भाकपा माले के अरवल बंद का दिखा असर, सड़कों पर पसरा सन्न्टा

भाकपा माले के जिला कमेटी सदस्य सुनील कुमार चंद्रवंशी की विगत दिनों हत्या के विरोध में माले द्वारा बंद का शहर में दिखा व्यापक असर. वाहनों का परिचालन पूरी तरह से ठप रही. सभी दुकानें भी बंद रहीं. माले नेता की हत्या के विरोध में पूर्व से आहूत अरवल बंद को लेकर सुबह से ही माले कार्यकर्ता बैनर और हाथों में झंडा लिए सड़क पर उतर गये. इस दौरान माले नेताओं द्वारा सड़कों पर विरोध प्रदर्शन भी किया गया एवं हत्यारों की शीघ्र गिरफ्तारी एवं मृतक के परिवार को 20 लाख मुआवजे एवं सरकारी नौकरी देने की मांग जिला प्रशासन से किया गया.

By Prabhat Khabar News Desk | September 11, 2024 10:47 PM
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अरवल. भाकपा माले के जिला कमेटी सदस्य सुनील कुमार चंद्रवंशी की विगत दिनों हत्या के विरोध में माले द्वारा बंद का शहर में दिखा व्यापक असर. वाहनों का परिचालन पूरी तरह से ठप रही. सभी दुकानें भी बंद रहीं. माले नेता की हत्या के विरोध में पूर्व से आहूत अरवल बंद को लेकर सुबह से ही माले कार्यकर्ता बैनर और हाथों में झंडा लिए सड़क पर उतर गये. इस दौरान माले नेताओं द्वारा सड़कों पर विरोध प्रदर्शन भी किया गया एवं हत्यारों की शीघ्र गिरफ्तारी एवं मृतक के परिवार को 20 लाख मुआवजे एवं सरकारी नौकरी देने की मांग जिला प्रशासन से किया गया. बंद के दौरान भगत सिंह चौक के समीप पार्टी द्वारा सभा का आयोजन किया गया. सभा का संचालन पार्टी के राज्य कमेटी सदस्य रविंद्र यादव द्वारा किया गया. सभा को संबोधित करते हुए पार्टी के राज्य कमेटी के स्थायी सदस्य सह स्थानीय विधायक महानंद सिंह ने कहा कि भाजपा-जदयू की सरकार में दलित, गरीब व समाज के सबसे कमजोर तबके के लोगों को कई तरीके से मनोबल गिराने में लगी हुई है. गरीबों के घर पर बुलडोजर चला कर गिरा दिया जा रहा है. शराबबंदी कानून का इस्तेमाल कर गरीबों को जेल में डाल कर हत्या कर गरीबों के पक्ष में खड़ा रहने वाले और संघर्ष करने वाले की हत्या अथवा फर्जी मुकदमे में फंसा कर मनोबल तोड़ने में सरकार लगी हुई है. विपक्ष की आवाज और सबसे निचले कतार वाले लोगों की आवाज बुलंद करने वाले नेता कार्यकर्ताओं को टारगेट किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पर्चा चिपका कर माओवादी द्वारा घटना की जिम्मेवारी लेना पूरी तरह से फर्जी है. घटना में शामिल अपराधियों द्वारा फर्जी पर्चा के माध्यम से घटना को दूसरी तरफ मोड़ सजा से बचना चाहते हैं. विधायक ने कहा कि 2009 से सुनील चंद्रवंशी माले के साथ जुड़े हुए थे. कभी भी उनके ऊपर किसी तरह का आरोप माओवादी के द्वारा नहीं लगाया गया. बिना किसी गार्डन अथवा हथियार के जनता के बीच काम कर रहे थे. इतने दिनों में माओवादी संगठन द्वारा किसी तरह का कोई सवाल नहीं किया गया. हत्या में बहुत ही साजिश रची गयी है. इस घटना में कुछ सफेदपोश भी संलग्न हैं.

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