पॉक्सो एक्ट के पीड़ितों के मामलों संवेदनशीलता के साथ करे निबटारा : डीएम

डीएम अलंकृता पांडेय तथा एसपी अरविंद प्रताप सिंह द्वारा संयुक्त रूप से जेजे एक्ट 2015 यथा संशोधित 2021 एवं संबंधित नियमावली, पॉक्सो एक्ट 2012 एवं नियमावली तथा अन्य अधिनियमों के संबंध में सभी थाना प्रभारी और बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारियों के संवेदीकरण के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण सह उन्मुखीकरण कार्यशाला का दीप प्रज्ज्वलित कर विधिवत उद्घाटन किया गया.

By Prabhat Khabar News Desk | June 27, 2024 10:07 PM

जहानाबाद नगर.

डीएम अलंकृता पांडेय तथा एसपी अरविंद प्रताप सिंह द्वारा संयुक्त रूप से जेजे एक्ट 2015 यथा संशोधित 2021 एवं संबंधित नियमावली, पॉक्सो एक्ट 2012 एवं नियमावली तथा अन्य अधिनियमों के संबंध में सभी थाना प्रभारी और बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारियों के संवेदीकरण के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण सह उन्मुखीकरण कार्यशाला का दीप प्रज्ज्वलित कर विधिवत उद्घाटन किया गया. डीएम ने बताया कि आप सभी थाना प्रभारी एवं बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारियों के लिए यह कार्यशाला बहुत ही महत्वपूर्ण है और इसका विषय भी काफी संवेदनशील है. इसलिए इस अवसर का आप पूरा लाभ उठा कर अपने-अपने कार्य क्षेत्र में थाना एवं कार्यालय में पॉक्सो एक्ट के तहत आने वाले पीड़ितों का पूरे संवेदनशीलता के साथ मामले का गहन जांच कर निष्पादित करें. उन्होंने बताया कि पॉक्सो एक्ट के तहत वैसे व्यक्ति जिनकी आयु 18 वर्ष पूरी नहीं हुई है, वे आते हैं. उन्होंने बताया कि बाल यौन शोषण से जुड़े कुछ मिथक ऐसे भी हैं जिसमें कुछ असामाजिक तत्व ऐसा भी बताते हैं कि यह शोषण केवल लड़कियों के साथ होता है, ये शारीरिक स्पर्श से संबंधित है, ये रोका नहीं जा सकता है, पढ़ें लिखे परिवारों में नहीं होता है, जो लड़कियां छोटे कपड़े पहनती हैं उनके साथ यौन शोषण होता है इत्यादि गलत अफवाह फैलाते हैं. उन्होंने बताया कि आप सभी को समझना होगा कि बाल यौन शोषण से जुड़े संकेत और लक्षण क्या है? जिसमें बच्चों के गुप्त अंगों में चोट, बच्चे को चलने और बैठने में परेशानी, थकावट और नींद नहीं आना, कक्षा में अनुपस्थित रहना, व्यवहार में अप्रत्याशित परिवर्तन, प्रतिगामी व्यवहार परिवर्तन जैसे बिस्तर गीला करना, किसी व्यक्ति, स्थान को अचानक नापसंद करना, बच्चों को अपने रूप-रंग पर बहुत अधिक, बहुत कम ध्यान शुरू करना इत्यादि लक्षण दिखाई देते हैं. कार्यशाला में बताया गया कि पॉक्सो एक्ट, 2012 के अनुसार 18 वर्ष से कम उम्र की किसी भी बच्चे (चाहे लड़का हो या लड़की) के साथ यौन अपराध हुआ है या करने का प्रयास किया गया तो ऐसे मामले पॉक्सो कानून के अंतर्गत आते हैं. यह कानून बच्चों को लैंगिक हमले, लैंगिक उत्पीड़न और अश्लील चित्र एवं साहित्य के इस्तेमाल जैसे अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है. ऐसे अपराधों को विचारण करने के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना की गई है. अधिनियम की कुछ मुख्य विशेषताएं हैं, जिसमें 18 साल से कम उम्र के सभी बच्चों को इसमें शामिल किया गया है, यह लिंग निरपेक्ष अधिनियम (जेंडर न्यूट्रल एक्ट) है, बच्चों के सर्वोत्तम