बिहार कैबिनेट से संतोष मांझी के इस्तीफा के बाद आरोपों का दौर शुरू हो गया है. एक तरफ सीएम नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी पर बीजेपी के लिए जासूसी का आरोप लगा दिया. वहीं, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता श्याम सुन्दर शरण ने नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव पर हमला बोलते हुए कहा कि ये दोनों लोग पढ़े-लिखे नौजवान, उसमें भी खास करके दलित और अति पिछड़ा लोगों को पसंद नहीं करते. आज संतोष मांझी पर दबाव बनाकर के मंत्री पद से इस्तीफा देने को मजबूर करने का काम इनलोगों के द्वारा किया गया और महागठबंधन से बाहर किया गया. उसका एकमात्र कारण है कि संतोष मांझी पढ़े-लिखे, सुसंस्कारित और सुविचारित नेता है.
श्याम सुन्दर शरण ने कहा कि गरीब संपर्क की यात्रा पर जब वो निकले और उनसे जब लोग प्रभावित होने लगे, और एक हुजूम उमड़ा और लगा कि अब बिहार में एक नया नेतृत्व पैदा हो जाएगा दलित वर्ग से तो उनके पेट में दर्द हो गया . दरअसल तभी से इन लोगों ने साजिश के तहत संतोष मांझी का नेतृत्व पनप ना सके इसके लिए हम पार्टी को खत्म करने का प्लान बना लिया. वह तो समय रहते हमारे नेता समझ गए और किसी भी कीमत पर पार्टी के अस्तित्व और दलितों के स्वाभिमान से समझौता नहीं करने का निर्णय लिया और बगैर किसी झंझट के मंत्री पद का त्याग कर दिया.
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हम प्रवक्ता ने कहा कि बिहार में सबसे अनुभवी और सबसे पुराने नेता है मांझी साहब. यह सच है कि इन लोगों को पैर पूजने वाला दलित नेतृत्व चाहिए. कैसे तेजस्वी यादव अपने दुगने से भी ज्यादा उम्र के मंत्री रत्नेश सदा जी से पैर छूकर प्रणाम करवा रहे हैं. यह पूरा बिहार देख रहा है. तेजस्वी प्रसाद यादव जी को हर उस नौजवान से दिक्कत है जो जनता के बीच में अपनी एक महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराता है. चाहे वह चिराग हों, चाहे कन्हैया हों, चाहे मुकेश सहनी हों, चाहे संतोष मांझी हों या कोई और हो. आने वाले समय में इसका करारा जवाब दिया जाएगा.