पटना. स्टाइपेंड में वृद्धि को लेकर हड़ताल पर गये राज्य के मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के जूनियर डॉक्टरों और स्वास्थ्य विभाग के बीच गतिरोध बना हुआ है. सोमवार को छठे दिन भी हड़ताल जारी रही.
इधर, स्वास्थ्य विभाग ने सख्ती दिखाते हुए हड़ताली जूनियर डाॅक्टरों को पटना हाइकोर्ट के उस निर्देशों की काॅपी भेज दी है, जिसमें हड़ताल को कानूनी नहीं माना गया है. स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि हड़ताल पर गये जूनियर डाॅक्टरों को हड़ताल अवधि का पैसा नहीं मिलेगा.
साथ ही इस अवधि को उनकी सेवा में ब्रेक भी माना जायेगा. मरीजों की परेशानी को देखते हुए विभाग के तेवर तल्ख हुए हैं.
इधर, सोमवार को पीएमसीएच के अधीक्षक डाॅ विमल कारक गतिरोध समाप्त करने को लेकर स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत से मिले. प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने बताया कि हड़ताल के मुद्दे पर अब तक कोई नतीजा नहीं निकला है.
अपनी मांगों के लेकर राज्य के जूनियर डॉक्टरों के हडताल पर जाने से मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में इमरजेंसी सहित सभी तरह की सेवाएं चरमरा गयी हैं. निर्धारित ऑपरेशन टाले जा रहे हैं.
इधर, जूनियर डॉक्टर हड़ताल को लेकर न तो प्राचार्य और नहीं अधीक्षक से बात कर रहे हैं. पीएमसीएच की अनुशासन समिति ने अस्पताल के अधीक्षक डाॅ विमल कारक को सरकार ने जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल समाप्त कराने को लेकर अधिकृत कर दिया है.
सोमवार को जूनियर डॉक्टरों ने आइएमए बिहार से भी समर्थन मांगा. आइएमए बिहार के प्रेसिडेंट डॉ बीके कारक से दोपहर में उन्होंने मुलाकात कर समर्थन की अपील की. डॉ कारक ने भी उनकी मांगों को जायज बताते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव से बात करने और समस्या का समाधान निकालने का आश्वासन दिया.
उन्होंने कहा कि आइएमए जूनियर डॉक्टरों की मांगों का समर्थन करता है.इस हड़ताल का फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन ने भी समर्थन किया है.
पीएमसीएच, एनएमसीएच, डीएमसीएच समेत विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में चल रही हड़ताल से इलाज व्यवस्था चरमरा गयी है. इमरजेंसी से लेकर ओपीडी तक की सेवा पर असर दिख रहा है. सबसे खराब स्थिति इमरजेंसी और वार्डों में है.
इमरजेंसी में आने वाले मरीजों की संख्या में भारी कमी आयी है. जो भर्ती हो रहे हैं, उन्हें बेहतर इलाज नहीं मिल पा रहा है. मरीज के परिजन आरोप लगा रहे हैं कि मरीज की स्थिति बिगड़ती रह रही है, लेकिन डॉक्टर देख नहीं रहे हैं.
कहने को कुछ सीनियर डॉक्टर तैनात हैं, लेकिन उनकी काफी कम है. ओपीडी में आने वालों की संख्या में तेजी से गिरावट आयी है. पहले जहां 1500 मरीज आते थे, वहां अब करीब 900 ही आ रहे हैं.
इधर जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ हरेंद्र कुमार और सचिव डॉ कुंदन सुमन ने प्रभात खबर से कहा कि हमारी एक ही मांग है. सरकार अगर अभी इसे मान ले तो हम अभी हड़ताल तोड़ देंगे.
उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि स्टाइपेंड बढ़ाया जाये. सरकार ने तीन वर्ष पहले ही कहा था कि हर तीन वर्ष पर स्टाइपेंड की समीक्षा कर उसे बढ़ाया जायेगा. जनवरी, 2020 से यह बढ़ना था, लेकिन अब तक इसे बढ़ाया नहीं गया.
हमने स्टाइपेंड बढ़ाने को लेकर कई बार स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों से गुहार लगायी. कई बार मिलने का प्रयास किया, लेकिन हर बार हमें निराश किया गया. इसके बाद हमने मजबूर होकर हड़ताल की है.
Posted by Ashish Jha