हित को देखते हुए अपराध की रिपोर्टिंग, साक्षी की रिकॉर्डिंग और शीघ्र परीक्षण (ट्रायल) के लिए बाल मित्र प्रक्रियाएं प्रदान करता है, बाल यौन शोषण के मामलों की रिपोर्टिंग करना अनिवार्य है, सबूत का भार, आरोपी पर होता है. इन सभी बातों को ध्यान रखना आप सभी का दायित्व है. पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत अपराध एवं दंड भी है, जिसमें स्पर्श आधारित अपराध है. प्रवेशन लैंगिक हमला (धारा 3) के अपराध में अपराधी को दंड के रूप में 10 वर्ष से आजीवन कारावास तक की सजा और जुर्माना (यदि बालक की अवस्था 16 वर्ष से कम है तो कठोर कारावास जो 20 वर्ष से कम नहीं होगा किंतु जो आजीवन करवा तक का हो सकेगा जिसका जिससे उसे व्यक्ति का शेष जीवन कारावास में बीतेगा और जुर्माना) (धारा 4) है. इस प्रकार उत्तेजित (गुरुतर) प्रवेशन लैंगिक हमला, एग्रेवेटिड पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असाल्ट (धारा 5) अपराध में कठोर कारावास, जो 20 वर्ष से कम नहीं होगा, किन्तु जो आजीवन कारावास तक का हो सकेगा, जिससे उस व्यक्ति का शेष जीवन कारावास में बीतेगा और जुर्माना या मृत्युदंड (इस तरह का जुर्माना तब उचित और न्यायसंगत होगा, जब उस जुर्माने की राशि पीड़ित के चिकित्सीय खर्चों को पूरा करने और पुनर्वास के लिए उपयोग में आएगी) (धारा 6) है. जबकि लैंगिक हमला, सेक्सुअल असाल्ट (धारा 7) के अपराध में तीन साल से लेकर पांच साल तक की सजा और जुर्माना (धारा 8 ), उत्तेजित (गुरुतर) लैंगिक हमला, एग्रेवेटिड सेक्सुअल एसाॅल्ट), (धारा 9) के अपराध में पांच साल से लेकर सात साल तक की सजा और जुर्माना (धारा 10) है. वहीं गैर स्पर्श आधारित अपराध में लैंगिक उत्पीड़न, सेक्सुअल हैरसमेंट लैंगिक उत्पीड़न (धारा -11) के अपराधी को तीन साल तक की सजा और जुर्माना (धारा- 12) है, अश्लील साहित्य के प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग (धारा -13) के अपराध में पहले अपराध पर 5 साल तक की सजा और जुर्माना, दुबारा वही अपराध करने पर 7 साल तक की सजा और जुर्माना (धारा- 14 ) है. पोर्नोग्राफी (अश्लील साहित्य, चलचित्र या चित्र) सामग्री का संग्रह (धारा- 15) के अपराध में अपराधी को पहले अपराध पर 5,000 रुपये का जुर्माना और दूसरे अथवा उसके बाद अपराध किए जाने पर 10,000 रुपए का जुर्माना, जुर्माने के साथ-साथ तीन साल तक के कारावास की सज़ा तथा पहले अपराध पर तीन से पांच साल तक की सजा, दुबारा वही अपराध करने पर सात साल तक की सजा (धारा- 16) है. किसी अपराध के लिए उकसाना उपरोक्त किसी भी अपराध के लिए उकसाना भी एक अपराध है. यदि कोई दुष्प्रेषित काम उकसाने के बाद किया जाता है, तो यह दंडनीय है (धारा- 17) के तहत अपराधी को उस सजा के लिए दंडित किया जायेगा, जो उस अपराध के लिए प्रदान की गयी है. किसी अपराध को करने का प्रयास जो कोई इस अधिनियम के अधीन दंडनीय किसी अपराध को करने का प्रयास करता है या किसी अपराध को करवाता है और ऐसे प्रयास में अपराध करने के लिए कोई कार्य करता है, तो यह दंडनीय है (धारा -18) तो अपराधी को ऐसी अवधि के लिए कारावास, जो आजीवन कारावास के आधे तक का हो सकेगा या उस अपराध के लिए निर्धारित कारावास की अधिकतम अवधि के आधे तक का हो सकेगा या जुर्माने से अथवा दोनों से दंडित है.

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