तेज रफ्तार और नियमों की अनदेखी ले रही है लोगों की जान
जिले में वाहनों की तेज रफ्तार लगाम नहीं लग रहा है. वाहनों की तेज रफ्तार और ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन मासूम लोगों की जिंदगी छीन ले रही है, बावजूद इसके वाहनों की स्पीड पर ब्रेक नहीं लग रहा है.
जहानाबाद.
जिले में वाहनों की तेज रफ्तार लगाम नहीं लग रहा है. वाहनों की तेज रफ्तार और ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन मासूम लोगों की जिंदगी छीन ले रही है, बावजूद इसके वाहनों की स्पीड पर ब्रेक नहीं लग रहा है. मंगलवार को ट्रैक्टर की तेज रफ्तार से कल्पा रोड में एक मासूम किशोर की मौत हो गयी, तो बुधवार को तेज रफ्तार हाइवा ने राष्ट्रीय राजमार्ग 83 पर इमलियाचक के निकट एक राज मिस्त्री की जान ले ली. पटना-गया राष्ट्रीय राजमार्ग 83 पर जहानाबाद शहर को छोड़कर जब से बाईपास बनाया गया है, तब से बाइपास पर आये दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं जिनमें लोगों की जान जा रही है, तो कई लोग गंभीर रूप से जख्मी होकर जिंदगी और मौत से जंग लड़ते नजर आते हैं. ऐसी बात नहीं है कि केवल बाईपास पर ही तेज रफ्तार वाहन दुर्घटना को अंजाम दे रहे हैं. जहानाबाद-कल्पा पथ जैसे देहाती इलाके की सड़क पर भी वाहन चालक रफ्तार पर लगाम नहीं लगाते, जिसके कारण दुर्घटना में मासूम किशोर की जान चली गयी. राष्ट्रीय राजमार्ग से लेकर स्टेट हाईवे और देहाती क्षेत्र की सड़कों पर भी आये दिन दुर्घटनाएं होती हैं, जिसमें बेकसूरों की जान चली जाती है. ज्यादातर दुर्घटनाओं में वाहनों की तेज रफ्तार ही दुर्घटना का कारण बनती है.परिवहन विभाग और एनएचआइ के द्वारा सड़क की स्थिति क्षेत्र और घनी आबादी को देखते हुए वाहनों की स्पीड की सीमा तय की जाती है. शहरी क्षेत्र में वाहनों की स्पीड की एक सीमा तय की गयी होती है. अमूमन यह सीमा ऐसी आबादी वाले क्षेत्र में 20 किलोमीटर प्रति घंटे की होती है. इसके लिए घनी आबादी वाले क्षेत्र में प्रवेश वाली जगह पर ही गति सीमा की बोर्ड लगाई जाती है किंतु जहानाबाद जिले में हर ऐसी घनी आबादी वाली क्षेत्र में प्रवेश के पहले बोर्ड नहीं लगाया गया है. जहां कहीं वह बोर्ड लगा हुआ भी है तो वाहन चालक उन नियमों का पालन नहीं करते हैं जिसके कारण तेज रफ्तार में चलने वाले वाहन चालक के साथ-साथ आम लोग भी दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं और अपनी जानें गंवा रहे हैं. जिले में आए दिन सड़क दुर्घटनाएं होती हैं जिसमें अक्सर लोगों की जान चली जाती है. वाहनों की बेहिसाब रफ्तार के कारण जिले में हिट एंड रन का मामला भी बढ़ रहा है. आए दिन कोई वहां किसी सड़क पर चलते व्यक्ति को कुचलकर भाग जाता है. अमूमन हर महीने जिले में सड़क दुर्घटना के दौरान तीन से छह लोगों की मौत हो जाती है. जबकि दर्जनों लोग घायल हो जाते हैं.हाइ स्पीड और नियमों की अनदेखी है सबसे बड़ा कारण : जिले में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण वाहनों की हाइस्पीड और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी है. इसके अलावा वाहनों द्वारा एक-दूसरे का ओवरटेक करने, झपकी लगने अथवा शराब पीकर गाड़ी चलाने और घनी आबादी में भी वाहनों की गति निर्धारित गति सीमा के अनुसार नहीं रखना भी दुर्घटना का कारण बनता है. अगर घनी आबादी वाली जगहों पर प्रवेश के समय अगर सतर्कता बरती जाये और भीड़-भाड़ वाले क्षेत्र में प्रवेश के पहले गति सीमा और सतर्कता का बोर्ड, सड़क पर स्पीड ब्रेकर लगाई जाए और सड़क किनारे उगे जंगलों को साफ कर विजिबिलिटी बढ़ाई जाए तो दुर्घटनाओं में काफी हद तक कमी लाई जा सकती है किंतु अभी तक एनएचआइ और आरसीडी के द्वारा इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. दुर्घटना में ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन और शराब पीकर गाड़ी चलाना भी प्रमुख वजह बनती हैं.