भवन तोड़े जाने के बाद से ही बंद है आइसीयू

जिले का एकमात्र सदर अस्पताल का हाल बेहाल है. जब से सदर अस्पताल की पुराने भवन को तोड़कर उसे पीकू वार्ड में संचालित किया जा रहा है, तब से स्थिति और भी बदतर हो गयी है. पिछले मई महीने में सदर अस्पताल को पीकू वार्ड में स्थानांतरित किया गया था

By Prabhat Khabar News Desk | December 14, 2024 10:39 PM

जहानाबाद. जिले का एकमात्र सदर अस्पताल का हाल बेहाल है. जब से सदर अस्पताल की पुराने भवन को तोड़कर उसे पीकू वार्ड में संचालित किया जा रहा है, तब से स्थिति और भी बदतर हो गयी है. पिछले मई महीने में सदर अस्पताल को पीकू वार्ड में स्थानांतरित किया गया था, तब से अस्पताल में मरीज को बेड की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है. कभी-कभी तो स्थिति यह हो जाती है कि एक बेड पर ही दो-दो मरीजों को लिटाकर एक साथ इलाज करना पड़ता है. अस्पताल को पीकू वार्ड में शिफ्ट किये जाने के बाद से सदर अस्पताल का आइसीयू बंद हो गया है. आइसीयू में रखे करोड़ों रुपये के इंस्ट्रूमेंट कबाड़खाने में जंग खा रहे हैं. इधर, पीकू वार्ड में मरीजों को न तो आइसीयू की सुविधा मिल रही है और न ही आधुनिक मशीनों की. अस्पताल में कार्डियो, मॉनिटर, वेंटिलेटर जैसे आधुनिक उपकरण नहीं हैं. यह मशीन आइसीयू में लगे थे जो इन दिनों कबाड़खाने में पड़े हैं. गंभीर मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद सदर अस्पताल से पीएमसीएच रेफर कर दिया जाता है. सदर अस्पताल के चिकित्सक आये दिन अपनी ड्यूटी से फरार रहते हैं. पिछले सोमवार को इमरजेंसी ड्यूटी से चिकित्सक के फरार रहने पर हंगामा हुआ था. उत्पाद विभाग द्वारा पकड़ कर ले गये बंदियों का कोरोना जांच करना था किंतु सदर अस्पताल की इमरजेंसी में कोई चिकित्सक नहीं थे. इससे पहले 16 अगस्त को सदर अस्पताल की इमरजेंसी में चिकित्सक नहीं रहने के कारण वर्षीय वर्षीय एक बच्चे की इलाज के अभाव में मौत हो गयी थी, जिसके बाद खूब हंगामा हुआ था. सदर अस्पताल की ओपीडी में भी चिकित्सक लेट से आते हैं और समय से पहले चले जाते हैं, इसके बावजूद कई चिकित्सक अपनी ड्यूटी से फरार हो जाते हैं. इसका जीता-जागता उदाहरण 10 अगस्त को डीएम द्वारा सदर अस्पताल का निरीक्षण हैं. डीएम के निरीक्षण के दौरान अस्पताल के नौ डॉक्टर अनुपस्थित पाये गये थे. इससे पहले और बात भी कई बार डीएम, सिविल सर्जन सहित अन्य अधिकारियों के निरीक्षण के दौरान अस्पताल से चिकित्सक और कर्मी अनुपस्थित पाये गये हैं. सदर अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन अमूमन 800 से लेकर 1000 पेशेंट इलाज कराने आते हैं. अस्पताल में साफ-सफाई की स्थिति भी बेहद खराब रहती है. सिरिंज, कॉटन इस्तेमाल किये गये ग्लव्स व अन्य वेस्ट मटेरियल फेंके पाये जाते हैं. कई बार ऐसे मेडिकल वेस्ट मटेरियल सदर अस्पताल के बाहर कूड़े पर फेंके हुए पाये गये हैं. सदर अस्पताल में संचालित ऑक्सीजन प्लांट पिछले डेढ़ साल से बंद हैं. वर्ष 2021 में कोरोना लहर के बाद केंद्र सरकार के द्वारा सदर अस्पताल में अगस्त महीने में ऑक्सीजन प्लांट शुरू कराया गया था. यह ऑक्सीजन प्लांट अगस्त 2023 से बंद है, तब से बाजार से महंगे दाम पर ऑक्सीजन लाकर किसी तरह मरीज का काम चलाया जा रहा है. इसमें भारी राशि खर्च हो रही है, बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग ने डेढ़ साल के बाद भी ऑक्सीजन प्लांट की मरम्मत नहीं कराई है. मरम्मत में करीब दो लाख रुपये का खर्च है.

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