जहानाबाद.
जिले के लोगों को सरकारी स्तर पर आज तक सीटी स्कैन की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पायी है जिसके कारण किसी दुर्घटना के मरीज को ब्रेन में चोट लगने पर अथवा ब्रेन हेमरेज की आशंका होने पर लोगों को या तो महंगे दाम पर प्राइवेट से सीटी स्कैन कराना पड़ता है अथवा जिले के चिकित्सक उन्हें सीधे पीएमसीएच रेफर कर देते हैं. मरीज या उनके परिजनों के साथ-साथ डॉक्टर को भी इस बात की जानकारी नहीं हो पाती है कि मरीज की हालत कितनी सीरियस है. वह पटना पहुंच पायेगा अथवा नहीं, जिसके कारण सिर में गंभीर चोट लगने के बाद कई मरीज पटना पहुंचने के पहले रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. जबकि कई ऐसे मरीज को भी पटना जाना पड़ता है जिनके सिर में कोई गंभीर चोट नहीं होती और उनका इलाज जहानाबाद में ही किया जा सकता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जिले में सरकारी स्तर पर सीटी स्कैन की सुविधा आज तक उपलब्ध नहीं हो पायी है.राज्य की सर्वेक्षण टीम की रिपोर्ट पर शुरू की जाती है मशीन लगाने की प्रक्रिया :
जिले में स्वास्थ्य विभाग के द्वारा सीटी स्कैन की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कई बार सर्वेक्षण टीम को भेजा गया है. किसी जिले में सीटी स्कैन की मशीन स्थापित करने के लिए सबसे पहले सिविल सर्जन कार्यालय और जिला स्वास्थ्य समिति के स्तर से उसके लिए उपयुक्त जगह का चयन किया जाता है. इसकी सूचना राज्य मुख्यालय को दी जाती है. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग के द्वारा मुख्यालय से एक सर्वेक्षण की टीम को जिले में भेजा जाता है जिसके द्वारा चयनित जगह का अवलोकन कर वहां पर सीटी स्कैन की मशीन और उसके लिए अन्य जरूरी सुविधाएं स्थापित किए जाने की संभावना का आकलन किया जाता है. अगर टीम को ऐसा लगता है कि वहां सिटी स्कैन की मशीन की स्थापना कर सेवा की शुरुआत की जा सकती है तो वह अपनी रिपोर्ट स्वास्थ्य बिहार के राज्य मुख्यालय को देती है, जिसके बाद बीएमआरसीएल के द्वारा इसके लिए टेंडर निकाला जाता है. टेंडर विभिन्न एजेंसियों के द्वारा भरी जाती है उस में से किसी एक का चयन कर उसे उक्त जिले में सीटी स्कैन सेवा उपलब्ध कराने की अनुमति प्रदान की जाती है.जिले में कई बार आ चुकी है सर्वेक्षण की टीम :
जिले में सीटी स्कैन की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग के राज्य मुख्यालय से कई बार सर्वेक्षण की टीम आ चुकी है. हालांकि सर्वेक्षण टीम को अभी तक सीटी स्कैन मशीन स्थापित करने और उसकी सेवा जनता को उपलब्ध कराने के लिए उपयुक्त जमीन नहीं मिल पाई है. अभी तक जितनी भी सर्वेक्षण की टीम आई उसने सदर अस्पताल का दौरा किया जहां सीटी स्कैन के लिए उपयुक्त जमीन उपलब्ध नहीं हो पायी, जिसके कारण सेवा उपलब्ध कराए जाने के लिए बीएमआरसीएल के द्वारा टेंडर नहीं निकाला गया. यही स्थिति डायलिसिस सेंटर के लिए भी हुई थी. हालांकि तत्कालीन जिलाधिकारी रिची पांडेय के आने के बाद अस्पताल के विकलांग पुनर्वास केंद्र में डायलिसिस सेंटर स्थापित करने की अनुशंसा किए जाने के बाद वहां सर्वेक्षण टीम ने जगह को उपयुक्त पाया, जिसके बाद वहां डायलिसिस सेंटर का की स्थापना की जा सकी.पिछले साल जुलाई में भी आयी थी सर्वेक्षण टीम :
सदर अस्पताल के पुराने रेड क्रॉस भवन में सीटी स्कैन की सुविधा उपलब्ध कराने का सुझाव सिविल सर्जन कार्यालय और जिला स्वास्थ्य समिति के द्वारा अनुशंसा कर राज्य मुख्यालय को भेजा गया था जिसके बाद राज्य मुख्यालय के द्वारा सर्वेक्षण की टीम जिले में पिछले जुलाई माह में भेजी गयी बीएमएसआइसीएल की सर्वेक्षण टीम को रेड क्रॉस भवन सिटी स्कैन स्थापित करने के लिए अनुपयुक्त लगा. टीम को एंबुलेंस चालक के रहने के लिए बनाए गए हॉल सदर अस्पताल परिसर में सीटी स्कैन स्थापित करने के लिए उपयुक्त लगी किंतु इसी बीच सदर अस्पताल के भवन को गिरा कर उसकी जगह नौ मंजिला आधुनिक भवन बनाने का प्रस्ताव पारित हो गया जिसके लिए निविदा निकली गयी और फिर चयनित एजेंसी के द्वारा पुराने भवन को गिराने का कार्य भी शुरू हो गया. आधी बिल्डिंग तो गिरायी भी जा चुकी है. इसके बाद अब एंबुलेंस चालक के हाल में सीटी स्कैन लगाने का प्रस्ताव का मामला अधर में लटक गया. अब नये सिरे से बिल्डिंग के निर्माण के बाद ही जहानाबाद जिले में सीटी स्कैन की सुविधा जिले के मरीजों को मिल सकेगी.क्या कहते हैं अधिकारी
सीटी स्कैन के लिए उपयुक्त जमीन नहीं मिल सकी थी. सर्वेक्षण टीम के द्वारा एंबुलेंस चालक के हॉल को इसके लिए उपयुक्त पाया गया था, किंतु फिलहाल सदर अस्पताल के भवन को गिराकर वहां नौ मंजिला मल्टी स्टोर बिल्डिंग बनाये जाने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद संभवत: नई बिल्डिंग में ही सीटी स्कैन मशीन स्थापित किये जाने की उम्मीद है. खालिद हुसैन, जिला स्वास्थ्य प्रबंधक, जहानाबादडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है