अब बाइपास में बेतहाशा दौड़ते हैं बड़े वाहन : शहर में सुबह 8 से रात 9 तक बड़े वाहनों के लिए नो एंट्री लगायी गयी है. नो एंट्री के बाद बड़े वाहन खासकर बालू और गिट्टी लादने वाले डंपर और ट्रक ट्रैफिक नियमों को ताक पर रखकर तेज रफ्तार से वाहन हांकते थे किंतु जब से बाईपास चालू हुआ है तब से बाइपास में ऐसे वाहन बेतहाशा दौड़ लगाते हैं. खासकर बालू और गिट्टी लदे ट्रक चालक पुलिस, परिवहन और खनन विभाग से बचने के लिए तो जल्दी-जल्दी ट्रिप लगाने के लिए लापरवाही और हाइस्पीड में वाहन चलाकर भागते नजर आते हैं. यही कारण है कि इन दोनों बाईपास में सड़क दुर्घटनाएं काफी बढ़ गयी हैं.ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करते से नजर आते हैं टेंपो चालक : शहरी क्षेत्र में टेंपो चालक और बाइक चालक भी तेज रफ्तार और ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन कर वाहन चलाते हैं, जिनके कारण अक्सर दुर्घटनाएं होती हैं. वहीं बस चालक बीच सड़क पर वाहन रोककर पैसेंजर उठाते हैं. स्टैंड पर टाइम पकड़ने के लिए बस चालक तेज रफ्तार से बसें चलाते हैं जो दुर्घटना का कारण बनता है जहां-तहां खराब और गड्ढे वाली सड़क तथा अवैध ठोकर भी दुर्घटना का कारण बन जाता है.एनएचआइ और नगर परिषद की है जिम्मेदारी : राष्ट्रीय राजमार्ग पर घनी आबादी और शहरी क्षेत्र में प्रवेश के पहले गति सीमा अथवा तीखे मोड़ के पहले सतर्कता का बोर्ड एनएचआइ को लगाने की जिम्मेदारी दी गई है. जबकि नगर परिषद क्षेत्र में यह जिम्मेदारी नगर परिषद तथा नगर पंचायत क्षेत्र में बोर्ड लगाने की जिम्मेवारी नगर पंचायत को है. इसी प्रकार स्टेट हाइवे पर बोर्ड लगाने की जिम्मेदारी एसएच की है. सभी अपनी-अपनी जिम्मेदारी को निभाने में विफल रहते हैं. जहां कहीं सतर्कता बोर्ड लगा भी हुआ है तो वाहन चालक उस सतर्कता बोर्ड के निर्देशों का पालन नहीं करते हैं.शहर में दिन में लगती है नो एंट्री : कुछ वर्ष पहले तक जहानाबाद शहर दुर्घटना का हॉटस्पॉट बना था. शहर के समाहरणालय के निकट बने कारगिल चौक से लेकर काको मोड़ तक के बीच आये दिन दुर्घटनाएं होती थीं. इसमें काको मोड़, ऊंटा सब्जी मंडी, अरवल मोड़, फिदाहुसैन मोड़, बत्तीस भंवड़िया दुर्घटना के लिए ब्लैक स्पॉट बना था जिनमें होने वाली दुर्घटनाओं में बड़ी संख्या में लोगों की जान जा चुकी है जिसके बाद जिला प्रशासन ने शहर में सुबह 8 बजे से लेकर रात नौ बजे तक बड़े वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी जिसके बाद शहरी क्षेत्र में होने वाली दुर्घटनाओं में कमी आई है किंतु जब से बाईपास चालू हुआ है तब से दुर्घटनाएं बाईपास में काफी बढ़ गयी हैं. बाइपास चालू होने के पहले रात में 9 बजे के बाद जब नो एंट्री खत्म होती है तो बड़े वाहन खासकर बालू और गिट्टी ढोने वाले हाइवा और बड़े ट्रक चेकिंग से बचने के लिए हाई स्पीड में वाहन चलाकर भागते नजर आते थे. सुबह में भी यही हाल होता था जिसके कारण इन्हीं समय में शहरी क्षेत्र में दुर्घटनाएं ज्यादा होती थीं. अभी भी नो एंट्री के बाद शहरी क्षेत्र से बड़े वाहन गुजरते हैं लेकिन बाईपास चालू होने के बाद अब इनकी संख्या पहले के बनिस्बत कम हो गयी है.क्या कहते हैं अधिकारीजिले में अक्सर वाहन चेकिंग का अभियान चलाया जाता है. चेकिंग के दौरान हाइ स्पीड में चलने वाले वाहन चालकों को पकड़ कर उनसे जुर्माना वसूला किया जाता है. ड्राइविंग लाइसेंस चेक करने की भी कार्रवाई होती है. ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूकता के लिए सड़क जागरूकता अभियान के तहत कई कार्यक्रम आयोजित किये गये हैंं. आगे भी जागरूकता अभियान चलाये जायेंगे.राहुल कुमार, जिला परिवहन पदाधिकारी, जहानाबाद
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