सदर अस्पताल में नेत्र रोग विशेषज्ञ के नहीं रहने से परेशानी
जिले के सबसे बड़े सदर अस्पताल में आंख के कोई चिकित्सक नहीं हैं, जिसके कारण इस जिला अस्पताल में आंख का इलाज नहीं हो पा रहा है. हाल यह है कि सदर अस्पताल की ओपीडी में आंख दिखलाने के लिए आने वाले रोगियों की पर्ची भी नहीं काटी जा रही है.
जहानाबाद. जिले के सबसे बड़े सदर अस्पताल में आंख के कोई चिकित्सक नहीं हैं, जिसके कारण इस जिला अस्पताल में आंख का इलाज नहीं हो पा रहा है. हाल यह है कि सदर अस्पताल की ओपीडी में आंख दिखलाने के लिए आने वाले रोगियों की पर्ची भी नहीं काटी जा रही है.
एसीएमओ कार्यालय से सदर अस्पताल ड्यूटी करने वाले डॉक्टर हो गये सेवानिवृत्त
लंबी-लंबी लाइनों में खड़े होकर जब मरीज पर्ची काटने के लिए खिड़की पर पहुंचते हैं, तो कहा जाता है कि यहां आंख के डॉक्टर नहीं है, इसलिए आपकी पर्ची नहीं काटी जायेगी. इसके बाद जिले के सुदूर देहाती क्षेत्रों से भाड़ा खर्च कर सदर अस्पताल पहुंचने वाले आंख के रोगियों को मायूस होकर सदर अस्पताल से बैरंग वापस लौटना पड़ता है. मखदुमपुर के धराउत गांव से आंख दिखलाने आयी प्रमिला देवी ने बताया कि बुढ़ापे में अब कम नजर आ रहा है, इसीलिए वह सदर अस्पताल आंख दिखलाने के लिए आयी थी, किंतु लंबी लाइन में लगने के बाद काउंटर पर बताया गया की आंख के डॉक्टर नहीं है, इसलिए उनकी पर्ची नहीं काटी जायेगी. इसके बाद उन्हें मायूस होकर घर लौटना पड़ रहा है. 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो गये आंख के डॉक्टर : पिछले 31 दिसंबर को आंख के डॉ मो अली सेवानिवृत हो गये. उसके बाद से अभी तक सदर अस्पताल में कोई भी आंख के डॉक्टर नहीं आये हैं, जिसके कारण इस वर्ष एक जनवरी 2025 से सदर अस्पताल में आंख के किसी भी मरीज को देखा नहीं जा रहा है. सदर अस्पताल में फिलहाल आंख रोग विशेषज्ञ कोई भी डॉक्टर नहीं है. हालांकि मो अली भी सदर अस्पताल के आई स्पेशलिस्ट नहीं थे, बल्कि उनकी पदस्थापना एसीएमओ कार्यालय में थी, बावजूद इसके उन्हें सदर अस्पताल की ओपीडी में बैठाया जाता था. उनके कारण ही सदर अस्पताल के रोगी अपनी आंख का इलाज करा पाते थे. उनके रिटायर हो जाने के बाद अब सदर अस्पताल या एसीएमओ कार्यालय में कोई आई स्पेशलिस्ट नहीं है, जिसके कारण सदर अस्पताल में आने वाले आंख के मरीजों को डॉक्टर की कोई सेवा नहीं मिल पा रही है. वहीं सदर अस्पताल में आई स्पेशलिस्ट एक महिला चिकित्सक भी थी. उक्त महिला चिकित्सक का ट्रांसफर पिछले दिसंबर माह में ही हो गया. हालांकि यह बड़ा अजीब लगता है कि एसीएमओ कार्यालय के आई रोग विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ मो अली की सेवानिवृत्ति 31 दिसंबर को पहले से ही तय थी बावजूद इसके सदर अस्पताल के एकमात्र आई स्पेशलिस्ट लेडी डॉक्टर का ट्रांसफर पटना कर दिया गया. उनका स्थानांतरण मो अली के रिटायर होने के दिसंबर महीने में ही किया गया है. स्थानांतर होने के बाद उन्हें यहां से विरमित भी कर दिया गया. जबकि सदर अस्पताल की अधीक्षक से लेकर सिविल सर्जन तक को पता था कि डॉ मो अली का रिटायरमेंट 31 दिसंबर को होना है. आई स्पेशलिस्ट महिला चिकित्सक डॉ मो अली के रिटायर होने के कुछ दिन पहले ही यहां से पटना चली गयी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है