जीविका दीदी के साथ शोषण कर रही बिहार सरकार : एमएलसी
बैठक में मुख्य वक्ता के रूप में ऑल इंडिया स्किम वर्कर्स फेडरेशन के राष्ट्रीय महासचिव व माले एमएलसी शशि यादव शामिल हुए.
अरवल.
जिले के सभी प्रखंडों से भारी संख्या में जीविका दीदियों की बैठक बैदराबाद अशोक सम्राट हॉल में सम्पन्न हुई. बैठक में मुख्य वक्ता के रूप में ऑल इंडिया स्किम वर्कर्स फेडरेशन के राष्ट्रीय महासचिव व माले एमएलसी शशि यादव शामिल हुए. जीविका दीदियों को सम्बोधित करते हुए एमएलसी ने कहा कि नीतीश सरकार महिलाओं के साथ भेदभाव करती है. काम पूरा लेती है लेकिन मेहनताना कुछ भी नहीं देती. यह सामंती सोच को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि परियोजना से मिलने वाले 1500 मानदेय भी समाप्त कर समूह द्वारा जमा किये गये रुपये का सूद पैसा देने की बात कर दरअसल मानदेय बंद करने की सरकार की साजिश रची गई है. अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए जीविका दीदियों द्वारा राज्यव्यापी हड़ताल को सफल बनाकर ही अपनी लड़ाई को जीत सकते हैं. जीविका दीदियों ने आगामी एक अक्तूबर को डीएम के समक्ष विशाल प्रदर्शन करने का ऐलान किया. वहीं स्थानीय विधायक महानंद सिंह द्वारा कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि इस सवाल को लेकर सड़क से लेकर सदन तक आवाज उठेगी. इस अवसर पर माले जिला सचिव जितेंद्र यादव, ऐपवा जिला सचिव लीला वर्मा, रविंद्र यादव, जीविका दीदी रेखा, सुनीता, पूनम, लीला वर्मा ने भी संबोधित किया.राज्यसभा सांसद को जीविका दीदी ने सौंपा 10 सूत्री मांगों का ज्ञापन : कुर्था.
राष्ट्रीय लोक मोर्चा सदस्यता महापर्व को लेकर कुर्था विधानसभा में कुर्था प्रखंड मुख्यालय में पहुंचे राज्यसभा सांसद सह पूर्व केंद्रीय मंत्री सह राष्ट्रीय लोक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को जीविका दीदियों ने जीविका के परियोजना में कार्यरत कैंडर के मानदेय वेतन वृद्धि को लेकर अपनी 10 सूत्री मांगों का ज्ञापन सौंपा. दिये गये ज्ञापन में उन्होंने उल्लेख किया है कि बिहार सरकार परियोजना जीविका 2007 से पूरे बिहार में चलाया जा रहा है जिसमें राज्य स्तर से लेकर जिला व प्रखंड स्तर व अन्य सारे भत्ता का प्रावधान है लेकिन जीविका परियोजना में कार्यरत ग्राम स्तर पंचायत स्तर और संकुल स्तर पर काम करने वाले को जीविका कैडर के नाम से जाना जाता है. जबकि जीविका कैडर के कार्य करने का समय भी जीविका कर्मचारी या सरकार द्वारा निर्धारित कार्य का समय के बराबर ही है, लेकिन जीविका कैडर का मानदेय मनरेगा से भी कम है. उपरोक्त मानदेय को मात्र राशि का 40 प्रतिशत ही जीविका का परियोजना द्वारा दिया जाता है और शेष 60 प्रतिशत राशि जीविका समूह से दीदी को बचत का पैसा से भुगतान होता है, जो समूह की दीदी अपना समूह कर्ज का पैसा लौटा नहीं पा रही है. उसे दीदी को कैडर मानदेय के लिए पैसा देना पड़ रहा है जिसके कारण समूह का खाता एनपीए हो रहा है. जीविका दीदी को जीविका पदाधिकारी द्वारा बार-बार धमकाया जा रहा है कि काम से हटा दिया जायेगा, लेकिन जीविका दीदी अपनी मांग के साथ हड़ताल पर हैं. 10 सूत्री मांगों में सभी जीविका कैडर को जीविका की ओर से नियुक्ति पत्र एवं पहचान पत्र मिले, मानदेय कंट्रीब्यूशन सिस्टम पर अविलंब रोक लगे, सभी कैडर का मानदेय कम से कम 25 हजार नियमित हो, काम से हटाने की धमकी पर रोक लगे सहित अन्य मांगों को लेकर राज्यसभा सांसद को जीविका दीदी द्वारा ज्ञापन सौंपा गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है