बोधगया. पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी हिस्सा लेगी. उन्होंने कहा है कि उनका मोर्चा चुनाव लड़ेगा. इसके लिए गठबंधन में जगह मिली तो ठीक है, अन्यथा उनकी पार्टी हम अकेले ही चुनाव लड़ सकती हैं. इसके लिए उनके समाज के लोगों ने संपर्क साधना शुरू कर दिया है.
उन्होंने कहा कि उनके बयान के कारण उपजे विवाद का असर यूपी के चुनाव पर भी पड़ सकता है. अब यह देखना होगा कि किस पार्टी को इससे ज्यादा नुकसान होगा. पूर्व सीएम ने कहा कि यूपी के चुनाव में भी दलित, अनुसूचित जाति व मुसलमानों के हित की बात एक मसला होगा. इसे देखने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि उन्हें यूपी के राजन तिवारी ने भी हड़काया है. वह भी देख लेंगे.
पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने कहा कि वह ब्राह्मणों का सम्मान करते हैं, पर ब्राह्मणवाद का विरोध करते रहेंगे. उन्होंने कहा कि बगैर सही ज्ञान व विद्या के पूजा-पाठ करानेवाले पुजारियों से उन्होंने अपने समाज के लोगों को सावधान किया है. इसके लिए लोग कुछ भी कहते रहें.
बुधवार को पूर्व सीएम ने बोधगया में प्रेसवार्ता कर बताया कि पिछले दिनों पटना में अखिल भारतीय मुसहर भुइंया संघ की बैठक में उन्होंने कहा था कि जो लोग मांस, मदिरा का सेवन कर बगैर सही मंत्रोच्चारण के ही पूजा-अर्चना कराने पहुंच जाते हैं, वैसे लोगों से पूजा-पाठ कराना बंद करें.
उन्होंने कहा कि ऐसा देखा जा रहा है कि मांस- मदिरा का सेवन कर अखबार व किताब के माध्यम से किसी भी पूजा में हनुमान चालीसा व ऊं नम: शिवाय का जाप कर, खास कर मुसहर समाज के लोगों को मूर्ख बना कर पैसे ठगने का काम किया जाता है.
ऐसे लोगों से समाज के लोगों को आगाह किया था. पूर्व सीएम ने कहा कि कुछ पंडित ऐसे होते हैं, जो पूजा कराने का ढकोसला करते हैं और लोगों को मूर्ख बनाते हैं. वैसे लोगों के लिए उन्होंने िजस शब्द का प्रयोग किया था और आगे भी उसे करेंगे.
उन्होंने कहा कि वह ब्राह्मण का सम्मान करते हैं, पर मूर्ख पुजारी से दूर रहने की सलाह दी है. वह ब्राह्मण नहीं, बल्कि ब्राह्मणवाद का विरोध करते हैं, जिसमें ढकोसला व आडंबर है. वे दो-दो बार इसके लिए माफी भी मांग चुके हैं. फिर भी कुछ लोग उनकी जीभ काटने की बात कह रहे हैं.
इसके लिए खुला चैलेंज है कि वे जीभ काट कर दिखाएं. वैसे आगे वह अपने समाज पर इस मामले को छोड़ते हैं. पूर्व सीएम ने मुसहर समाज के लोगों की आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक स्थिति का उल्लेख किया व सरकारी के साथ-साथ निजी क्षेत्रों में भी आरक्षण देने की मांग की.