कृष्ण कुमार, पटना. गंगा नदी पर कच्ची दरगाह से बिदुपुर सिक्सलेन पुल का निर्माण 2024 में पूरा हो जायेगा. हालांकि, निर्माण पूरा होने की समय सीमा 30 जून, 2023 ही थी, लेकिन कई वजहों से इसमें देरी हुई. अब एक बार फिर से काम में तेजी आयी है. इसके सभी पाये बन चुके हैं, साथ ही राघोपुर दियारा की तरफ एप्रोच का निर्माण भी लगभग पूरा हो चुका है. अब बख्तियारपुर की तरफ फ्लाइओवर और एप्रोच रोड बनाया जायेगा.
इसकी कनेक्टिविटी बख्तियारपुर फोरलेन से होगी. वहीं आने वाले कुछ सालों में आमस-दरभंगा नयी फोरलेन सड़क की कनेक्टिविटी भी इस पुल से हो जायेगी. ऐसे में कच्ची दरगाह से बिदुपुर सिक्सलेन पुल उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगा.
इस पुल से नवादा, मुंगेर या नालंदा से आने वाली गाड़ियों को उत्तर बिहार जाने के लिए पटना आने की जरूरत नहीं होगी. दक्षिण बिहार से उत्तर बिहार आवागमन में करीब 60 किमी की दूरी कम हो जायेगी. साथ ही जेपी सेतु, महात्मा गांधी सेतु और राजेंद्र सेतु पर गाड़ियों का दबाव कम हो जायेगा. इस रास्ते झारखंड के इलाके से उत्तर बिहार होते हुए नेपाल सीमा तक पहुंचना आसान होगा.
कच्चीदरगाह-बिदुपुर के बीच निर्माण का फिलहाल काम रुका हुआ है. इस मामले में बिहार राज्य पथ विकास निगम (बीएसआरडीसीएल), निर्माण एजेंसी और बैंक के बीच समझौते के लिए हाइकोर्ट के आदेश का इंतजार है. कोर्ट के आदेश और तीनों पक्षों के बीच आपसी सहमति होने के बादबरसात के बाद इस परियोजना का काम फिर से शुरू होगा. इस परियोजना में आर्थिक समस्या को दूर करने के लिए राज्य मंत्रीपरिषद ने पिछले दिनों 935 करोड़ रुपये देने का निर्णय लिया था. इसके अतिरिक्त 474 करोड़ रुपये का बैंक ऋण भी निर्माण एजेंसी पर पहले से है.
सूत्रों के अनुसार कच्चीदरगाहबिदुपुर सिक्स लेन पुल का निर्माण 2011 में शुरू होना था, लेकिन इसका निर्माण 2016 में शुरू हुआ. पब्लिक-प्राइवेट- पार्टनरशिप यानी पीपीपी मॉडल के तहत शुरू इस परियोजना को साल 2020 में ही पूरा कर लेना था, लेकिन पहले जमीन अधिग्रहण और फिर एजेंसी की वित्तीय स्थिति खराब होने के कारण परियोजना तय समय पर पूरी नहीं हो सकी.
करीब 4988 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली इस परियोजना में मुख्य पुल की लंबाई करीब 9.76 किमी और एप्रोच सहित कुल लंबाई करीब 22.76 किमी होगी. यह पुल 67 पायों पर केबल के सहारे होगा. इसमें दो पायों के बीच की 160 मीटर की दूरी के बीच का स्ट्रक्चर केबल पर लटका होगा. मानसून और बाढ़ के दौरान गंगा के अधिकतम जलस्तर से 12 से 13 मीटर के करीब ऊंचाई होगी.
इस परियोजना की निर्माण एजेंसी की आर्थिक हालत खराब हो गयी थी. उसे बैंक ने आर्थिक मदद करने से मना कर दिया था. बाद में इस परियोजना को पथ निर्माण विभाग की रिवाइवल नीति के तहत पूरा करने का निर्णय लिया गया. इस पुल के बचे काम के लिए 1187 करोड़ रुपये की जरूरत थी.