एक कमरे में पढ़ते 100 छात्र-छात्राएं, बरामदे में गर्मी से झुलस रहा शरीर
चैनपुर प्रखंड के उच्च माध्यमिक विद्यालय सुहावल में बच्चों को पढ़ने के लिए पर्याप्त कमरे तक नहीं हैं. कमरों के अभाव में एक-एक कमरे में ठूंस-ठूंस कर सौ से ऊपर बच्चों को पढ़ाया जाता है
भभुआ. चैनपुर प्रखंड के उच्च माध्यमिक विद्यालय सुहावल में बच्चों को पढ़ने के लिए पर्याप्त कमरे तक नहीं हैं. कमरों के अभाव में एक-एक कमरे में ठूंस-ठूंस कर सौ से ऊपर बच्चों को पढ़ाया जाता है, जिससे बच्चों को भी पढ़ाई करने में भारी परेशानी महसूस होती है. गौरतलब है कि एक तरफ सरकार शिक्षा को सुदृढ़ बनाने के लिए करोड़ों रुपये हर वर्ष खर्च कर रही है. लेकिन, सिस्टम के अभाव में शिक्षा पर खर्च की जा रही भारी भरकम राशि का भी लाभ बच्चों को नहीं मिल पा रहा है. इस संबंध में उच्च माध्यिक विद्यालय सुहावल के छात्र-छात्राओं ने बताया कि कक्षा नौ से लेकर 11वीं तक के छात्र-छात्राओं के बैठने के लिए मात्र चार ही कमरे हैं, जबकि कक्षा नौ से लेकर 11वीं तक छात्र-छात्राओं की संख्या काफी अधिक है. यहां एक-एक कमरे में कभी-कभी तो 100 से भी ऊपर छात्र-छात्राएं हो जाते हैं. इससे बोर्ड पर लिखे जा रहे मास्टर साहब के हल को कॉपी पर उतारने के लिए हाथ हिलाने तक की भी जगह नहीं मिल पाती है. यही नहीं वर्ग कक्ष के अभाव में बरामदे में भी छात्र-छात्राओं को पढ़ाया जाता है. बरामदे को भी टीन के सीट से ढककर कमरे का शक्ल दे दिया गया है, जहां इस गर्मी में पढ़ने पर पूरा बदन जलने लगता है. छात्रों ने बताया कि पिछले साल इस विद्यालय में उच्च माध्यमिक के छात्रों को पढ़ाने के लिए अंग्रेजी सहित कई विषयों में शिक्षक ही नहीं थे. किसी तरह पढ़ाई का कोरम पूरा किया जाता था. लेकिन, इस साल नयी बहाली के बाद नये शिक्षक आ गये हैं और हर विषय में अभी पढ़ाई भी करायी जा रही है. = नौवीं से 11वीं तक 412 बच्चे नामांकित उच्च माध्यमिक विद्यालय सुहावल के लिए सरकार द्वारा मध्य विद्यालय सुहावल के थोड़ी दूरी पर ही नया भवन बनवाया जा रहा है. लेकिन, अब तक भवन पूरी तरह तैयार नहीं होने या किसी कारणवश उसका संचालन शुरू नहीं कराया गया है. इसका नतीजा है कि मध्य विद्यालय सुहावल के कैंपस में ही बने सात कमरे में तीन कमरों में मध्य विद्यालय के बच्चे और चार कमरों में उच्च माध्यमिक विद्यालय सुहावल के बच्चे पढ़ने जाते हैं. विद्यालय में नौवीं से 11वीं तक छात्र छात्राओं की कुल नामांकित संख्या 412 बतायी जाती है. कमरों के अभाव में पठन-पाठन को ले छात्र-छात्राओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. क्या कहते हैं प्रधानाध्यापक इधर, इस संबंध में उच्च माध्यमिक विद्यालय सुहावल के प्रधानाध्यापक दिनेश सिंह का कहना था कि पहले यह विद्यालय मध्य विद्यालय था और यह पूरी बिल्डिंग मध्य विद्यालय की ही है. यहां सरकार द्वारा इसे उत्क्रमित कर उच्च माध्यमिक विद्यालय बना दिया गया. लेकिन, विद्यालय में कमरों का घोर अभाव है. 80 बच्चों के क्षमता वाले कमरों में सौ से ऊपर बच्चों को बैठा कर पढ़ाना पड़ रहा है. विद्यालय का नया भवन पिछले दो सालों से बनाया जा रहा है. लेकिन, अभी तक उक्त भवन का संचालन आरंभ नहीं कराया गया है.
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