप में कद्दु दाल और चावल ग्रहण किया जाता है .
लोहंडा और खरना
दूसरे दिन व्रतधारी दिन भर का उपवास रखने के बाद शाम को भोजन करते हैं.इसे खरना कहा जाता है .खरना का प्रसाद लेने के लिए आसपास के सभी लोगों को निमंत्रित किया जाता है .प्रसाद के रूप गन्ने के रस में बने चावल की खीर के साथ दूध -चावल की पिट्ठा और घी -चुपड़ी रोटी बनायी जाती है. इस दौरान घर की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है.
उषा अर्घ
चौथे दिन की सुबह उदियमान सूर्य को अर्घ दिया जाता है .व्रती वहीं पुन: इकट्ठा होते हैं जहां उन्होंने पूर्व संध्या को अर्घ दिया था. पुन: पिछले शाम की प्रक्रिया की पुनरावृति होती है सभी व्रती तथा श्रद्धालु घर आते हैं. व्रती घर आकर गांव के पीपल के पेड़ की पूजा करती हैं, पूजा के पश्चात कच्चे दूध का शरबत पीकर तथा थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत पूर्ण करते हैं जिसे पारण या परना कहते हैं. छठ पर्व मूलत: सूर्य की आराधना का पर्व है .जिसे हिंदू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है.हिन्दू धर्म के देवताओं में सूर्य ऐसे देवता हैं जिन्हे साक्षात देखा जाता है. सूर्य की शक्तिओ का मुख्य श्रोत उनकी पत्नी उषा और प्रत्यूषा हैं .सूर्य के साथ साथ् दोनो शक्तिाओं की संयुक्त आराधना होती है. भक्ति और आध्यात्म से परिपूर्ण इस पर्व के लिए न विशाल पंडाल और भव्य मंदिरो की जरूर होती है न ऐश्वर्य युक्त मुर्तियों की .

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