जहानाबाद.
पिछले एक पखवाड़ा से पड़ रही ठंड और कुहासे के कारण सब्जियों का उत्पादन कम हो गया है, जिसके कारण इनकी कीमत में भारी इजाफा हुआ है. हर प्रकार की हरी सब्जियां काफी महंगी हो गई हैं. इन दिनों हरी सब्जी गरीबों की थाली से दूर हो चुकी है. रोज कमाने खाने वाले और गरीब लोग हरी सब्जी के लिए तरस रहे हैं. कोई भी हरी सब्जी 40 से 50 रूपये किलो से कम नहीं बिक रही है. ऐसे में गरीब तो गरीब मध्यम वर्गीय परिवारों को भी हरी सब्जियां खाने में सोचना पड़ा रहा है. बताया जाता है कि लगातार एक पखवाड़े से ठंड और कुहासे के कारण सब्जियों का उत्पादन काफी कम हो गया है. खेतों में लगी ज्यादातर हरी सब्जियों के लत्तर और पौधे मुरझा रहे हैं. कुछ ऊंचाई पर वाले पौधे और लत्तर ही बचे हैं जिनसे सब्जियों का उत्पादन कम हो रहा है, वर्ना कम ऊंचाई और निचले हिस्से के खेतों में लगी सब्जियों के पौधे और लत्तर कुहासा और ठंड के कारण मुरझा रहे हैं या इस पर लाही का प्रकोप हो गया है. जो पौधे किसी प्रकार बच भी गया तो उनमें सब्जियां बहुत कम लग रही हैं जिसके कारण सब्जियों का उत्पादन पहले के मुकाबले काफी कम हो गया है. कम उत्पादन के कारण सब्जियां महंगी हो रही हैं. वैसे भी जहानाबाद जिले में सब्जियों का उत्पादन कम होता है. जबकि बहुत सारी सब्जियां बाहर से मंगाई जा रही हैं, जिसके कारण सब्जियों का ट्रांसपोर्टिंग भाड़ा व अन्य खर्चों से सब्जियां महंगी हो रही हैं. जहानाबाद के थोक सब्जी विक्रेता नौशाद आलम बताते हैं कि बीन रांची से आ रहा है. भंटा भी बंगाल से ही आ रहा है. लोकल स्तर पर अमैन के इलाके में भी भंटा उगाया जाता है. हालांकि लोकल स्तर पर उगाया जाने वाले भंटे से पूर्ति नहीं हो पाती है. जबकि परवल भोजपुर जिले से आता है. जहानाबाद जिले में लोकल स्तर पर परोर और भिंडी उगाए जाते हैं. परोर का सीजन खत्म हो चुका है. ठंड के कारण भिंडी के पौधे में फली बहुत कम आ रही हैं. वैसे भी भिंडी का उत्पादन बहुत कम हो चुका है. कुछ हद तक थोड़ी-बहुत कद्दू की उपज भी जिले में हो जाती है, लेकिन इन दिनों वह भी बाहर से मंगाया जा रहा है. कद्दू जो कुछ दिनों पहले 20 से 25 रूपये में मिल जाता था जो इन दिनों 40 से 50 रूपये प्रति पीस मिल रहा है. फूलगोभी जो साधारण साइज की 25 से 30 रुपए पीस मिल रही थी. इन दिनों 50 से 60 रूपये पीस हो गई है. जबकि 10 से 15 रूपये में मिलने वाली छोटी फूलगोभी भी इन दिनों 30 रुपए प्रति पीस मिल रही है. बंधागोभी भी इन दोनों 40 से 50 रूपये केजी से कम में नहीं मिल रहा है. मटर छेमी ( छिलका सहित) 80 से 100 रूपये केजी आ रहा है. परवल इन दिनों 60 से 80 रुपए केजी बिक रहा है. कटहल भी इन दिनों 100 से 120 रूपये केजी मिल रहा है. जबकि बीन भी 50 से 60 रुपए किलो ही मिल रहा है. बोड़ा भी 60 से 70 रुपए केजी बिक रहा है. भंटा 40 से 50 रुपए प्रति किलो मिल रहा है. हालांकि टमाटर इन दिनों 50 से 60 रूपये केजी मिल रहा था. भिंडी भी 50 प्रति केजी से कम नहीं मिल रहा है. शिमला मिर्च 80 रुपए केजी बिक रहा है. सब्ज़ी वाला हरा केला 60 रुपए दर्जन की कीमत में बाजार में मिलता है.प्याज की कीमत 70 रूपये केजी तक पहुंच गई थी. नया प्याज निकालने के बाद इसकी कीमत 50 से 60 रुपए केजी है. लहसुन की कीमत तो आसमान छू रही है. बहुत छोटे से छोटे साइज की लहसुन भी 300 रूपये केजी बिक रही है. जबकि साधारण साइज का लहसुन 350 से 400 रुपए केजी पर मिल रहा है. इस तरह महंगी सब्जियां गरीबों की थाली तक नहीं पहुंच रही हैं. जबकि मध्यम वर्गीय परिवार भी दोनों शाम हरी सब्जियां खरीदने में काफी परेशानी महसूस कर रहे हैं. कहीं चने से काम चलाया जा रहा है तो कहीं सोयाबीन बरी से. सूखा चने का भाव भी 80 रुपए प्रति केजी से बढ़कर 90 से 100 रुपए प्रति केजी हो गया है.
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