अगनूर चौकी जाने के लिए नहीं है सड़क, पगडंडी से जाने की मजबूरी

अरवल जिले के कलेर प्रखंड के अगनूर चौकी गांव विकास से कोसों दूर है. यहां के लोग सड़क के अभाव में पगडंडी का सहारा लेते हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | April 8, 2024 10:23 PM

अरवल.

कलेर प्रखंड के अगनूर चौकी गांव विकास से कोसों दूर है. देश को आजाद हुए सात दशक बीत चुके हैं. सरकार ग्रामीण क्षेत्र की विकास के लिए कई योजनाएं चला रही हैं. देश डिजिटल इंडिया की तरफ बढ़ रहा है, लेकिन आज भी विकास की किरण कई गांव में नहीं पहुंची है. कलेर प्रखंड के अगनूर चौकी जहां आजादी के सात दशक बीतने के बाद भी आज तक गांव तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं है. गांव में सड़क न होने के कारण ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जबकि इस गांव की दूरी अगनूर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 139 से मात्र डेढ़ किलोमीटर है. गांव में बीमार पड़ने पर लोग पीड़ित को चारपाई पर लादकर अस्पताल के लिए एनएच 139 तक ले जाते हैं. गांव के लोग पगडंडी के सहारे ही गांव में जाते हैं. ग्रामीणों को लगभग एक किलोमीटर इसी रास्ते से जाना पड़ता है जिससे गांव में सिर्फ मोटर साइकिल और साइकिल जाता है. गांव की आबादी करीब सात सौ से अधिक है और करीब 250 सौ से ऊपर घर है. ग्रामीण गणेश पासवान, धीरेंद्र पासवान, लक्ष्मण राम ने बताया कि इस गांव में बिजली की छोड़ कर कोई बुनियादी सुविधा नहीं है. वार्ड में नल- जल के नाम पर सिर्फ बोरिंग कराया गया है. किसी के घर में नल नहीं लगाया गया है और न ही जलमीनार बना है. सड़क नहीं होने के कारण बीमार को तो खाट पर ले जाना पड़ता ही है. साथ ही सड़क नही होने से शादी या अन्य समारोह सिर्फ गर्मी के दिनों में ही करना पड़ता है. हर बार चुनाव के समय नेताओं के द्वारा सड़क बनाने का आश्वासन दिया जाता है. लेकिन चुनावों के बाद कोई भी नेता गांव की तरफ नहीं देखता है. लोगों ने बताया कि जिलाधिकारी से लेकर कई नेताओं और मंत्रियों को भी गांव में सड़क निर्माण के लिए आवेदन दिया, लेकिन इसके बावजूद भी आज तक प्रशासन ने गांव में सड़क निर्माण के लिए कोई कदम नहीं उठाया है.

राष्ट्रीय राजमार्ग 139 से दूरी डेढ़ किमी :

गांव की राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 139 से दूरी डेढ़ किलोमीटर है. गांव में कोई घटना होने पर पुलिस के आने में कई घंटा लग जाता हैं. वही गांव में आगजनी होने पर सड़क नहीं होने से अग्निशमन विभाग की गाड़ियां भी नहीं आती हैं. ग्रामीणों को ही अपने संसाधन से आग पर काबू पाना पड़ता है. इस संबंध में कार्यपालक अभियंता रंजीत कुमार ने बताया कि इस गांव का सर्वे कराकर प्रस्ताव विभाग को भेजा गया है. अभी आदर्श अचार संहिता के कारण फाइल लटक गयी है.

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