Holi 2023: इस बार होली और होलिकादहन को लेकर आपके भी मन में कई सवाल चल रहे होंगे. रंगों का त्योहार होली से पहले होलिका दहन मनाने को लेकर पंचांगों में एक मत नहीं है. बनारसी पंचांग में छह मार्च को तो मिथिला पंचांग के अनुसार सात मार्च को होलिका दहन होगा. होली शुभ योगों के मंगलकारी संयोग में आठ मार्च को खेली जायेगी.
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य आचार्य राकेश झा ने बताया कि फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा छह मार्च सोमवार की शाम 3.57 बजे से शुरू होकर सात मार्च की शाम 5.40 बजे तक है. मिथिला पंचांग के मुताबिक भद्रामुक्त काल प्रदोष काल में सात मार्च को शाम 5.48 बजे से 7.24 बजे के बीच होलिका दहन करना शुभ रहेगा.
होलिका की पूजा करते समय ”” ॐ होलिकायै नमः”” मंत्र का उच्चारण करने से अनिष्टता का नाश होता है . वहीं पंडित डॉ श्रीपति त्रिपाठी ने बताया कि होलिका दहन फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को दहन किया जाता है. बनारसी पंचांग के अनुसार छह मार्च को भद्रापुच्छ के हिसाब से देर रात 12.23 बजे से 1.35 बजे के बीच होलिका दहन का मुहूर्त बन रहा है.
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आचार्य राकेश कुमार झा ने बताया कि रंगों का पर्व होली चैत्र कृष्ण प्रतिपदा आठ मार्च बुधवार को कई शुभ के बनने से मंगलकारी संयोग बन रहा है. इस दिन उत्तर फाल्गुन नक्षत्र, शुक्ल योग के साथ सिद्ध योग व सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा. पंडित डॉ श्रीपति त्रिपाठी ने बताया कि होली से आठ दिन पहले होलाष्टक लगने से शुभ कार्य बंद हो जाते हैं. इस समय पर शुभता की कमी होने के कारण ही मांगलिक आयोजनों को रोक दिया जाता है. होलिका दहन के बाद शुभ कार्य करना उत्तम रहता है.
पटना शहर में होलिका दहन को लेकर तैयारियां शुरू हो गयी हैं. शहर के चौक-चौराहे पर अगजा (होलिका दहन के लिए लकड़ियों को) इकट्ठा किया जाने लगा है. होलिकादहन के दिन बुराई पर अच्छाई की विजय का उत्सव मनाया जाता है.
Published By: Thakur Shaktilochan