पटना/मुजफ्फरपुर/गया. राज्य भर के विभिन्न मेडिकल कॉलेज एवं अस्पतालों के जूनियर डॉक्टर स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर बुधवार की सुबह से हड़ताल पर चले गये. इसके कारण पीएमसीएच समेत सभी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पतालों में इलाज बाधित हुआ.
जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने इस हड़ताल की पूर्व में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की थी. हालांकि उसने मेडिकल कॉलेज एवं अस्पतालों में वहां के प्राचार्य और अधीक्षक को इसकी मौखिक सूचना एक दिन पहले ही दे दी थी. हालांकि, हड़ताल के दौरान भी सभी जगहों पर जूनियर डॉक्टरों ने कोरोना मरीजों का इलाज किया. कोरोना से जुड़े कामों को हड़ताल से मुक्त रखा गया था.
वहीं, जूनियर डॉक्टरों ने इस हड़ताल में अस्पतालों के कामकाज को बाधित नहीं किया. हड़ताल के कारण ओपीडी सेवा बाधित रही और करीब 44 से अधिक ऑपरेशन को टालना पड़ा़ हालांकि, पीएमसीएच में सीनियर डॉक्टरों ने ओपीडी में इलाज किया, लेकिन मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ा.
कई लौट जाना पड़ा. मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में डॉक्टरों की संख्या कम रहने की वजह हड़ताल का मिलाजुला असर दिखा. ओपीडी खुलते ही सीनियर डॉक्टरों ने कमान संभाल ली. डीएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों ने इमरजेंसी व ओपीडी की चिकित्सा व्यवस्था सुबह चार बजे से ठप कर दी थी.
बुधवार की अहले सुबह करीब चार बजे जूनियर डॉक्टरों ने आपातकालीन विभाग के रजिस्ट्रेशन काउंटर को बंद करा दिया गया. सुबह करीब 8:30 बजे ओपीडी के रजिस्ट्रेशन काउंटर को भी बंद करा दिया गया. यही स्थिति आपातकालीन विभाग की रही. महिला रोग विभाग के ओपीडी व आपातकालीन विभाग में काम काज बंद रहा.
जेएलएनएमसीएच. भागलपुर के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 200 से अधिक जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने से चिकित्सा सेवा बुरी तरह लड़खड़ा गयी. सुबह नौ बजे से ओपीडी सेवा शुरू हुई, लेकिन कुछ सीनियर डॉक्टरों के भरोसे ओपीडी में मरीजों के इलाज में काफी परेशानी हुई.
कई मरीजों को बिना इलाज कराये लौटना पड़ा. वहीं गंभीर मरीजों ने सरकारी की बजाय प्राइवेट अस्पतालों का रुख किया. अस्पताल प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार सर्जरी आउटडोर में करीब एक दर्जन मरीजों को भर्ती नहीं किया गया. हालांकि, इमरजेंसी सेवा निर्बाध रूप से चलती रही.
इधर जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ हरेंद्र कुमार ने कहा कि हड़ताल का राज्य भर में असर रहा है. जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जायेंगी, हड़ताल अनिश्चित काल तक चलती रहेगी. उनका कहना है कि नियमों के मुताबिक हर तीन साल पर जूनियर डॉक्टरों के स्टाइपेंड की समीक्षा कर उसे बढ़ाना चाहिए.
बिहार में जनवरी, 2020 से नया स्टाइपेंड लागू होना चाहिए था, लेकिन राज्य सरकार ने इसे अब तक लागू नहीं किया है. इसके कारण जूनियर डॉक्टरों को काफी कम स्टाइपेंड मिलता है, जबकि जूनियर डॉक्टर ही सबसे ज्यादा मेहनत कर मरीजों की सेवा करते हैं. प्राप्त सूचना के मुताबिक बुधवार शाम तक हड़ताल जारी थी.
मगध मेडिकल अस्पताल में तैनात जूनियर डॉक्टर और पीजी डॉक्टर गुरुवार से हड़ताल पर रहेंगे. जूनियर डॉक्टरों ने बुधवार को मगध मेडिकल अस्पताल के गेट पर हड़ताल के समर्थन में प्रदर्शन किया.
हड़ताल के दौरान इमरजेंसी सेवा, कोविड वार्ड व अन्य जरूरी सेवाओं को बाधित नहीं किया जायेगा. इधर, अधीक्षक डॉ हरिशचंद्र हरि ने बताया कि हड़ताल के संबंध में उनके पास किसी तरह की लिखित जानकारी नहीं दी गयी है.
Posted by Ashish Jha