केके पाठक के लिए उमड़ रहा जीतन राम मांझी का प्यार, पहले की तारीफ, अब विरोध करने वालों पर फूटा गुस्सा
सोशल मीडिया पर जीतन राम मांझी ने लिखा कि केके पाठक का विरोध करने वाले गरीब, दलित और अल्पसंख्यक विरोधी है. क्योंकि सरकारी विद्यालयों में अधिकांश छात्र-छात्राएं गरीब, दलित और अल्पसंख्यक तबके के ही होते हैं.
बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक के लिए इन दिनों राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री व हम (हिंदुस्तान आवाम मोर्चा) के सुप्रीमो जीतन राम मांझी का प्यार उबाल मार रहा है. इन दिनों वो सोशल मीडिया पर जमकर के के पाठक की सराहना कर रहे हैं. पहले तो उन्होंने गुरुवार को पाठक साहब की तारीफ की और इस दौरान उन्हें कुछ सलाह भी दी. वहीं अब शुक्रवार को अपर मुख्य सचिव के विरोधियों पर जीतन राम मांझी का गुस्सा फूटा है. उन्होंने के के पाठक के विरोधियों को दलित और गरीब विरोधी बताया है. इससे पहले पाठक की तारीफ करते हुए उन्होंने मंत्री, विधायक और सरकारी कर्मचारी के बच्चों को भी सरकारी स्कूल में अनिवार्य रूप से पढ़ाने का नियम बनाने की मांग की थी.
केके पाठक के विरोधियों से क्या बोले जीतन राम मांझी…
हम (हिंदुस्तान आवाम मोर्चा) के सुप्रीमो जीतन राम मांझी ने शुक्रवार को सोशल मीडिया साइट ‘एक्स’ पर एक पोस्ट किया. इस पोस्ट के माध्यम से उन्होंने पाठक के विरोधियों पर निशाना साधा. उन्होंने लिखा कि, ‘के के पाठक का विरोध करने वाले गरीब, दलित और अल्पसंख्यक विरोधी है. क्योंकि सरकारी विद्यालयों में अधिकांश छात्र-छात्राएं गरीब, दलित और अल्पसंख्यक तबके के ही होते हैं. उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में खास कर भुंईयां – मुसहर तबके के विद्यार्थी ही पढ़ने आते हैं. ऐसे में अब दलित, गरीब, अल्पसंख्यक विरोधी थोड़े ना चाहेंगें की ये तबका पढ़े. इसलिए ये केके पाठक का विरोध करते हैं.
के.के.पाठक का विरोध करने वाले गरीब,दलित,अल्पसंख्यक विरोधी है।
क्योंकि सरकारी विद्यालयों में अधिकांश इन्हीं तबके के छात्र/छात्रा,खास कर भुंईयां/मुसहर तबके के विद्यार्थी ही पढने आतें हैं।
अब दलित,गरीब,अल्पसंख्यक विरोधी थोड़े ना चाहेंगें की ये तबका पढ़े।— Jitan Ram Manjhi (@jitanrmanjhi) January 5, 2024
मांझी के पोस्ट पर आई प्रातक्रिया
जीतन राम मांझी द्वारा किए गए इस पोस्ट पर कई प्रतिक्रिया भी आई. एक यूजर ने मांझी के पोस्ट के जवाब में लिखा कि, ‘ये गलत है. आज भी गांवों में ही बिहार बसता है और गांवों में केवल भुंईयां या मुसहर तबका ही नहीं होता मांझी साहब, हर जाति के लोग होते हैं. आपको अगर बिहार कि जिवन शैली का एहसास नहीं है तो क्या खाक नेता हैं आप.
वहीं एक अन्य यूजर ने लिखा कि ‘मांझी जी! आप एक स्पष्टवादी राजनेता हैं. सभी सरकारी सेवकों के बच्चे चाहे वह चपरासी हो अथवा क्लास वन को सरकारी स्कूलों में पढ़ने के लिए कानून बनवाये. सभी एक समान हो जायेंगे. स्कूलों की स्थिति अपने आप सुधर जायेगी.
केके पाठक कर रहे अद्वितीय काम : मांझी
वहीं इससे पहले गुरुवार को जीतन राम मांझी ने अपर मुख्य सचिव के के पाठक द्वारा किए जा ही कार्यों की तारीफ करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा था कि, ‘वैसे तो के के पाठक साहब शिक्षा के दिशा में अद्वितीय काम कर रहें हैं. पर यदि वह एक काम और कर दें तो शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार हो जाएगा. इस पोस्ट के माध्यम से हम सुप्रीमो ने एसीएस को सुझाव भी दिया और लिखा कि मुख्य सचिव का बच्चा हो या चपरासी का, विधायक का बच्चा हो या मंत्री का, सरकार से वेतन उठाने वालों के बच्चे सरकारी स्कूल में ही पढ़ें.
वैसे तो के के पाठक साहब शिक्षा के दिशा में अद्वितीय काम कर रहें हैं।
पर यदि वह एक काम और कर दें तो शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार हो जाएगा।
“मुख्य सचिव का बच्चा हो या चपरासी का,विधायक का बच्चा हो या मंत्री का,सरकार से वेतन उठाने वालों के बच्चे सरकारी स्कुल में ही पढेगें।”— Jitan Ram Manjhi (@jitanrmanjhi) January 4, 2024
दीपक कुमार की जगह एसीएस बने थे केके पाठक
बता दें कि केके पाठक ने जून 2023 में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव का प्रभार संभाला था. पाठक के पहले शिक्षा विभाग के एसीएस दीपक कुमार थे. विभाग की कमान संभालने के बाद पाठक ने राज्य की शैक्षणिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कई कार्य किए हैं. उनके द्वारा लगातार जारी किए जा रहे आदेशों और फरमानों की वजह से कई स्कूल -कालेज में कई बदलाव आएं. लेकिन केके पाठक को इस दौरान काफी विरोध भी झेलना पड़ा है.
शिक्षकों से लेकर अभिभावकों ने किया विरोध
केके पाठक के आदेशों का विभाग के कर्मचारियों से लेकर शिक्षकों तक ने विरोध किया. यहां तक की अभिभावकों और मंत्रियों ने उनके आदेशों पर आपत्ति भी जताई. कुछ ने तो उनके विरोध में राजभवन तक मार्च कर ज्ञापन भी सौंपा.
राजभवन से भी हुआ टकराव
अब जब राजभवन की बात आई है तो आपको यह भी बता दें कि केके पाठक के आदेशों की वजह से कई बार राजभवन और शिक्षा विभाग में टकराव की स्थिति भी पैदा हुई है. बीते दिनों राज्यपाल के प्रधान सचिव ने ही ने शिक्षा विभाग के खिलाफ बिहार के मुख्य सचिव को पत्र लिखा था और बिहार के शैक्षणिक माहौल को बर्बाद करने का आरोप शिक्षा विभाग पर लगाया था.
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