Shravani Mela 2024: माता-पिता को बहंगी में बैठाकर बाबा धाम के दर्शन को निकला युवक,आठ दिनों में तय करेगा 108 किलोमीटर की दूरी
Shravani Mela 2024: श्रवण कुमार के पदचिन्हों पर चलकर अपने माता पिता को बहेंगी में बिठा कर सैंकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा कर बाबा धाम पहुंच कर जल अर्पण कराएगा चन्दन.
Shravani Mela 2024 :भले ही पश्चमी सभ्यता में माता और पिता के लिए मदर और फादर्स डे मनाया जाता है, लेकिन भारतीय संस्कृति में मां बाप के दर्जा को भगवान के समकक्ष माना जाता है. तभी तो हमारी संस्कृति में श्रवण कुमार का जिक्र आता है.ठीक उसी प्रकार जहानाबाद का चंदन कुमार केसरी, जो अपने माता पिता को बहेंगी में बिठा कर बाबा धाम की यात्रा पर निकल पड़ा है.
श्रवण कुमार के पदचिन्हों पर चलकर अपने माता पिता को कराएगा तीर्थयात्रा
श्रवण कुमार के पदचिन्हों पर चलने की कोशिश कर रहा है जहानाबाद का चंदन कुमार केसरी, जो अपने माता पिता को बहेंगी में बिठा कर सैंकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा कर बाबा धाम पहुंच कर जल अर्पण कराता है.दरअसल चंदन केसरी अपने माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर तीर्थ कराने का संकल्प लेकर देवघर जा रहे है. कांवड़ के आगे की ओर से चंदन तो पीछे की ओर से उनकी पत्नी रानी कुमारी ने थामा हुआ है. देवघर जाने को लेकर आज के श्रवण कुमार को देखने वालों की भीड़ जमा हो गयी. माता-पिता को बाबा नगरी देवघर ले जा रहे चंदन कुमार ने कहा कि उनके मन में ख्याल आया कि क्यों नहीं हम अपने पिता जगन्नाथ साव और माता मीना देवी को तीर्थाटन करवाएं.
आठ दिनों में 108 किलोमीटर की दूरी तय कर पहुँचते हैं बाबा धाम
वे अपनी पत्नी और अपने तीन बच्चों के साथ मिलकर अपने माता-पिता को अपने कांवर में बैठाकर देवघर जा रहे हैं. चंदन ने बताया कि वह पिछले साल से अपने माता पिता को इसी तरह कांवर में बैठाकर बाबा नगरी देवघर तीर्थ यात्रा पर निकले थे जो आठ दिनों में 108 किलोमीटर की दूर तय कर बाबा भोलेनाथ पर जलाभिषेक करा देते है.
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कहा माता-पिता की सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं
चंदन ने बताया कि कांवड़ में बैठाकर कांधे पर उठाकर चलने का माता-पिता ने पहले विरोध किया था. उन्होंने कहा कि हम लोग काफी वजनदार हैं, तुम कैसे अपने कंधे पर दोनों को इतनी दूर यात्रा तय करोगे. हालांकि,बेटे चंदन एवं गांव वालों ने उन्हें समझाया और आखिरकार अपने माता-पिता को मनाकर देवघर को रवाना हो गये. आगे चंदन कुमार ने कहा कि माता-पिता की सेवा से बड़ा ना ही कोई धर्म है और ना ही पूजा. वहीं उसके माता-पिता बेहद खुश है और उनका कहना है कि ऐसा श्रवण सबके घरों के पैदा हो,बाबा भोलेनाथ सभी को मेरे जैसा पुत्र दे। वही इस तीर्थ यात्रा में उनके एक भाई और उनकी पत्नी समेत सात लोग देवघर जा रहे है जो कभी कभार रास्ते मे उनका साथ देते है.