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बार-बार पेशाब, वजन घटना और अधिक प्यास लगना मधुमेह के लक्षण

बार-बार पेशाब आना, वजन घटना और अधिक प्यास लगना मधुमेह यानी शुगर का लक्षण हो सकता है. काम करते समय तुरंत थक जाना और हाथ में झुनझुनी और किसी जख्म का जल्दी नहीं भरना भी शुगर का ही संकेत है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 14, 2024 8:06 PM

जहानाबाद.

बार-बार पेशाब आना, वजन घटना और अधिक प्यास लगना मधुमेह यानी शुगर का लक्षण हो सकता है. काम करते समय तुरंत थक जाना और हाथ में झुनझुनी और किसी जख्म का जल्दी नहीं भरना भी शुगर का ही संकेत है. अगर किसी व्यक्ति में ऐसे लक्षण नजर आते हैं तो उन्हें तुरंत अपने नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र में शुगर की जांच करानी चाहिए. शुगर की जांच और दवाएं सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर मुफ्त शुगर के मरीज को उपलब्ध कराई जाती है. उक्त बातें जहानाबाद के सिविल सर्जन देवेंद्र प्रसाद ने सदर अस्पताल के एनसीडी में विश्व मधुमेह दिवस पर एक शिविर के उद्घाटन के बाद कहीं. 14 नवंबर को पूरे विश्व में मधुमेह यानी शुगर दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस अवसर पर सदर अस्पताल के एनसीडी में एक मुफ्त जांच सह चिकित्सा परामर्श शिविर का उद्घाटन किया गया. सिविल सर्जन डॉ देवेंद्र प्रसाद ने शिविर का उद्घाटन किया. इस मौके पर एमसीडी प्रभारी डॉ अजय कुमार, डॉ रणधीर कुमार, डॉ मांडवी, डॉ अंशु और डॉ शिप्रा मौजूद थी. यह शिविर आगामी एक सप्ताह तक चलेगी, जिसमें संभावित मधुमेह के रोगियों की जांच और चिकित्सा की जाएगी. किसी रोगी में मधुमेह की पुष्टि होने पर उन्हें सरकारी अस्पताल से मुफ्त शुगर की दवा भी उपलब्ध कराई जाएगी. जहानाबाद सदर अस्पताल के अलावा जिले के सभी पीएचसी में मधुमेह की जांच और चिकित्सा के लिए शिविर का उद्घाटन किया गया है, जहां प्रखंडों के मरीज अपनी मुफ्त जांच और इलाज करा सकते हैं. इस मौके पर सिविल सर्जन ने कहा कि स्वस्थ जीवन शैली को अपनाकर मधुमेह रोग से बचा जा सकता है. इसके लिए पौष्टिक और फाइबर युक्त आहार, भोजन में फल औऱ सब्जियों की प्रचुर मात्रा शामिल करने तथा व्यायाम, प्राणायाम, मॉर्निंग वॉक आदि से मधुमेह पर काबू पाया जा सकता है. मधुमेह एक दीर्घकालिक स्थिति है, जो या तो अग्न्याशय (पेनक्रियाज) की ओर से अपर्याप्त इंसुलिन निर्माण से या शरीर द्वारा प्रभावी ढंग से इंसुलिन का उपयोग करने में असमर्थता की वजह से पैदा होती है. इंसुलिन रक्त में शर्करा के स्तर को नियमित करने के लिए जरूरी है. शरीर में उचित इंसुलिन के सेक्रेशन के बिना रक्त शर्करा अनियंत्रित रूप से बढ़ सकती है. एक स्थिति जिसे हाइपरग्लाइसीमिया के नाम से जाना जाता है. अनियंत्रित मधुमेह, समय के साथ, शरीर की विभिन्न प्रणालियों, विशेष रूप से तंत्रिकाओं और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है. 2023 में प्रकाशित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद – भारत मधुमेह (आइसीएमआर आइएनडीआइएबी) अध्ययन के अनुसार देश में मधुमेह की व्यापकता 10.1 करोड़ है.

