सड़क पर बह रहा डायलिसिस सेंटर से निकलने वाला पानी

सदर अस्पताल परिसर के अपोलो डायलिसिस सेंटर से निकलने वाला गंदा और दूषित पानी इन दिनों नालियों से होकर गुजरने के बजाये सदर अस्पताल की सड़क पर बहता है. बताया जाता है कि डायलिसिस सेंटर से निकलने वाली नली में कहीं लीकेज है जिसके कारण केंद्र का पानी नाली से होकर बहाने के बजाय सड़कों पर बहता है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 16, 2024 10:54 PM

जहानाबाद. सदर अस्पताल परिसर के अपोलो डायलिसिस सेंटर से निकलने वाला गंदा और दूषित पानी इन दिनों नालियों से होकर गुजरने के बजाये सदर अस्पताल की सड़क पर बहता है. बताया जाता है कि डायलिसिस सेंटर से निकलने वाली नली में कहीं लीकेज है जिसके कारण केंद्र का पानी नाली से होकर बहाने के बजाय सड़कों पर बहता है. ऐसा एक-दो दिन से नहीं बल्कि महीनों से हो रहा है, बावजूद इसके न, तो अपोलो डायलिसिस सेंटर के अधिकारियों और न ही सदर अस्पताल के स्वास्थ्य प्रबंधक और अधीक्षक के द्वारा नाली की मरम्मत करायी गयी है. डायलिसिस सेंटर से निकलने वाली नाली को ब्लड बैंक के पास नाली में मिलाया गया है. बताया जाता है कि इन्हीं दोनों केंद्र के आसपास कहीं नाली में लीकेज है. डायलिसिस सेंटर का दूषित और गंदा पानी सड़कों पर बहने के कारण यह जानलेवा साबित हो सकता है. डायलिसिस सेंटर में किडनी के आम मरीजों के अलावा इनफेक्टेड मरीजों की भी डायलिसिस की जाती है. इनमें हेपेटाइटिस बी और सी के मरीज भी शामिल होते हैं. इन इनफेक्टेड मरीजों का पूरा खून मशीन में डाला जाता है. इसके बाद फिल्टर होकर उसे पुनः मरीज के शरीर में चढ़ाया जाता है. इस फिल्ट्रेशन के दौरान एक मरीज में उपयोग किए जाने के बाद उससे निकलने वाला करीब 150 लीटर दूषित और गंदा पानी नाली के सहारे बहाया जाता है. एक मरीज की डायलिसिस में काम से कम डेढ़ सौ लीटर पानी की जरूरत होती है. डायलिसिस सेंटर में पांच बेड है जिन पर दो से तीन शिफ्ट में डायलिसिस की जाती है. इस तरह प्रतिदिन करीब मरीज के डायलिसिस के बाद उसके शरीर से निकलने वाला करीब ढाई हजार लीटर गंदा और दूषित पानी सदर अस्पताल की सड़क पर बहता है. इससे सदर अस्पताल आने वाले मरीज उनके परिजन चिकित्सा और स्वास्थ्य कर्मियों में हमेशा इन्फेक्शन फैलने का खतरा बना रहता है. सदर अस्पताल आने वाले किसी मरीज उसके परिजन अथवा स्वास्थ्य कर्मी के पैर में जख्म है अथवा कोई कट लगा है और वह जूते नहीं पहनकर चप्पल पहनते हैं तो उनमें हेपेटाइटिस होने का खतरा हमेशा बना हुआ है, क्योंकि मरीज से निकलने वाला हेपेटाइटिस का वायरस ब्लड के संपर्क में आते ही इंफेक्शन फैला देता है. ऐसे में किसी जख्म अथवा कट की जगह पर यह पानी टच कर गया तो स्वस्थ व्यक्ति को भी हेपेटाइटिस हो सकता है. किडनी के मरीजों में कई और तरह के भी इंफेक्शन हो सकते हैं, क्योंकि किडनी मरीज जब डायलिसिस करता है तो उसका शरीर कमजोर हो जाता है और कमजोर शरीर को कई प्रकार की बीमारियां घेर लेती हैं.

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