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पारा गिरा, शीतलहर की चपेट में अरवल जिला

पिछले तीन दिनों से अरवल जिले में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. कड़ाके की पड़ रही ठंड और बर्फीली हवा के कारण लोग घरों में कैद हो गये हैं.

अरवल.

पिछले तीन दिनों से अरवल जिले में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. कड़ाके की पड़ रही ठंड और बर्फीली हवा के कारण लोग घरों में कैद हो गये हैं. सोमवार और मंगलवार को जहां घना कोहरा रहा वही बुधवार और गुरुवार कि सुबह से ही सर्द हवाओं ने लोंगो को घरो में रहने पर मजबूर कर दिया है. हल्की ठंडी हवाओं के कारण लोगों की कंपकंपी बंधी रही. बुधवार को जहां बारह बजे के बाद हल्की धूप निकली लेकिन धुप में नरमी था. वहीं गुरुवार को तीन बजे के बाद हल्की धुप तो निकली लेकिन लोगों को ठंड से राहत नहीं मिली. लेकिन शाम चार बजे से बर्फीली हवा के कारण लोगों को घरों में कैद कर दिया. न्यूनतम तापमान भी लुढ़ककर पांच बजे तक नौ डिग्री दर्ज किया गया. वहीं अधिकतम तापमान 18 डिग्री दर्ज किया गया. न्यूनतम तापमान में गिरावट का दौर जारी है, जिसके कारण ठंड बढ़ती जा रही है.चाय दुकानों पर लगी रही भीड़ : ठंड के कारण बाजार के चाय दुकानों पर अच्छी-खासी भीड़ देखी गयी. लोग ठंडी हवा से परेशान होकर चाय की चुस्की लेकर ठंड से राहत महसूस कर रहे हैं.

बुजुर्गों-बच्चों को हो रही परेशानी :

शीतलहर के कारण ठंड बढ़ गयी है जिसके कारण बुजुर्गों और हड्डी रोगियों की परेशानियां बढ़ा दी हैं. सर्द हवाओं से जोड़ों के दर्द बढ़ने और सूजन आदि की शिकायतें सामने आ रही हैं. चिकित्सकों के मुताबिक मौसम में दिन ब दिन बढ़ती रही ठंड से बचाव के पूरे इंतजाम जरूरी हैं. सदर अस्पताल में कार्यरत डॉ पंकज कुमार ने कहा कि शुगर बीपी के मरीजों को मॉर्निंग वॉक से परहेज करने की सलाह दी जा रही है. नौ बजे के बाद ही वॉक पर जाये.मौसम में बदलाव आते ही बुजुर्गों व हड्डी रोगियों की दिक्कतें हो रही है. जोड़ों में कभी कभी इतना दर्द हो जाता है कि चलते फिरने तक में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सदर अस्पताल व निजी चिकित्सकों के यहां इस तरह के मरीज पहुंच रहे हैं. सदर अस्पताल उपाधिक्षक डाॅ रमन आर्यभट्ट का कहना है कि इसकी रोकथाम के लिए दवाओं से ज्यादा जरूरी कुछ परहेज व सावधानियां हैं. सर्द मौसम में जोड़ों में दर्द होने के साथ सूजन आने लगती है. ऐसे में जरूरी है कि मौसम में दिन ब दिन बढ़ती जा रही ठंड से बचाव के लिए पूरे इंतजाम करें. इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि जोड़ों के दर्द से बचने के लिए नियमित रूप से पर दिक्कत न बढ़े. इसके अलावा बच्चों में सबसे ज्यादा निमोनिया होने के मामले सामने आने लगे हैं. ऐसे में अभिभावकों को ध्यान रखना है कि छोटे बच्चों को एक्सपोजर से बचाएं. बीमार होने पर तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जाएं. सर्दी में परहेज बरतने की खासी जरूरत है. बुजुर्ग सर्द हवा में मॉर्निंग वॉक से भी परहेज करें. सूरज निकलने पर वॉक या व्यायाम कर सकते हैं. चिकित्सक से परामर्श दवाइयां ले सकते है. ठंड से बचने के लिए कमरे को गर्म करने के लिए लोग आग जलाते हैं. बंद कमरे में आग नहीं जलाने एवं धुंआ करने से बचने को कहा गया है. ऐसा करने से कमरे के अंदर धुआं होने से बच्चे व बुजुर्गों को सांस लेने में परेशानी होती है. साथ ही बंद कमरे में लगातार रुम हीटर का प्रयोग भी नहीं करना है. बंद कमरे में लगातार रुम हीटर का प्रयोग करने से कमरे में ऑक्सीजन की भी कमी होती है. ऐसे में सांस लेने में परेशानी होगी.

बच्चों में हो रहा डायरिया व निमोनिया :

ठंड के कारण बच्चों में कोल्ड डायरिया के साथ-साथ निमोनिया की भी शिकायत आ रही है. इसमें कुछ बच्चे दूध पीने के साथ उल्टी भी हो रही है. यह ठंड के कारण होता है. खासकर नवजात एवं उसकी मां को ठंड में सतर्क रहने की जरूरत है. मां को ठंड के प्रकोप होने से बच्चे भी बीमार हो जाते हैं. बच्चों को हमेशा गर्म कपड़ा में रखने की जरुरत है. कमरे को गर्म भी रखना है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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