पटना. राज्य के मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल शुक्रवार को तीसरे दिन भी जारी रही. इसके कारण मरीजों की परेशानी बढ़ गयी है. क्रिसमस के कारण ओपीडी बंद रही, लेकिन पीएमसीएच, एनएमसीएच व डीएमसीएम में इमरजेंसी में इलाज बाधित रही.
इधर स्वास्थ्य विभाग ने जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को लेकर सख्त कदम उठाने का निर्देश मेडिकल कॉलेज अस्पतालों को दिया है. विभाग के अपर सचिव कौशल किशोर ने सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों को आदेश दिया है कि वे इस मुद्दे पर अनुशासन समिति को बैठक बुलाकर निर्णय लें.
पीजी के जिन छात्रों द्वारा कार्य बहिष्कार किया जा रहा है, उनके स्टाइपेंड का भुगतान नो वर्क नो पे के आधार पर किया जाये. साथ ही किसी पीजी छात्र द्वारा ओपीडी, ऑपरेशन थियेटर, इमरजेंसी सेवा को बाधित किया जाता है तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाये.
अनुशासन समिति को निर्देश दिया गया है कि वह रोज ओपीडी में रोगियों की संख्या, ओपीडी के माध्यम से रोगियों के भर्ती किये जाने की संख्या, इमरजेंसी में देखे गये रोगियों की संख्या और कुल किये गये ऑपरेशनों की रिपोर्ट विभाग को उपलब्ध कराये.
अपर सचिव ने बताया कि राज्य के मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में हड़ताल पर जानेवाले डॉक्टरों की सूचना अखबारों और प्राचार्यों व अधीक्षकों के माध्यम से मिली है. उनकी मांगों पर बातचीत करने के लिए प्रधान सचिव की अनुपस्थिति में सचिवालय बुलाया गया था.
साथ ही गुरुवार को प्रधान सचिव खुद पीएमसीएच में छात्रों से बात करने पहुंचे तो कोई प्रतिनिधिमंडल मिलने नहीं आया. उन्होंने बताया कि राज्य में कोरोना महामारी का दौर चल रहा है. ऐसे में जूनियर डॉक्टरों के स्टाइपेंड देने में थोड़ा विलंब हुआ है.
उनको स्टाइपेंड बढ़ाने की की कार्रवाई की जा रही है. इधर, जूनियर डॉक्टर भी अपनी मांगों की पूर्ति को लेकर अड़े हुए हैं. उन्होंने और यह स्पष्ट कर दिया कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होगी, तब तक आंदोलन जारी रहेगा.
डीएमसीएच जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ नीरज कुमार ने बताया कि स्टाइपेंड की राशि बढ़ाने के लिखित आश्वासन के बाद ही हम हड़ताल तोड़ेंगे, अन्यथा अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रहेगी.
राजधानी पटना में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के कारण पीएमसीएच, एनएमसीएच और डीएमसीएच में इलाज की व्यवस्था चरमरा गयी है. इन अस्पतालों में जहां इमरजेंसी सेवा बाधित रही, वहीं ऑपरेशन को भी टाल देना पड़ा.
हालांकि, एसकेएमसीएच, जेएलएनएमसीएच व एएनएमएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों की संख्या कम होने कारण हड़ताल का कम असर देखने को मिला. पीएमसीएच में करीब एक दर्जन मरीजों के ऑपरेशन टल गये और कुछ मरीज यहां से पलायन कर गये.
इसके साथ ही इलाज सही नहीं होने से जहानाबाद की महिला मरीज की मौत हो गयी. फिलहाल हालत ऐसी है कि ओपीडी में भी मरीजों को दिखाने में परेशानी हो रही है. क्रिसमस की छुट्टी के कारण आज ओपीडी के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ.
पीएमसीएच की मुख्य इमरजेंसी में 30 फीसदी बेड खाली हो चुके हैं. हालांकि, टाटा इमरजेंसी में अब भी मरीज हैं और कई मरीजों का ट्रॉली ले जाने वाले रास्ते में लिटा कर इलाज किया जा रहा है.
इमरजेंसी से लेकर वार्ड में एक-दो डॉक्टर ही मौजूद हैं और परिजन अपने मरीज के इलाज के लिए दौड़ लगा रहे हैं. इसके साथ ही डॉक्टर के चैंबर के पास परिजनों की काफी भीड़ लगी हुई है. हड़ताल खत्म होने व ऑपरेशन होने के इंतजार में कई मरीज पीएमसीएच में ही कड़ाके की ठंड में रात गुजारने को मजबूर हैं.
डीएमसीएच, दरभंगा में भी शुक्रवार को आपातकालीन विभाग में तालाबंदी के कारण वहां पहुंचने वाले मरीजों को बाहर का रास्ता दिखाया जाता रहा.हड़ताल के कारण सर्जरी, गायनी व ऑर्थो विभाग का ओटी बंद है.
इस कारण मरीजों को मुश्किल हो रही है. सबसे ज्यादा परेशानी एक्सीडेंटल मरीजों को हो रही है. मालूम हो कि अस्पताल के ओटी में करीब डेढ़ दर्जन मरीजों का रोजना ऑपरेशन किया जाता रहा है. अब सभी ओटी ठप पड़ा है.वार्डों में इलाजरत मरीजों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. नाम के लिये वरीय चिकित्सक वार्ड में आते हैं.
एसकेएमसीएच, मुजफ्फरपुर में जूनियर डॉक्टरों ने ओपीडी और इनडोर डयूटी का विरोध जताया. उनके ड्यूटी के जगह दूसरे यूनिट के डॉक्टरों ने मरीजों का इलाज किया. हालांकि, यहां जूनियर डॉक्टरों की संख्या कम रहने की वजह हड़ताल का मिला-जुला असर रहा.
जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल, भागलपुर में शुक्रवार को लगभग दो दर्जन ऐसे मरीज का ऑपरेशन होना था, जिन्हें रद्द कर दिया गया. हालांकि, इमरजेंसी में 65 मरीजों का इलाज किया गया, जिनमे 19 मरीज को भर्ती लिया गया. 16 मरीजों का ऑपरेशन इमरजेंसी के ओटी में किया गया. वहीं अस्पताल में कोरोना जांच भी हड़ताल से बाधित रही.
अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल, गया में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल का असर नहीं दिखा. सामान्य दिनों की तरह ही मरीजों का इलाज वार्ड व इमरजेंसी में हुआ. अस्पताल अधीक्षक डॉ हरिशचंद्र हरि ने बताया कि मगध मेडिकल में पीजी की कम सीटें होने के कारण यहां हड़ताल का असर नहीं पड़ रहा है.
Posted by Ashish Jha