22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

डीजीपी व एसपी को किशोर न्याय परिषद ने दिया निर्देश

सर्वोच्च न्यायालय ने 2015 में दो अलग-अलग मामलों में सुनवाई करते हुए आइटी एक्ट की धारा 66ए को असंवैधानिक घोषित किया था.

जहानाबाद नगर. सर्वोच्च न्यायालय ने 2015 में दो अलग-अलग मामलों में सुनवाई करते हुए आइटी एक्ट की धारा 66ए को असंवैधानिक घोषित किया था. सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के नौ साल बीत जाने के बावजूद भी शकुराबाद थाने के द्वारा एक बच्चे के विरुद्ध आइटी एक्ट की धारा 66 ए के तहत एफआइआर दर्ज किया गया. आश्चर्य कि बात तों यह है कि जिस आइटी एक्ट की धारा 66 ए को नौ साल पहले विलोपित कर दिया गया है, उसे अभी तक पुलिस अधिकारियों के द्वारा क्रियान्वयन नहीं किया जा रहा है. दरअसल पूरा मामला यह है कि शकुराबाद थाना ने बच्चे के खिलाफ आइटी एक्ट की धारा 66 ए, 66सी, 66 डी के तहत एफआइआर दर्ज किया था. किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी निवेदिता कुमारी ने बताया कि यह बेहद चौंकाने वाला है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गये फैसले के नौ साल बीत जाने के बावजूद शकुराबाद थाना ने बच्चे के खिलाफ एफआइआर दर्ज किया है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी आइटी एक्ट की धारा 66 ए के इस्तेमाल को रोकने का निर्देश जारी किया है और माना कि किसी पर भी आइटी एक्ट की धारा 66 ए के तहत मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए, जिसे 2015 में ही असंवैधानिक करार दिया गया था और राज्यों के सभी डीजीपी, गृह सचिव और सक्षम अधिकारी को भी उक्त निर्देश जारी किये गये थे कि वे पूरे पुलिस बल को आईटी एक्ट की धारा 66ए के उल्लंघन के संबंध में कोई शिकायत दर्ज न करने का निर्देश दें. जब जांच अधिकारी से प्रधान दंडाधिकारी ने पूछा कि आइटी एक्ट की धारा 66 ए के तहत मामला क्यों दर्ज किया गया है, तो उन्होंने कहा कि यह शकुराबाद एसएचओ द्वारा दर्ज किया गया है. किशोर न्याय परिषद ने आगे कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि डीजीपी बिहार, शकुराबाद के पुलिस अधिकारियों को निर्देश देना भूल गये हैं, या उन्होंने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में उचित निर्देश नहीं दिया है. किशोर न्याय परिषद जहानाबाद और अरवल के प्रधान दंडाधिकारी और बिहार के एक न्यायिक अधिकारी होने के नाते मेरा कर्तव्य है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और निर्णय का किशोर न्याय परिषद के क्षेत्राधिकार में रहने वाले सभी व्यक्तियों द्वारा अक्षरशः पालन किया जाए. किशोर न्याय परिषद ने कहा कि मैं अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए डीजीपी बिहार, एसपी जहानाबाद, डीएसपी मुख्यालय, एसजेपीयू को निर्देश देता हूं कि जहां तक आइटी एक्ट की धारा 66ए का संबंध है, पुलिस अधिकारियों को उचित निर्देश जारी किये जाएं. इस धारा के तहत कोई और एफआइआर दर्ज नहीं की जानी चाहिए. वहीं एसएचओ और जांच अधिकारी को किशोर न्याय परिषद ने लिखित स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया और कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को जान-बूझकर अवहेलना करने के लिए उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जाये.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें