Bihar Politics: जीतन राम को मिला कुशवाहा का साथ, गोपाल मंडल ने कहा- मांझी साधारण नेता, जाएं फर्क नहीं पड़ता
Bihar Politics: हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सुमन मांझी के बिहार कैबिनेट में मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद राज्य में राजनीति गर्म हो गयी है. जीतन राम मांझी और संतोष मांझी पर जहां महागठबंधन की पार्टियां हमलावर हो गयी हैं.
Bihar Politics: हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सुमन मांझी के बिहार कैबिनेट में मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद राज्य में राजनीति गर्म हो गयी है. जीतन राम मांझी और संतोष मांझी पर जहां महागठबंधन की पार्टियां हमलावर हो गयी हैं. वहीं, रालोजद उनके समर्थन में आ गया है. उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी ने सीएम नीतीश कुमार को बड़ा ठग करार दे दिया है. जबकि, गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र से जदयू विधायक गोपाल मंडल ने जीतन राम मांझी को लेकर विवादित बयान दे दिया है. अपने बयानबाजी के मशहूर गोपाल मंडल ने पूर्व मुख्यमंत्री को बड़ा नेता मानने से इंकार कर दिया है.
‘संतोष मांझी में समझदारी की कमी’
विधायक गोपाल मंडल ने पत्रकारों से बातचीत के कहते हुए कहा कि मांझी के बेटा कम उम्र का है, उसमें समझदारी की कमी है. कोई अपना इस्तीफा तब देता है, जब वह जानता है कि अब उसका महत्व खत्म हो गया है. जहां तक जीतन राम मांझी की बात है तो उन्हें नेता नीतीश कुमार ने बनाया था. मांझी नेता बनने रहने के लिए रह-रहके बयान देने लगे. यह अच्छी बात नहीं है.
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खुला दरबार है, जो आए,जो जाए: मंडल
गोपाल मंडल ने कहा कि जहां तक हम का जदयू में विलय करने की बात है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं था, विलय कर लेना चाहिए था. लेकिन उन्हें भागना था, सो भाग गए. गोपालपुर विधायक ने कहा महागठबंधन का दरबार खुला हुआ है, जिसे आना है आए, जिसे जाना है जाए. कोई फर्क नहीं पड़ता है. गोपाल मंडल ने जीतन राम मांझी को लेकर कहा वह कोई बड़े नेता नहीं है, जिनके रहने या जाने से सरकार को प्रभाव पड़ेगा. आने वाले चुनाव में भी इसका कोई असर नहीं पड़ेगा.
राजद ने भी किया हमला
आरजेडी के मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि राजद सुप्रीमो लालू यादव ने संतोष सुमन को एमएलसी बनाया था. फिर नीतीश कुमार की कैबिनेट में मंत्री बने. उनके पिता जीतन राम मांझी को भी नीतीश कुमार ने ही मुख्यमंत्री बनाया. मगर, इसके इस्तीफे से कोई फर्क नहीं पड़ता है. हम पार्टी को 23 को आयोजित विपक्षी दलों की बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया है. इसका कारण है कि ये लोग बार-बार गठबंधन बदलते रहते हैं. मगर मांझी फिर से एनडीए में जाते हैं तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता है.