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करोड़ों की लागत से बना आइसीयू बंद

जिले का एक मात्र आइसीयू बंद हो गया है. उस पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. सदर अस्पताल को तो पीकू वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है, किंतु अस्पताल में संचालित आइसीयू को शिफ्ट करने के लिए जगह नहीं मिली. जिसके कारण जिले का एक मात्र आइसीयू फिलहाल अस्तित्व में नहीं है. ज्ञात हो कि सदर अस्पताल की मुख्य बिल्डिंग को गिराकर उसकी जगह नौ तल्ले की मल्टी स्टोर बिल्डिंग बनायी जा रही है.

जहानाबाद. जिले का एक मात्र आइसीयू बंद हो गया है. उस पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. सदर अस्पताल को तो पीकू वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है, किंतु अस्पताल में संचालित आइसीयू को शिफ्ट करने के लिए जगह नहीं मिली. जिसके कारण जिले का एक मात्र आइसीयू फिलहाल अस्तित्व में नहीं है. ज्ञात हो कि सदर अस्पताल की मुख्य बिल्डिंग को गिराकर उसकी जगह नौ तल्ले की मल्टी स्टोर बिल्डिंग बनायी जा रही है. इसके लिए अस्पताल के पूरे हिस्से को गिराया जा चुका है. इसी कारण सदर अस्पताल की इमरजेंसी और वार्ड को पीकू वार्ड में शिफ्ट कर संचालित किया जा रहा है. अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग में आईसीयू भी संचालित हो रही थी. अब चूंकि पीकू वार्ड में जगह नहीं है जहां आईसीयू को शिफ्ट किया जा सके, जिसके कारण जिले के एकमात्र आइसीयू का संचालन ठप हो चुका है. आईसीयू को शिफ्ट करने के लिए अभी तक कहीं भी जगह नहीं मिली है. जीएनएम भवन में पहले से ही सदर अस्पताल के कई विभाग संचालित हो रहे हैं. कई विभाग को भी जीएनएम भवन में शिफ्ट किया गया है. प्रबंधक कक्ष और कार्यालय को भी वहीं शिफ्ट किया गया है. इस सब के अलावा सदर अस्पताल के फर्नीचर, बेड एसी गोदरेज सहित अन्य फर्नीचर को भी जीएनएम भवन कमरे में रक्खे गए हैं क्योंकि पीकू वार्ड में पहले से ही बेड, फर्नीचर, गोदरेज वगैरह से सुसज्जित कर ही उसे स्वास्थ्य विभाग को हैंडओवर किया गया था. अब ऐसे में सदर अस्पताल का आईसीयू शिफ्ट करने के लिए अभी तक स्वास्थ्य विभाग के पास कोई भवन उपलब्ध नहीं हो सका है. ऑपरेशन के बाद मरीज को रखने के काम में आता था आइसीयू : विशेषज्ञ डॉक्टर और उनके टेक्निकल स्टाफ की कमी के कारण सदर अस्पताल का आइसीयू वैसे भी हार्ट अटैक अथवा दुर्घटना रूप में गंभीर रूप से घायल और क्रिटिकल मरीजों को रखने के काम में नहीं आ पाता था. चिकित्सक ऐसे मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद तुरंत पीएमसीएच, आइजीआइएमएस अथवा एम्स रेफर कर देते थे. सदर अस्पताल का आइसीयू ऑपरेशन के बाद रोगियों को रखने के काम में आता था. हालांकि आइसीयू में ही हर्ट वार्ड भी बना था किंतु उसमें भी हर्ट अटैक के किसी रोगी को भर्तीकर इलाज नहीं किया जाता था. ऐसे हर्ट अटैक होने के बाद कोई रोगी जब कभी सदर अस्पताल में इलाज कराने आते थे तो प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें पटना के बड़े अस्पतालों में भेज दिया जाता था. इसी तरह जिले में हुई दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल मरीज जब गंभीर स्थिति में इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया जाता था तो उन्हें भी प्राथमिक उपचार के बाद पीएमसीएच भेजना चिकित्सकों की विवशता बन जाती थी, किंतु सदर अस्पताल में बंध्याकरण सिजेरियन आंख का ऑपरेशन या किसी एन ऑपरेशन के बाद मरीज को आईसीयू में रखा जाता था ताकि आईसीयू में लगाए गए मशीनों का उपयोग होता रहे और वह चालू हालत में रहे. विशेषज्ञ चिकित्सकों की है कमी : सदर अस्पताल विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा है, जिसके कारण अस्पताल में गंभीर रोगियों का इलाज नहीं हो पाता है. गंभीर रोग से पीड़ित मरीज और दुर्घटना में गंभीर रूप से घायलों को पीएमसीएच भेजना चिकित्सकों की मजबूरी बन जाती है. सदर अस्पताल में आईसीयू का निर्माण बड़े तामझाम से किया गया था. चार बेड के इस आईसीयू में करोड़ों के इंस्ट्रूमेंट लगाए गए थे, किंतु विशेषज्ञ चिकित्सकों के अभाव में ऑपरेशन के बाद मरीज को रखने के काम में आता था या कभी कोई वीआईपी मरीज आईसीयू में रखे जाते थे. अगर आईसीयू के लिए जगह नहीं मिली तो करोड़ों के मशीन वाले यह आईसीयू ऑपरेशन के बाद मरीज को रखने के काम में भी नहीं आ पायेगा.

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