शरीर में मधुमेह के लक्षण :

मधुमेह के लक्षण अचानक प्रकट हो सकते हैं, हालांकि टाइप 2 मधुमेह में वे धीरे-धीरे विकसित हो सकते हैं, जिस पर ध्यान देने में कभी-कभी सालों लग जाते हैं. विशिष्ट संकेतों में अधिक प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, धुंधली दृष्टि, थकान और अकारण वजन कम होना शामिल हैं. यदि उपचार नहीं किया गया, तो मधुमेह दिल, आंखें, गुर्दे और तंत्रिकाओं जैसे महत्वपूर्ण अंगों में रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है. यह दिल के दौरे, स्ट्रोक, गुर्दे की निष्क्रियता और कुछ मामलों में क्षतिग्रस्त रेटिना रक्त वाहिकाओं के कारण स्थायी दृष्टि हानि सहित गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को बढ़ाता है. मधुमेह से तंत्रिकाओं में क्षति और पैरों में खराब परिसंचरण भी हो सकता है, जिसके चलते अल्सर और, संभावित रूप से, अंग का काटा जाना हो सकता है.

कैसे रोका जा सकता है मधुमेह को :

टाइप 2 मधुमेह को रोकने या विलंबित करने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना सबसे प्रभावी तरीका है. इसकी रोकथाम के लिए स्वस्थ वजन बनाए रखना, रोजाना कम से कम 30 मिनट मध्यम व्यायाम के साथ शारीरिक रूप से सक्रिय रहना, कम शर्करा और संतृप्त वसा वाले संतुलित आहार का पालन करना और तंबाकू के उपयोग से बचना आदि शामिल है. सक्रिय जीवनशैली प्रबंधन के माध्यम से, व्यक्ति टाइप 2 मधुमेह और उससे संबंधित जटिलताओं के विकास के जोखिम को कम कर सकते हैं.

सरकार द्वारा मधुमेह की रोकथाम की पहल :

भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत राष्ट्रीय गैर संचारी रोगों की रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम (एनपी-एनसीडी) के हिस्से के तौर पर मधुमेह से निपटने के लिए कई सक्रिय उपाय शुरू किये हैं. भारत सरकार, एनपी-एनसीडी के तहत, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के माध्यम से राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करती है. मधुमेह और अन्य गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और प्रबंधन पर ध्यान देने के साथ राज्य और केंद्रशासित प्रदेश के प्रस्तावों के आधार पर सहायता दी जाती है. स्थानीय स्तर पर देखभाल और सुलभ सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए पूरे भारत के 743 जिले में एनसीडी क्लिनिक और 6,237 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एनसीडी क्लिनिक स्थापित किए गए हैं. मधुमेह की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित करने, स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और त्वरित रोग-निदान और परामर्श की सुविधा पर जोर दिया जा रहा है. एक जनसंख्या-आधारित पहल अमल में लाई गई जो मधुमेह, उच्च रक्तचाप और कुछ कैंसर जैसे नॉन कम्युनिकेबल डिसीज के लिए स्क्रीनिंग और नियंत्रण प्रदान करती है. 30 से अधिक उम्र के लोगों पर फोकस करते हुए, आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में दी जाने वाली स्क्रीनिंग स्वास्थ्य सेवाओं का एक मुख्य हिस्सा है. ये केंद्र निवारक स्वास्थ्य प्रथाओं को बढ़ावा देते हैं, स्क्रीनिंग लागू करते हैं और समुदाय-आधारित कल्याण पहल में हिस्सेदारी करते हैं.

सरकार उपलब्ध कराती है वित्तीय सहायता :

एनपी-एनसीडी के अंतर्गत कार्यक्रम कार्यान्वयन योजनाओं के अनुसार मधुमेह जागरूकता कार्यक्रमों के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता मिलती है. निवारक उपायों के साथ ही, एनपी-एनसीडी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के अनुरोध के अनुसार ग्लूकोमीटर और मधुमेह दवाओं की खरीद के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान करता है. एनएचएम की नि:शुल्क औषधि सेवा पहल आर्थिक रूप से कमजोर समूहों को इंसुलिन सहित नि:शुल्क आवश्यक दवाएं प्रदान करती है. प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के जरिए, व्यापक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए राज्यों के सहयोग से इंसुलिन सहित गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं सस्ते दामों पर उपलब्ध कराई जाती हैं. विश्व मधुमेह दिवस वैश्विक स्वास्थ्य पर मधुमेह के बढ़ते प्रभाव और इस पुरानी स्थिति को रोकने, निदान और प्रबंधन के लिए सामूहिक कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता की याद दिलाता है.

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