सबसे पहले मां लक्ष्मी ने बांधी थी अपने भाई को राखी

प्रति वर्ष सावन मास में पूर्णिमा तिथि पर भाई-बहन का रक्षा बंधन का पवित्र त्योहार मनाया जाता है. रक्षाबंधन का पावन पर्व सोमवार को मनाया जायेगा. धार्मिक कथाओं के अनुसार रक्षाबंधन के पावन पर्व को मनाने की शुरुआत माता लक्ष्मी ने की थी.

By Prabhat Khabar News Desk | August 18, 2024 10:25 PM
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कुर्था . प्रति वर्ष सावन मास में पूर्णिमा तिथि पर भाई-बहन का रक्षा बंधन का पवित्र त्योहार मनाया जाता है. रक्षाबंधन का पावन पर्व सोमवार को मनाया जायेगा. धार्मिक कथाओं के अनुसार रक्षाबंधन के पावन पर्व को मनाने की शुरुआत माता लक्ष्मी ने की थी. सबसे पहले मां लक्ष्मी ने बांधी थी अपने भाई को राखी. इस दिन बहन-भाई को राखी बांधती है और भाई, बहन को उपहार देता है और जीवन भर बहन की रक्षा करने का वचन भी देता है. धार्मिक कथाओं के अनुसार जब राजा बलि ने अश्वमेध यज्ञ करवाया था, तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांग ली थी. राजा ने तीन पग धरती देने के लिए हां बोल दिया था. राजा के हां बोलते ही भगवान विष्णु ने आकार बढ़ा लिया और तीन पग में ही पूरी धरती नाप ली और राजा बलि को रहने के लिए पाताल लोक दे दिया तब राजा बलि ने भगवान विष्णु से एक वरदान मांगा कि भगवन मैं जब भी देखूं तो सिर्फ आपको ही देखूं. सोते, जागते हर क्षण मैं आपको ही देखना चाहता हूं. भगवान ने राजा बलि को ये वरदान दे दिया और राजा के साथ पाताल लोक में ही रहने लगे. भगवान विष्णु के राजा के साथ रहने की वजह से माता लक्ष्मी चिंतित हो गईं और नारद जी को सारी बात बताई, तब नारद जी ने माता लक्ष्मी को भगवान विष्णु को वापस लाने का उपाय बताया. नारद जी ने माता लक्ष्मी से कहा कि आप राजा बलि को अपना भाई बना लीजिए और भगवान विष्णु को मांग लीजिए. नारद जी की बात सुनकर माता लक्ष्मी राजा बलि के पास वेश बदलकर गईं और उनके पास जाते ही रोने लगीं. राजा बलि ने जब माता लक्ष्मी से रोने का कारण पूछा तो मां ने कहा कि उनका कोई भाई नहीं है, इसलिए वो रो रही हैं. राजा ने मां की बात सुनकर कहा कि आज से मैं आपका भाई हूं. माता लक्ष्मी ने तब राजा बलि को राखी बांधी और उनके भगवान विष्णु को मांग लिया. ऐसा माना जाता है कि तभी से भाई-बहन का यह पावन पर्व मनाया जाता है. ऐसे बांधें भाई को राखी : वास्तु के अनुसार घर का मुख्य द्वार वह प्रमुख स्थान है, जहां से सकारात्मक ऊर्जा आपके घर के भीतर प्रवेश करती है, जो आपकी और भाई की समृद्धि के लिए मददगार हो सकती है. रक्षाबंधन के दिन मुख्य द्वार पर ताजे फूलों और पत्तियों से बनी बंधनवार लगाएं और रंगोली से घर को सजाएं. पूजा के लिए एक थाली में स्वास्तिक बनाकर उसमें चंदन, रोली, अक्षत, राखी, मिठाई और कुछ ताज़े फूलों के बीच में एक घी का दीया रखें. दीपक प्रज्ज्वलित कर सर्वप्रथम अपने ईष्टदेव को तिलक लगाकर राखी बांधें और आरती उतारकर मिठाई का भोग लगाएं, फिर भाई को पूरब या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठाएं. इसके बाद उनके सिर पर रुमाल या कोई वस्त्र रखें. अब भाई के माथे पर रोली-चंदन और अक्षत का तिलक लगाकर उसके हाथ में नारियल दें.

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