Jitiya Vrat Aarti: मिथिला में जितिया का निर्जला व्रत आज, इस आरती को पढ़ें बिना व्रत मानी जाती है अधूरी
Jitiya Vrat Aarti: मिथिला में जितिया का निर्जला व्रत आज है. व्रती महिलाएं पारिवारिक सदस्यों की सलामती के लिए तो वह प्रयत्न-प्रार्थना करती ही रहती है, पति व सुहाग के लिए भी खूब तपस्या करती है, इसलिए तीज जैसे निर्जला व्रत करती है.
Jitiya Vrat Aarti Video: आज मिथिला की महिलाएं जितिया का निर्जला व्रत रखीं हुई है. आज विधि विधान जीमूतवाहन की पूजा करेंगी. वहीं, मिथिला को छोड़कर बिहार और उत्तर प्रदेश की महिलाएं आज नहाय-खाय की परंपरा पूरा करेंगी. इसके बाद कल निर्जला उपवास रखेंगी. व्रती महिलाएं पारिवारिक सदस्यों की सलामती के लिए तो वह प्रयत्न-प्रार्थना करती ही रहती है, पति व सुहाग के लिए भी खूब तपस्या करती है, इसलिए तीज जैसे निर्जला व्रत करती है. गोद भरने के बाद उसका प्यार बंट जाता है. अब बच्चे के लिए कठिन-से-कठिन व्रतोपवास भी उठा लेती है और जान पर खेलकर उसकी लंबी आयु की कामना करती है. मान्यता है कि जीमूतवाहन की पूजा करने के बाद आरती जरूर करनी चाहिए. पूजा संपन्न होने के बाद बिना आरती किये व्रत अधूरी मानी जाती है.
जितिया व्रत की आरती Jitiya Vrat Aarti
ओम जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन।
त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥
ओम जय कश्यप…
सप्त अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।
दु:खहारी, सुखकारी, मानस मलहारी॥
ओम जय कश्यप…
सुर मुनि भूसुर वन्दित, विमल विभवशाली।
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥
ओम जय कश्यप…
सकल सुकर्म प्रसविता, सविता शुभकारी।
विश्व विलोचन मोचन, भव-बंधन भारी॥
ओम जय कश्यप…
कमल समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।
सेवत सहज हरत अति, मनसिज संतापा॥
ओम जय कश्यप…
नेत्र व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा हारी।
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥
ओम जय कश्यप…