जिले में नहीं खुला कृषि क्लिनिक
जिले में कृषि क्लिनिक नहीं खुल सका. जिसका पैसा भी विभाग को वापस लौट गया. फसलों में लगने वाले रोगों के उपचार के लिए जिला में 2 कृषि क्लिनिक अबतक नहीं खुल सकी है.
अरवल. जिले में कृषि क्लिनिक नहीं खुल सका. जिसका पैसा भी विभाग को वापस लौट गया. फसलों में लगने वाले रोगों के उपचार के लिए जिला में 2 कृषि क्लिनिक अबतक नहीं खुल सकी है. ग्रामीण स्तर पर युवाओं को रोजगार देने और फसलों में लगने वाले रोग का सही समय पर उपचार के लिए कृषि क्लिनिक खोली जानी थी. जिला में दो कृषि क्लिनिक खोलनी थी. कृषि विभाग के अनुसार एक कृषि क्लिनिक खोलने में 5 लाख की लागत आती है. इसमें विभाग 40 प्रतिशत अनुदान देता है. कृषि क्लिनिक की स्थापना के लिए चयनित लाभार्थियों को निःशुल्क प्रशिक्षण देने के साथ ही, उनकी इच्छा अनुसार खाद, बीज, कीटनाशी लाइसेंस, कस्टम हायरिंग सेंटर सहित अन्य आवश्यक योजनाओं का लाभ देने में प्राथमिकता देने का प्रावधान था. कृषि क्लिनिक के लिए कृषि से इंटर, साइंस से स्नातक या फिर दो साल तक कृषि के क्षेत्र में काम करने का अनुभव वाले युवा कृषि क्लिनिक खोल सकते हैं. मालूम हो कि कृषि में स्नातक व स्नातकोत्तर करने वाले लोगों को रोजगार से जोडने तथा फसलों के प्रबंधन में किसानों को सहयोग करने के लिये सरकार ने जिले में दो कृषि क्लिनिक खोले जाने की योजना शुरू किया था. ये योजना नाबार्ड एवं राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान के सहयोग से किसानों को खेती के लिए यंत्र, फसलों के प्रबंधन और किट और रोग से बचाव के लिए किया था. इसमें एक कृषि क्लिनिक अनुमंडल स्तर पर जिला मुख्यालय में एवं एक कृषि क्लिनिक प्रखंड स्तर पर करपी प्रखंड के किंजर में खोला जाना था. इस योजना के तहत कृषि स्नातक व स्नातकोत्तर पास युवाओं का चयन कृषि क्लिनिक खोले जाने के लिये किया जाना था. यहां कृषि क्लिनिक खोलने के लिये अर्हता पूरी करने वाले दो युवाओं का चयन भी किया गया. जिससे किसानों को फायदा होता लेकिन चयन के बाद इन लोगों ने यहां कृषि क्लिनिक खोलने में अपने हाथ खडे कर दिये. अब यहां कृषि क्लिनिक खोले जाने की समय सीमा समाप्त होने के बाद अब विभाग की ओर से सरकार को राशि वापस लौटाई जा चुकी है. चयनित लाभार्थी को दो लाख अनुदान दिये जाने का था प्रावधान जिले में पांच-पांच लाख की लागत से दो कृषि क्लिनिक खोले जाने की योजना थी जिसमें चयनित लाभार्थी को दो लाख अनुदान दिये जाने का प्रावधान था जिससे क्षेत्र के किसानों को फसलों एवं उसमें होने वाली बीमारियों सहित मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढाये जाने के लिए उपाय भी बतलाया जाता. वहीं कृषि क्लिनक में मिट्टी के नमूनों की जांच के लिये प्रयोगशाला की सुविधा, फसलों में लगने वाले कीट व बीमारियों के प्रबंधन के लिये कीटनाशी से जुडे दवाइयों के छिडकाव के लिये सभी तरह के छिडकाव यंत्र एवं कीटनाशी दवाईयां उपलब्ध रहतीं. इसके अलावे कृषि क्लिनिक संचालक कृषि विभाग से लाइसेंस लेकर उर्वरक की बिक्री भी कर सकते थे जिससे यहां एक ही छत के नीचे किसानों को कृषि से जुडे कई तरह के संसाधन व सुविधा मुहैया कराई जाती.
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